इजराइल डिफेंस फोर्सेस (IDF) के पास एक बेहद अनूठा और खतरनाक हथियार आया है। इसका नाम है हर्मीस 900 ड्रोन। इसे कोशेव या द स्टार भी कहा जा रहा है। IDF ने इस ड्रोन के बारे में खुद कुछ खास नहीं बताया है, लेकिन कुछ जानकारी सामने जरूर आ चुकी है।
‘डिफेंस प्रोक्योरमेंट इंटरनेशनल’ और ‘द सन’ की रिपोर्ट्स में हर्मीस 900 के कुछ फीचर्स बताए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक- इस ड्रोन का निशाना इतना सटीक है कि अगर एक चलती कार में चार लोग हैं और सिर्फ ड्राइवर को निशाना बनाना है तो यह ड्राइवर को ही खत्म करेगा। बाकी पैसेंजर्स को हमले से कोई नुकसान नहीं होगा।
गेम चेंजर साबित होगा
रिपोर्ट्स के मुताबिक- हर्मीस 900 न सिर्फ इजराइल के आसमान को महफूज बनाएगा, बल्कि इसका फायदा उसके दोस्त मुल्कों को भी होगा। यह हर्मीस 400 का ही अपडेटेड वर्जन बताया जा रहा है, लेकिन पुराने और नए हर्मीस में जमीन-आसमान का फर्क है।
इसकी खूबियों पर नजर डालते हैं...
हर्मीस 900 को हिब्रू में कोशेव या द स्टार कहा गया है
ये कई तरह के गाइडेड बम ले जा सकता है
एक बार में 30 घंटे उड़ान भर सकता है
500 किलोग्राम वजन ले जा सकता है
HD ऑप्टिकल सेंसर्स से लैस
स्पेशल एरियल सर्विलांस सिस्टम
पिन पॉइंट लेजर टारगेट मार्कर्स
ये खूबियां इसलिए अहम
इजराइल को हमास और हिजबुल्लाह के अलावा ईरान से भी खतरा है। IDF की ग्राउंड ऑपरेशन फोर्स और नेवी को यह बिल्कुल सटीक टारगेट और लोकेशन बताएगा। अगर इनके लिए टारगेट दूर रहा तो यह हर्मीस 900 खुद टारगेट हिट करेगा।
इसके सभी कैमरे रियल टाइम कवरेज करेंगे। कंट्रोल रूम पामचिन एयरबेस पर बनाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक- 20 दिसंबर को इजराइल ने गाजा में पहली बार इसका इस्तेमाल किया। कंट्रोल रूम में सिर्फ दो पायलट (ऑपरेटर) मौजूद थे। इनमें से एक ने कहा- अभी हमने बेहद छोटे लेजर बम इस्तेमाल किए हैं।
इस पायलट के मुताबिक- हर्मीस 900 दो तरह से टारगेट हिट कर सकता है। पहला- अगर किसी व्हीकल के ड्राइवर को मारना है तो हम सिर्फ उसे ही मार गिराएंगे, बाकी पैसेंजर्स को कोई नुकसान नहीं होगा। दूसरा- अगर किसी इलाके में मौजूद किसी बड़े टारगेट को तबाह करना है तो 10 मीटर दायरे में यह किसी भी चीज का नाम-ओ-निशान मिटा देगा।
क्या कहते हैं पायलट
हर्मीस 900 के ऑपरेशन का जिम्मा स्पेशल पायलट यूनिट को सौंपा गया है। इसके किसी मेंबर का नाम नहीं बताया गया है। एक पायलट की उम्र तो सिर्फ 20 साल है। उसने कहा- हमें ट्रेनिंग में खास बात यह सिखाई गई है कि किस बम का इस्तेमाल किस मिशन में किया जाए। हम आखिरी सेकंड्स में भी बम का डायरेक्शन बदल सकते हैं। इतना ही नहीं चाहें तो उसे किसी खाली जगह पर भी एक्सप्लोड कर सकते हैं।
आम दिनों में हर्मीस 900 को ऑपरेट करने की जरूरत नहीं होगी, इसे किस एरिया में फ्लाई करना है, ये खुद सेंसर्स से तय कर लेगा। इसके पास एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक मैपिंग सिस्टम है। ऑपरेशन में RPA (रिमोटली पायलोटेड एयरक्राफ्ट) टेक्नोलॉजी की जाएगी। एक पायलट ने कहा- RPA इसलिए है, ताकि हर चीज यह खुद तय कर सके। हमें सिर्फ नजर रखना है।
इसके कैमरे कभी बंद नहीं होंगे। फिर चाहे ये जमीन पर हो या आसमान में। हर्मीस का पहला ड्रोन 2012 में आया था। इसमें जो मिसाइलें इस्तेमाल की जाएंगी, उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।