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काली–सहस्रनाम स्तोत्रं - 1
Updated on
19-04-2021 09:41 PM
विनियोग - ॐ अस्य श्री श्मशानकालिका सहस्त्रनाम स्तोत्रस्य महाकाल भैरव ऋषिस्त्रिष्टुप छन्दः श्मशानजाली देवता ,धर्मार्थ–काम–मोक्षार्थे ,अर्थ संतान सुख प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः|
[हाथ में जल लें और उपरोक्त विनियोग बोलकर उसे जमीन पर छोड़ दें ]
काली–सहस्रनाम-
श्मशान–कालिका काली भद्रकाली कपालिनी ।गुह्य–काली महाकाली कुरु–कुल्ला विरोधिनी ।।१।।
कालिका काल–रात्रिश्च महा–काल–नितम्बिनी ।काल–भैरव–भार्या च कुल–वर्त्म–प्रकाशिनी ।।२।।
कामदा कामिनी कन्या कमनीय–स्वरूपिणी ।कस्तूरी–रस–लिप्ताङ्गी कुञ्जरेश्वर–गामिनी।।३।।
ककार–वर्ण–सर्वाङ्गी कामिनी काम–सुन्दरी ।कामार्ता काम–रूपा च काम–धेनु: कलावती ।।४।।
कान्ता काम–स्वरूपा च कामाख्या कुल–कामिनी ।कुलीना कुल–वत्यम्बा दुर्गा दुर्गति–नाशिनी ।।५।।
कौमारी कुलजा कृष्णा कृष्ण–देहा कृशोदरी ।कृशाङ्गी कुलाशाङ्गी च क्रींकारी कमला कला ।।६।।
करालास्या कराली च कुल–कांतापराजिता ।उग्रा उग्र–प्रभा दीप्ता विप्र–चित्ता महा–बला ।।७।।
नीला घना मेघ–नादा मात्रा मुद्रा मिताऽमिता ।ब्राह्मी नारायणी भद्रा सुभद्रा भक्त–वत्सला ।।८।।
माहेश्वरी च चामुण्डा वाराही नारसिंहिका ।वज्रांगी वज्र–कंकाली नृ–मुण्ड–स्रग्विणी शिवा ।।९।।
मालिनी नर–मुण्डाली–गलद्रक्त–विभूषणा ।रक्त–चन्दन–सिक्ताङ्गी सिंदूरारुण–मस्तका ।।१०।।
घोर–रूपा घोर–दंष्ट्रा घोरा घोर–तरा शुभा ।महा–दंष्ट्रा महा–माया सुदन्ती युग–दन्तुरा ।।११।।
सुलोचना विरूपाक्षी विशालाक्षी त्रिलोचना ।शारदेन्दु–प्रसन्नस्या स्फुरत–स्मेताम्बुजेक्षणा ।।१२।।
अट्टहासा प्रफुल्लास्या स्मेर–वक्त्रा सुभाषिणी ।प्रफुल्ल–पद्म–वदना स्मितास्या प्रिय–भाषिणी ।।१३।।
कोटराक्षी कुल–श्रेष्ठा महती बहु–भाषिणी ।सुमति: कुमतिश्चण्डा चण्ड–मुण्डाति–वेगिनी ।।१४।।
प्रचण्डा चण्डिका चण्डी चर्चिका चण्ड–वेगिनी ।सुकेशी मुक्त–केशी च दीर्घ–केशी महा–कचा ।।१५।।
प्रेत–देहा –कर्ण–पूरा प्रेत–पाणि–सुमेखला ।प्रेतासना प्रिय–प्रेता प्रेत–भूमि–कृतालया ।।१६।।
श्मशान–वासिनी पुण्या पुण्यदा कुल–पण्डिता ।पुण्यालया पुण्य–देहा पुण्य–श्लोका च पावनी ।।१७।।
पूता पवित्रा परमा परा पुण्य–विभूषणा ।पुण्य–नाम्नी भीति–हरा वरदा खङ्ग–पाशिनी ।।१८।।
नृ–मुण्ड–हस्ता शस्त्रा च छिन्नमस्ता सुनासिका ।दक्षिणा श्यामला श्यामा शांता पीनोन्नत–स्तनी ।।१९।।
