यदि आप देवी के भक्त है तो आपको यह लेख जरूर अंत तक पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे आपके भ्रम का समाधान होगा। तब आप जान सकेंगे कि आप किस देवी की पूजा कर रहे हैं। हिन्दू धर्म में सैंकड़ों देवियां हैं। उनमें से कुछ प्रजापतियों की पुत्रियां हैं, तो कुछ स्यंभू हैं और कुछ अन्य किसी देवता की पत्नियां हैं। यहां हम जानते हैं माता दुर्गा का रहस्य जिन्हें अम्बे, जगदम्बे, शेरावाली, पहाड़ावाली, चामुंडा, तुलजा आदि कहा जाता है। जिन्हें महिष मर्दिनी और शुम्भ-निशुम्भ, चंड-मुंड और रक्तबीज आदि का वध करने वाली कहा जाता है। लेकिन क्या ये सभी देवियां एक ही है या अलग-अलग? क्या ब्रह्मा की पत्नीं सरस्वती उनकी पुत्रीं थीं और क्या लक्ष्मी दो थीं? यह तो आप जानते ही होंगे कि सरस्वती और लक्ष्मी इन दुर्गा माता से भिन्न हैं, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि पार्वती भी क्या दुर्गा या अम्बे ही है? क्या काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला ये सभी एक ही माता हैं? क्या शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता सभी एक ही है? जानिए इसका रहस्य...
आदि शक्ति मां जगदम्बे👉 शिवपुराण के अनुसार उस अविनाशी परब्रह्म (काल) ने कुछ काल के बाद द्वितीय की इच्छा प्रकट की। उसके भीतर एक से अनेक होने का संकल्प उदित हुआ। तब उस निराकार परमात्मा ने अपनी लीला शक्ति से आकार की कल्पना की, जो मूर्तिरहित परम ब्रह्म है। परम ब्रह्म अर्थात एकाक्षर ब्रह्म। परम अक्षर ब्रह्म। वह परम ब्रह्म भगवान सदाशिव है। एकांकी रहकर स्वेच्छा से सभी ओर विहार करने वाले उस सदाशिव ने अपने विग्रह (शरीर) से शक्ति की सृष्टि की, जो उनके अपने श्रीअंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी। सदाशिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धि तत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। वह शक्ति अम्बिका (पार्वती या सती नहीं) कही गई है। उसको प्रकृति, सर्वेश्वरी, त्रिदेव जननी (ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता), नित्या और मूल कारण भी कहते हैं। सदाशिव द्वारा प्रकट की गई उस शक्ति की 8 भुजाएं हैं। पराशक्ति जगतजननी वह देवी नाना प्रकार की गतियों से संपन्न है और अनेक प्रकार के अस्त्र शक्ति धारण करती है। एकांकिनी होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवशात अनेक हो जाती है। उस कालरूप सदाशिव की अर्द्धांगिनी को ही अम्बा जगदम्बा कहते हैं।
नवरात्रि की नौ देवियां👉 नवरात्रि के नौ दिनों में जिन देवियों को पूजा जाता है उनमें से कौन सी देवी का संबंध किससे है यह जानना जरूरी है। पहली देवी शैलपुत्री को सती कहा गया है जो दक्ष की पुत्र थीं, जिन्होंने यज्ञ की आग में कूदकर खुद को भस्म कर लिया था। इसके बाद उन्होंने ही ब्रह्मचारिणी के रूप में दूसरा जन्म लिया और वे ही बाद में स्कंद (कार्तिकेय) की माता कहलाई। कठोरतप करने के कारण जब उनका वर्ण काला पड़ गया तब शिव ने प्रसंन्न होकर इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से मलकर धोया तब वह विद्युत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान-गौर हो उठा। तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा। यही माता हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती कहलायी।