हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है और वे पश्चिमी देशों के खिलाफ काम कर रहे हैं। भारत सीधे तौर पर हूतियों के रडार पर नहीं है। न्यूज 18 को मिले एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक, ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और हिजबुल्लाह मिलकर हूतियों को ट्रेनिंग देते हैं।
साथ ही ये जहाजों के जरिए हूती विद्रोहियों को ड्रोन्स, बैलिस्टिक मिसाइलें और दूसरे हथियार भी पहुंचाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन इन्हें फैक्ट्री बनाने, हथियारों के पार्ट्स की तस्करी करने और कई मामलों में सलाह देने का काम करते हैं। दूसरी तरफ, ईरान पश्चिमी देशों के खिलाफ भारत को एक सहयोगी के तौर पर देखता है।
समुद्र में हमलों को लेकर भारत-चीन परेशान
दरअसल, ईरान मुस्लिम देशों का लीडर बनना चाहता है। हालांकि, ईरान शिया समुदाय वाला देश है, जबकि भारत में ज्यादातर सुन्नी समुदाय के लोग रहते हैं। लाल सागर और हिंद महासागर में लगातार हो रहे हूतियों के हमलों को लेकर भारत और चीन ने चिंताएं जताई हैं।
ऐसे में ईरान को डर है कि कहीं इस मुद्दे पर दोनों देश अमेरिका के साथ न चले जाएं। ईरान भारत को यह संकेत देना चाहता है कि वो भारत के साथ है। इसी कड़ी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी सोमवार को 2 दिन के दौरे पर ईरान पहुंचे।
ईरानी राष्ट्रपति रईसी से मिले विदेश मंत्री जयशंकर
यहां उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुस्सैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की। समुद्र में जहाजों पर हो रहे हमलों के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा- भारत के आसपास जहाजों पर हमले अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसका भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है।
उन्होंने कहा- भारत हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है लेकिन किसी भी तनाव की स्थिति में हर हाल में आम नागरिकों की सुरक्षा की जानी चाहिए। दरअसल, इस समुद्री रास्ते से दुनिया के शिपिंग यातायात की लगभग 15% आवाजाही होती है।
चाबहार पोर्ट, INSTC प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई
हूतियों के हमलों से यूरोप और एशिया के बीच मुख्य मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा भारत-ईरान के बीच चाबहार पोर्ट और INSTC कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (ईरान से रूस को कनेक्ट करने वाला कॉरिडोर) को लेकर भी चर्चा हुई।
ईरान-भारत के बीच 2018 में चाबहार बंदरगाह की डील हुई थी। यह बंदरगाह पाकिस्तान में मौजूद ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 170 किलोमीटर दूर है। ग्वादर चीन पाकिस्तान के CPEC प्रोजेक्ट का हिस्सा है। 2019 में अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे।
भारत को अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से जोड़ेगा चाबहार
इस दौरान उसने कहा था कि जो भी देश ईरान से संबंध रखेगा, अमेरिका उसके साथ भी सख्ती से पेश आएगा। हालांकि, चाबहार के लिए अमेरिका ने भारत को छूट दी थी। 2018 के बाद अब दोनों देशों के बीच एक बार फिर से इस पोर्ट पर बात हुई है।
हालांकि, इस पर काम कब शुरू होगा, इससे जुड़ी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। अगर चाबहार बंदरगाह पर काम होता है तो भारत को अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक की कनेक्टिविटी मिल जाएगी।