जेनेवा । संयुक्त
राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के
45वें सत्र के
इतर दक्षिण एशिया
में इस्लामी स्टेट
का उदय नामक
शीर्षक के एक
वेबिनार में एम्सटर्डम
स्थित थिंक टैंक
यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ
एशियन (ईएफएसएएस ) ने आंतकी
समूह इस्लामिक स्टेट
(आईएसआईएस) को लेकर
नया खुलासा किया।
थिंक टैंक के
अनुसार सीरिया और इराक
में पतन के
बाद पाकिस्तान की
सरपरस्ती में
आईएसआईएस अब तेजी
से दक्षिण एशिया
में अपना नेटवर्क
फैला रहा है,
जहां पहले से
ही बड़ी संख्या
में आतंकवादी और
चरमपंथी समूह मौजूद
हैं। इस्लामिक
स्टेट से हमदर्दी
रखने वाले कुछ
पूर्व तालिबानी कमांडरों
ने क्षेत्र में
समूह की उपस्थिति
को मजबूत करने
के लिए भर्ती
अभियान भी शुरू
कर दिए हैं।
ईएफएसएएस के अध्यक्ष
और मानवाधिकार कार्यकर्ता
जुनैद कुरैशी ने
इस्लामी स्टेट खुरासान प्रांत
(आईएसकेपी) के प्रमुख
क्षेत्रों की उत्पत्ति
और संचालन पर
विचार विमर्श किया
और बताया कि
इसके लड़ाकों की
संख्या के आकलन
में पता चला
कि इनमें ज्यादातर
पाकिस्तानी मूल के
हैं। जबकि अमेरिकी
सैन्य सूत्रों ने
कहा कि आईएसकेपी
के लड़ाकों में
70 फीसदी पाकिस्तानी मौजूद हैं।
वेबिनार के दौरान
स्वतंत्र राजनीतिक और सैन्य
शोधकर्ता टिमॉथी फॉक्सली ने
भी कहा, आईएसकेपी
के लड़ाकों में
कई देशों के
लोग शामिल हैं,
जिनमें ज्यादातर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के
लड़ाके हैं।