दिगम्बरा घोर–रावा सृक्कान्ता–रक्त–वाहिनी ।महा–रावा शिवा संज्ञा नि:संगा मदनातुरा ।।२०।।
मत्ता प्रमत्ता मदना सुधा–सिन्धु–निवासिनी ।अति–मत्ता महा–मत्ता सर्वाकर्षण–कारिणी ।।२१।।
गीत–प्रिया वाद्य–रता प्रेत–नृत्य–परायणा ।चतुर्भुजा दश–भुजा अष्टादश–भुजा तथा ।।२२।।
कात्यायनी जगन्माता जगती–परमेश्वरी ।जगद्–बन्धुर्जगद्धात्री जगदानन्द–कारिणी ।।२३।।
जगज्जीव–मयी हेम–वती महामाया महा–लया ।नाग–यज्ञोपवीताङ्गी नागिनी नाग–शायनी ।।२४।।
नाग–कन्या देव–कन्या गान्धारी किन्नरेश्वरी ।मोह–रात्री महा–रात्री दरुणाभा सुरासुरी ।।२५।।
विद्या–धारी वसु–मती यक्षिणी योगिनी जरा ।राक्षसी डाकिनी वेद–मयी वेद–विभूषणा ।।२६।।
श्रुति–र्स्मृतिर्महा–विद्या गुह्य–विद्या पुरातनी ।चिंताऽचिंता स्वधा स्वाहा निद्रा तन्द्रा च पार्वती ।।२७।।
अर्पणा निश्चला लीला सर्व–विद्या–तपस्विनी ।गङ्गा काशी शची सीता सती सत्य–परायणा ।।२८।।
नीति: सुनीति: सुरुचिस्तुष्टि: पुष्टिर्धृति: क्षमा ।वाणी बुद्धिर्महा–लक्ष्मी लक्ष्मीर्नील–सरस्वती ।।२९।।
स्रोतस्वती स्रोत–वती मातङ्गी विजया जया ।नदी सिन्धु: सर्व–मयी तारा शून्य निवासिनी ।।३०।।
शुद्धा तरंगिणी मेधा लाकिनी बहु–रूपिणी ।सदानन्द–मयी सत्या सर्वानन्द–स्वरूपणि ।।३१।।
स्थूला सूक्ष्मा सूक्ष्म–तरा भगवत्यनुरूपिणी ।परमार्थ–स्वरूपा च चिदानन्द–स्वरूपिणी ।।३२।।
सुनन्दा नन्दिनी स्तुत्या स्तवनीया स्वभाविनी ।रंकिणी टंकिणी चित्रा विचित्रा चित्र–रूपिणी ।।३३।।
पद्मा पद्मालया पद्म–मुखी पद्म–विभूषणा ।शाकिनी हाकिनी क्षान्ता राकिणी रुधिर–प्रिया ।।३४।।
भ्रान्तिर्भवानी रुद्राणी मृडानी शत्रु–मर्दिनी ।उपेन्द्राणी महेशानी ज्योत्स्ना चन्द्र–स्वरूपिणी ।।३५।।
सुर्य्यात्मिका रुद्र–पत्नी रौद्री स्त्री प्रकृति: पुमान् ।शक्ति: सूक्तिर्मति–मती भक्तिर्मुक्ति: पति–व्रता ।।३६।।
सर्वेश्वरी सर्व–माता सर्वाणी हर–वल्लभा ।सर्वज्ञा सिद्धिदा सिद्धा भाव्या भव्या भयापहा ।।३७।।
कर्त्री हर्त्री पालयित्री शर्वरी तामसी दया ।तमिस्रा यामिनीस्था च स्थिरा धीरा तपस्विनी ।।३८।।
चार्वङ्गी चंचला लोल–जिह्वा चारु–चरित्रिणी ।त्रपा त्रपा–वती लज्जा निर्लज्जा ह्रीं रजोवती ।।३९।।
सत्व–वती धर्म–निष्ठा श्रेष्ठा निष्ठुर–वादिनी ।गरिष्ठा दुष्ट–संहर्त्री विशिष्टा श्रेयसी घृणा ।।४०।।
भीमा भयानका भीमा–नादिनी भी: प्रभावती ।वागीश्वरी श्रीर्यमुना यज्ञ–कर्त्री यजु:-प्रिया ।।४१।।
ऋक्–सामाथर्व–निलया रागिणी शोभन–स्वरा ।कल–कण्ठी कम्बु–कण्ठी वेणु–वीणा–परायणा ।।४२।।
