विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत के लिए कनाडा को लेकर सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि वहां आतंकवादियों, अलगाववादियों और भारत विरोधी तत्वों को जगह दी गई है। कनाडा कहता है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का हक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि डिप्लोमैट्स को धमकाया जाए। किसी देश के दूतावास पर स्मोक बम फेंकना और हिंसा करना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।
भारतीय न्यूज चैनल TV9 के समिट ‘राइज ऑफ द ग्लोबल साउथ’ में जयशंकर ने कनाडा, चीन और मालदीव के साथ रिश्तों पर भारत का पक्ष रखा। उन्होंने कहा- हमलों के दोषियों को सजा दी जाना जरूरी है।ब्रिटेन में पिछले साल हमारे हाई कमीशन पर भीड़ ने हमला कर दिया। उस वक्त हमें वैसी सुरक्षा नहीं मिली, जैसी हमने उम्मीद की थी। हालांकि, अब हालात बेहतर हैं।
जयशंकर ने आगे कहा- भारत उम्मीद करता है कि लंदन और अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावासों पर हुए हमलों के दोषियों को सजा दी जाएगी। हमें कनाडा के लोगों के लिए वीजा सर्विस सस्पेंड करनी पड़ी थी, क्योंकि वहां हमारे डिप्लोमैट्स को डराया-धमकाया जा रहा था। बार-बार ऐसी हरकतें होने पर भी हमें कनाडा की तरफ से कुछ खास सपोर्ट नहीं मिला।
जयशंकर बोले- चीन से रिश्ते सुधारने की कोशिश की, लेकिन 2020 के बाद सब बदल गया
चीन के साथ रिश्तों पर बात करते हुए विदेश मंत्री बोले- 2018 में PM मोदी चीन के वुहान गए थे। इसके बाद 2019 में जिनपिंग भारत दौरे पर आए थे। दोनों यात्राओं के दौरान हमने कूटनीति के जरिए चीन के साथ रिश्ते समान करने की कोशिश की, लेकिन 2020 में उन्होंने LAC के पास मिलिट्री कंस्ट्रक्शन और सैन्य तैनाती बढ़ाकर निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन किया।
विदेश मंत्री ने कहा- इसके बाद हमारे पास एक ही रास्ता बचा था। हमने भी LAC के पास सैनिकों की तैनाती बढ़ाई। यह साफ है कि इसका असर दोनों देशों के राजनीतिक रिश्तों पर पड़ा है। इसके अलावा भारत ने चीन के मुद्दे पर कुछ आर्थिक फैसले भी किए। यह भी नए संतुलन का हिस्सा है।
विदेश मंत्री बोले- भारत-चीन तेजी से विकास कर रहे, वर्ल्ड ऑर्डर बदल रहे
भारत और चीन 2 ऐसे देश हैं जो तेजी से विकास कर रहे हैं। इस दौरान दोनों देश वर्ल्ड ऑर्डर में बदलाव ला रहे हैं। इस दौरान पड़ोसी होने के नाते दोनों देशों के रिश्तों में भी बदलाव आ रहा है। अगर इस बात पर गौर किया जाए कि दुनिया में पिछले 20-25 सालों में 4 सबसे बड़े बदलाव क्या आए, तो इसका जवाब होगा भारत और चीन का विकास। हालांकि, चीन ने इसकी शुरुआत काफी पहले कर दी थी।
विदेश मंत्री ने बताया कि 2014 में LAC पर खर्चे के लिए सालाना 3,500 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया था। आज यह करीब 15 हजार करोड़ है। पहले सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन बॉर्डर को तब तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता, जब तक वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर न हो।
मालदीव मुद्दे पर जयशंकर बोले- समस्या का मिलकर हल निकालेंगे
समिट के दौरान विदेश मंत्री ने मालदीव से 88 भारतीय सैनिकों को निकालने के मुद्दे पर भी चर्चा की। जयशंकर ने कहा- दुनिया हर वक्त एहसान पर नहीं चलती। ऐसे में कूटनीति के जरिए रास्ता निकाला जाता है।
मालदीव में दो भारतीय हेलिकॉप्टर हैं और एक प्लेन है। इनका इस्तेमाल मेडिकल सर्विस के लिए होता है। इसका फायदा मालदीव के लोगों को मिलता है। ये सेना के प्लेन हैं तो इन्हें सेना के लोग ही चला सकते हैं। भारत इस मुद्दे पर मालदीव के साथ कई राउंड की बैठकें कर रहा है। जो भी दिक्कत है, उसका समाधान निकाला जाएगा।