जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में रविवार को बादल फटने और लैंडस्लाइड से इलाके में तबाही मच गई थी। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने करीब 100 लोगों को रेस्क्यू किया।
रामबन इलाके में सोमवार को भी रेस्क्यू अभियान चलाते हुए घरो और सड़कों से मलबा हटाया जा रहा है। हालांकि, जम्मू श्रीनगर हाईवे (NH- 44) दूसरे दिन भी बंद है। इसके चलते सैकड़ों ट्रक और वाहन अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं। इसमें हजारों पर्यटक भी शामिल हैं।
वहीं, मौसम की खराब स्थिति और फ्लैश फ्लड के खतरे को देखते हुए जिला रामबन के सभी स्कूल, कॉलेज आज बंद रखे गए हैं। प्रशासन ने लोगों से यात्रा से बचने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है।
स्थानीय विधायक बोले- इस तरह की त्रासदी हमने कभी नहीं देखी
स्थानीय विधायक अर्जुन सिंह राजू ने कहा- इस तरह की त्रासदी हमने कभी नहीं देखी। इस त्रासदी में प्रोपर्टी को जो नुकसान हुआ वो हुआ, लेकिन जो लोगों की जान गई वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हालांकि स्थिति अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और प्रशासन की पहली प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित निकालना और बंद सड़कों को दोबारा खोलना है।
बारात लेकर पैदल ही निकला युवक
भारी बारिश और बाढ़ के कारण जम्मू-श्रीनगर हाईवे (NH-44) बंद है, इस वजह से रामबन जिले का रहने वाले हाशखोर अहमद अपनी शादी करने के लिए करीब 7 किलोमीटर पैदल ही निकल पड़े। हाशखोर सुबह 6 बजे अपने परिवार के साथ घर से निकले और कार को बीच रास्ते में खड़ा कर दिया। वो पैदल ही बारात लेकर विवाह स्थल तक पहुंचेंगे।
हाशखोर ने कहा- अगर सड़क नहीं खुली तो शादी के बाद पत्नी को भी पैदल लाना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि जल्दी से जल्दी हाईवे खोला जाए, क्योंकि कई लोग, बच्चे और बुजुर्ग रास्ते में फंसे हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री बोले- जिला प्रशासन लगातार राहत कार्यों में जुटा
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सेना के रेस्क्यू अभियान की सराहना की उन्होंने कहा- युद्धकाल ही नहीं, शांति के समय भी सेना देश की सेवा में तत्पर रहती है। जिलाधिकारी बसीर हक के नेतृत्व में जिला प्रशासन भी लगातार काम कर रहा है। इधर, उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने स्थिति का जायजा लेने रामबन का दौरा किया, वहीं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जान-माल के नुकसान पर शोक जताते हुए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है।
चश्मदीद की जुबानी पूरी घटना समझिए...
एक चश्मदीद ने बताया- जम्मू से श्रीनगर जाने के दौरान बारिश तेज हो गई तो मैंने रामबन मैं रुक गया। शनिवार रात करीब 10 बजे मैंने होटल में चेकइन किया। रात करीब 3 बजे शोर-शराबे के बीच मेरी नींद खुली। मैं होटल से नीचे आया तो देखा पानी तेजी से ऊपर की ओर भर रहा था।
नीचे का स्टाफ होटल छोड़कर भाग चुका था और हम सारे लोग फंस गए थे। चश्मदीद ने होटल की ओर इशारा करते हुए बताया कि यह होटल तीन मंजिला है। इसकी दो मंजिलें नीचे मलबे में दबी हुई हैं। यह तीसरी मंजिल दिख रही है। करीब 8-10 गाड़ियां नीचे दब गई हैं। मैंने 15 दिन पहले ही नई गाड़ी ली थी, वह भी मलबे में दबी है।
उस समय हम 15 लोग ऊपर फंसे थे। होटल का कुछ स्टाफ जो ऊपरी फ्लोर पर था, वह भी फंस गया था। सामने का रास्ता बंद हो गया था। किसी तरह हम सभी ने होटल के पीछे से निकलकर अपनी जान बचाई। चश्मदीद ने बताया