वंशिनी वैष्णवी स्वच्छा धात्री त्रि–जगदीश्वरी ।मधुमती कुण्डलिनी शक्ति: ऋद्धि: सिद्धि: शुचि–स्मिता ।।४३।।
रम्भोर्वशी रती रामा रोहिणी रेवती रमा ।शङ्खिनी चक्रिणी कृष्णा गदिनी पद्मनी तथा ।।४४।।
शूलिनी परिघास्त्रा च पाशिनी शार्न्ग–पाणिनी ।पिनाक–धारिणी धूम्रा सुरभि वन–मालिनी ।।४५।।
रथिनी समर–प्रीता च वेगिनी रण–पण्डिता ।जटिनी वज्रिणी नीला लावण्याम्बुधि–चन्द्रिका ।।४६।।
बलि–प्रिया महा–पूज्या पूर्णा दैत्येन्द्र–मन्थिनी ।महिषासुर–संहन्त्री वासिनी रक्त–दन्तिका ।।४७।।
रक्तपा रुधिराक्ताङ्गी रक्त–खर्पर–हस्तिनी ।रक्त–प्रिया माँस – रुधिरासवासक्त–मानसा ।।४८।।
गलच्छोणित–मुण्डालि–कण्ठ–माला–विभूषणा ।शवासना चितान्त:स्था माहेशी वृष–वाहिनी ।।४९।।
व्याघ्र–त्वगम्बरा चीर–चेलिनी सिंह–वाहिनी ।वाम–देवी महा–देवी गौरी सर्वज्ञ–भाविनी ।।५०।।
बालिका तरुणी वृद्धा वृद्ध–माता जरातुरा ।सुभ्रुर्विलासिनी ब्रह्म–वादिनि ब्रह्माणी मही ।।५१।।
स्वप्नावती चित्र–लेखा लोपा–मुद्रा सुरेश्वरी ।अमोघाऽरुन्धती तीक्ष्णा भोगवत्यनुवादिनी ।।५२।।
मन्दाकिनी मन्द–हासा ज्वालामुख्यसुरान्तका ।मानदा मानिनी मान्या माननीया मदोद्धता ।।५३।।
मदिरा मदिरोन्मादा मेध्या नव्या प्रसादिनी ।सुमध्यानन्त–गुणिनी सर्व–लोकोत्तमोत्तमा ।।५४।।
जयदा जित्वरा जेत्री जयश्रीर्जय–शालिनी ।सुखदा शुभदा सत्या सभा–संक्षोभ–कारिणी ।।५५।।
शिव–दूती भूति–मती विभूतिर्भीषणानना ।कौमारी कुलजा कुन्ती कुल–स्त्री कुल–पालिका ।।५६।।
कीर्तिर्यशस्विनी भूषां भूष्या भूत–पति–प्रिया ।सगुणा–निर्गुणा धृष्ठा कला–काष्ठा प्रतिष्ठिता ।।५७।।
धनिष्ठा धनदा धन्या वसुधा स्व–प्रकाशिनी ।उर्वी गुर्वी गुरु–श्रेष्ठा सगुणा त्रिगुणात्मिका ।।५८।।
महा–कुलीना निष्कामा सकामा काम–जीवना ।काम–देव–कला रामाभिरामा शिव–नर्तकी ।।५९।।
चिन्तामणि: कल्पलता जाग्रती दीन–वत्सला ।कार्तिकी कृत्तिका कृत्या अयोध्या विषमा समा ।।६०।।
सुमंत्रा मंत्रिणी घूर्णा ह्लादिनी क्लेश–नाशिनी ।त्रैलोक्य–जननी हृष्टा निर्मांसा मनोरूपिणी ।।६१।।
तडाग–निम्न–जठरा शुष्क–मांसास्थि–मालिनी ।अवन्ती मथुरा माया त्रैलोक्य–पावनीश्वरी ।।६२।।
व्यक्ताव्यक्तानेक–मूर्ति: शर्वरी भीम–नादिनी ।क्षेमंकरी शंकरी च सर्व– सम्मोहन–कारिणी ।।६३।।
उर्ध्व–तेजस्विनी क्लिन्न महा–तेजस्विनी तथा ।अद्वैत भोगिनी पूज्या युवती सर्व–मङ्गला ।।६४।।
सर्व–प्रियंकरी भोग्या धरणी पिशिताशना ।भयंकरी पाप–हरा निष्कलंका वशंकरी ।।६५।।
