विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन पर बॉर्डर पर खूनखराबा और लिखित समझौतों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए हैं। जापान की राजधानी टोक्यो में गुरुवार को रायसीना राउंडटेबल में बोलते हुए जयशंकर ने कहा- 1975 से 2020 तक बॉर्डर पर शांति थी। 2020 (गलवान झड़प) में सब बदल गया।
उन्होंने कहा- हम (भारत-चीन) कई मुद्दों पर सहमत नहीं हैं। जब पड़ोसी लिखित समझौतों का उल्लंघन करे तो ये चिंता की बात है। इससे दोनों के रिश्तों की स्थिरता पर सवाल खड़े होते हैं।
'भारत बदल रहा है, इस पर उग्र होने की जरूरत नहीं'
जयशंकर ने जापान दौरे पर दुनिया में हो रहे पावर शिफ्ट पर भी बात की। उन्होंने कहा- ये हकीकत है कि इंडो-पेसिफिक इलाके में पावर शिफ्ट हो रही है। जब किसी देश की क्षमता में बड़ा बदलाव आता है और खासकर उसकी महत्वाकांक्षाओं में तो इसके रणनीतिक परिणाम भी होते हैं।
जयशंकर ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि दुनिया बदल रही है ऐसे में दूसरे देशों के साथ भारत के रिश्तों में भी बदलाव आ रहा है। इसमें उग्र होने की जरूरत नहीं है। जयशंकर ने यूरोप और मिडिल ईस्ट में चल रही जंग में भी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होने का जिक्र किया।
क्या हुआ था गलवान घाटी में
साल 2020, अप्रैल-मई में चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे।
हालात इतने खराब हो गए कि 4 दशक से ज्यादा वक्त बाद LAC पर गोलियां चलीं। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। गलवान झड़प में चीन के 38 सैनिक मारे जाने की बात कही गई थी। हालांकि चीन ने केवल 4 की मौत कबूली थी।
गलवान में दो परमाणु ताकत रखने वाले देशों के बीच संघर्ष से दुनियाभर के नेता अलर्ट हो गए। इसके बाद ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के बीच बने सिक्योरिटी अलायंस क्वाड को तुरंत मजबूत बनाने की कवायद शुरू हुई।
चारों देशों ने मार्च 2021 में एक अहम मीटिंग कर चीन की वजह से बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को साझा किया। क्वाड का गठन एशिया-प्रशांत इलाके और साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए ही किया गया है।