इजराइली डिफेंस फोर्सेस (IDF) के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हेर्जी हालेवी ने कहा है कि गाजा में हमास के खिलाफ जंग कई महीने चलेगी। इस बीच अल मयादीन की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइली सैनिक गाजा में मारे गए फिलिस्तीनियों के शव चुरा रही है। सैनिक इन शवों से किडनी, लिवर, दिल जैसे अंग भी चुरा रहे हैं।
यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट मॉनिटर के हवाले से अल मयादीन की रिपोर्ट में कहा गया- इजराइली सेना ने 80 फिलिस्तीनियों के शव चुराकर -40 डिग्री सेलसियस के तापमान में रखा ताकि उनके अंग निकाले जा सकें।
ह्यूमन राइट मॉनिटर ने दावा किया है कि इजराइल में फिलिस्तीनियों के शवों को जब्त करना लीगल है। ह्यूमन राइट मॉनिटर का कहना है कि 2021 तक इजराइल में एक ऐसा कानून पारित किया गया जो इजराइली सैनिकों को फिलिस्तीनियों के शवों को जब्त करने का अधिकार देता है। जिसके बाद से इन शवों और अंगों पर इजराइली मेडिकल स्कूल में एक्सपेरिमेंट होते हैं।
इसके पहले इजराइली सेना पर फिलिस्तीनियों के शवों को बुलडोजर से कुचलने और गाजा के कब्रिस्तानों को टैंकों से तबाह करने के आरोप लगे हैं।
हमास से जंग कई महीने चलेगी
IDF के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हेर्जी हालेवी के मुताबिक, सेंट्रल और साउथ गाजा में IDF हमास के खात्मे के काफी करीब है और उत्तरी गाजा में अब ऑपरेशन तेज किया गया है।
मंगलवार रात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में IDF चीफ ने कहा- मैं फिर साफ कर देना चाहता हूं कि यह जंग कई महीने चलेगी। मैं अभी गाजा से लौटा हूं। वहां मैंने हमारे सैनिकों से मुलाकात की। जिस तरह से हमारै सैनिक जंग लड़ रहे हैं, उसकी मुझे बहुत खुशी है। उनके लिए जो टारगेट सेट किए गए हैं, वो उन्हें हासिल कर रहे हैं। IDF नॉर्थ गाजा में भी हमास का खात्मा करेगी।
हालेवी ने आगे कहा- हमने हमास के कई आतंकी और कमांडर मार गिराए हैं। कुछ ऐसे भी जिन्होंने सरेंडर कर दिया है। इसके अलावा सैकड़ों लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। हमारी स्पेशल यूनिट ने गाजा में अंडरग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर और हथियार तबाह कर दिए हैं।
हालेवी ने कहा- मुश्किल उन घने शहरी इलाकों में आ रही है, जहां आतंकी आम लोगों की तरह नजर आते हैं। इसलिए मैं ये नहीं कह सकता है कि हमने हमास के सभी आतंकी मार गिराए हैं। इसलिए हमें अब भी वहां जंग लड़नी पड़ रही है। इसके लिए कई तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं। एक बात का भरोसा मैं दिला सकता हूं कि अब हमास कभी इजराइल पर 7 अक्टूबर जैसा हमला नहीं कर सकेगा।
अमेरिका रवाना हुए नेतन्याहू के एडवाइजर
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सबसे करीबी एडवाइजर रॉन डेरमिर मंगलवार को अमेरिका रवाना हुए। माना जा रहा है वो किसी खास वजह से अमेरिका गए हैं। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक- रॉन इस हफ्ते अमेरिका में प्रेसिडेंट जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन के आला अफसरों से मुलाकात करेंगे।
एक रिपोर्ट के मुताबिक- हमास के खिलाफ जंग में अमेरिका और इजराइल के बीच जो मतभेद हैं, रॉन उन सभी मुद्दों पर बातचीत करके कोई हल निकालने की कोशिश करेंगे। इसमें एक मुद्दा यह भी है कि जंग खत्म होने के बाद गाजा पर शासन कौन करेगा। अमेरिका की तरफ से इजराइल पर लगातार ये प्रेशर डाला जा रहा है कि वो हमलों में कमी लाए। इसके अलावा सिविलियन्स को नुकसान न हो, इसका ध्यान रखा जाए।
दिक्कत ये है कि IDF और नेतन्याहू लगातार ये कह रहे हैं कि गाजा की जंग अब तब ही थमेगी, जब हमासा का खात्मा हो जाएगा। इजराइल ये भी कह चुका है कि जंग के बाद गाजा को वो अपने कब्जे में रखेगा। इस बात को लेकर अमेरिका में काफी विरोध भी हो रहा है।
UN को कम वीजा मिलेंगे
इजराइल ने जंग के बीच पहली बार साफ कहा कि वो अब UN के कर्मचारियों का ऑटोमैटिक वीजा सिस्टम बंद करने जा रहा है। माना जा रहा है कि इसके बाद इजराइल और UN में भी नया तनाव पैदा हो सकता है।
इजराइल ने कहा है कि वो अब UN के कर्मचारियों को ‘केस बाय केस’ यानी प्राथमिकता के आधार पर वीजा जारी करेगा। दोनों के बीच तनाव की असली वजह UN की तरफ से लगातार की जा रही सीजफायर की मांग है। इजराइल ने इसके जवाब में कहा था- जब 7 अक्टूबर को 1200 इजराइली नागरिक मारे गए थे, तब UN कहां था? इसका भी जवाब मिलना चाहिए।
'अल-अक्सा फ्लड' के खिलाफ इजराइल का ऑपरेशन 'सोर्ड्स ऑफ आयरन'
हमास ने इजराइल पर 7 अक्टूबर को हमला किया था। उसने इजराइल के खिलाफ अपने ऑपरेशन को 'अल-अक्सा फ्लड' नाम दिया। इसके जवाब में इजराइल की सेना ने हमास के खिलाफ 'सोर्ड्स ऑफ आयरन' ऑपरेशन शुरू किया। हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ ने कहा था- ये हमला यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इजराइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है। दरअसल, इजराइली पुलिस ने अप्रैल 2023 में अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंके थे।
वहीं, हमास के प्रवक्ता गाजी हामद ने अल जजीरा से कहा था- ये कार्रवाई उन अरब देशों को हमारा जवाब है, जो इजराइल के साथ करीबी बढ़ा रहे हैं। हाल ही के दिनों में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अमेरिका की पहल पर सऊदी अरब इजराइल को देश के तौर पर मान्यता दे सकता है।