आशा तृष्णा चन्द्र–कला निद्रिका वायु–वेगिनी ।सहस्र–सूर्य संकाशा चन्द्र–कोटि–सम–प्रभा ।।६६।।
वह्नि–मण्डल–मध्यस्था च सर्व–तत्त्व–प्रतिष्ठिता ।सर्वाचार–वती सर्व–देव – कन्याधिदेवता ।।६७।।
दक्ष–कन्या दक्ष–यज्ञ नाशिनी दुर्ग तारिणी ।इज्या पूज्या विभीर्भूति: सत्कीर्तिर्ब्रह्म–रूपिणी ।।६८।।
रम्भीरुश्चतुरा राका जयन्ती करुणा कुहु: ।मनस्विनी देव–माता यशस्या ब्रह्म–चारिणी ।।६९।।
ऋद्धिदा वृद्धिदा वृद्धि: सर्वाद्या सर्व–दायिनी ।आधार–रूपिणी ध्येया मूलाधार–निवासिनी ।।७०।।
आज्ञा प्रज्ञा–पूर्ण–मनाश्चन्द्र–मुख्यानुकूलिनी ।वावदूका निम्न–नाभि: सत्या सन्ध्या दृढ़–व्रता ।।७१।।
आन्वीक्षिकी दंड–नीतिस्त्रयी त्रि–दिव–सुन्दरी ।ज्वलिनी ज्वालिनी शैल–तनया विन्ध्य–वासिनी ।।७२।।
अमेया खेचरी धैर्या तुरीया विमलातुरा ।प्रगल्भा वारुणीच्छाया शशिनी विस्फुलिङ्गिनी ।।७३।।
भुक्ति सिद्धि सदा प्राप्ति: प्राकाम्या महिमाणिमा ।इच्छा–सिद्धिर्विसिद्धा च वशित्वीर्ध्व–निवासिनी ।।७४।।
लघिमा चैव गायित्री सावित्री भुवनेश्वरी ।मनोहरा चिता दिव्या देव्युदारा मनोरमा ।।७५।।
पिंगला कपिला जिह्वा–रसज्ञा रसिका रसा ।सुषुम्नेडा भोगवती गान्धारी नरकान्तका ।।७६।।
पाञ्चाली रुक्मिणी राधाराध्या भीमाधिराधिका ।अमृता तुलसी वृन्दा कैटभी कपटेश्वरी ।।७७।।
उग्र–चण्डेश्वरी वीर–जननी वीर–सुन्दरी ।उग्र–तारा यशोदाख्या देवकी देव–मानिता ।।७८।।
निरन्जना चित्र–देवी क्रोधिनी कुल–दीपिका ।कुल–वागीश्वरी वाणी मातृका द्राविणी द्रवा ।।७९।।
योगेश्वरी–महा–मारी भ्रामरी विन्दु–रूपिणी ।दूती प्राणेश्वरी गुप्ता बहुला चामरी–प्रभा ।।८०।।
कुब्जिका ज्ञानिनी ज्येष्ठा भुशुंडी प्रकटा तिथि: ।द्रविणी गोपिनी माया काम–बीजेश्वरी क्रिया ।।८१।।
शांभवी केकरा मेना मूषलास्त्रा तिलोत्तमा ।अमेय–विक्रमा क्रूरा सम्पत्–शाला त्रिलोचना ।।८२।।
सुस्थी हव्य–वहा प्रीतिरुष्मा धूम्रार्चिरङ्गदा ।तपिनी तापिनी विश्वा भोगदा धारिणी धरा ।।८३।।
त्रिखंडा बोधिनी वश्या सकला शब्द–रूपिणी ।बीज–रूपा महा–मुद्रा योगिनी योनि–रूपिणी ।।८४।।
अनङ्ग – मदनानङ्ग – लेखनङ्ग – कुशेश्वरी ।अनङ्ग–मालिनि–कामेशवरी देवि सर्वार्थ–साधिका ।।८५।।
सर्व–मन्त्र–मयी मोहिन्यरुणानङ्ग–मोहिनी ।अनङ्ग–कुसुमानङ्ग–मेखलानङ्ग – रूपिणी ।।८६।।
वज्रेश्वरी च जयिनी सर्व–द्वन्द –क्षयंकरी ।षडङ्ग–युवती योग–युक्ता ज्वालांशु–मालिनी ।।८७।।
दुराशया दुराधारा दुर्जया दुर्ग–रूपिणी ।दुरन्ता दुष्कृति–हरा दुर्ध्येया दुरतिक्रमा ।।८८।।
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