ईरान ने मंगलवार रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सुन्नी आतंकी संगठन ‘जैश-अल-अदल’ के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया। इसकी जानकारी ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी IRNA ने दी। खास बात यह है कि जानकारी देने के कुछ देर बाद न्यूज एजेंसी ने यह खबर अपने पोर्टल से हटा दी।
इसके बाद देर रात करीब 2 बजे पाकिस्तान की तरफ से इस मामले में पहला रिएक्शन सामने आया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा- ईरान ने हमारे एयरस्पेस का उल्लंघन किया है। इस दौरान दो बच्चे मारे गए, जबकि तीन लड़कियां घायल हुईं। ईरान को इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे।
पाकिस्तान की धमकी- गंभीर नतीजे होंगे
पाकिस्तान ने आगे कहा- ईरान का यह कदम इसलिए और परेशान करने वाला है, क्योंकि दोनों देशों के बीच बातचीत के कई चैनल्स मौजूद हैं। हमने तेहरान में ईरानी सरकार से संपर्क किया है और उन्हें अपना नजरिया बता दिया है।
ईरान के डिप्लोमैट को भी तलब किया गया है। हमने हमेशा कहा है कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा है और इससे मिलकर निपटना होगा। लेकिन, इस तरह की एकतरफा कार्रवाई से ईरान और पाकिस्तान के रिश्ते खराब होंगे।
ईरानी मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान के जिस इलाके में हमला किया गया उसे ग्रीन माउंटेन नाम से जाना जाता है। मामले में पाकिस्तान की सेना की तरफ से फिलहाल कोई बयान सामने नहीं आया है।
हमले की वजह क्या?
ईरान एक शिया बहुल देश है, जबकि पाकिस्तान में करीब 95% लोग सुन्नी हैं। पाकिस्तान के सुन्नी संगठन ईरान का विरोध करते रहे हैं। इसके अलावा बलूचिस्तान का जैश अल अदल आतंकी संगठन ईरान की सीमा में घुसकर कई बार वहां की सेना पर हमले करता रहा है। ईरान की सेना को रिवॉल्यूशनरी गार्ड कहा जाता है। ईरान सरकार कई बार पाकिस्तान को आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने की वॉर्निंग दे चुकी है।
इजराइल के साथ जंग में हमास का समर्थन कर रहे ईरान-पाकिस्तान
जैश अल अदल के ज्यादातर आतंकी दूसरे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से आए हैं। इजराइल-हमास जंग में ईरान खुलकर हमास का साथ दे रहा है और इस मामले में पाकिस्तान भी हमास का पक्ष ले रहा है।
ईरान ने सोमवार को इराक पर भी हमला किया था। तब उसने कहा था कि इराक में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हेडक्वॉर्टर है और इसे ही निशाना बनाया गया है। इराक ने इसे अपने देश पर हमला बताते हुए ईरान के ऐंबैस्डर को तलब किया था। बाद में इराकी सेना के तरफ से कहा गया कि इस हमले का सही वक्त पर जवाब दिया जाएगा।
आतंकी हमले में मारे गए थे 8 ईरानी सैनिक
2015 में पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे। तब ईरान के आठ सैनिक पाकिस्तान से ईरानी क्षेत्र में घुसे सुन्नी आतंकवादियों के साथ संघर्ष में मारे गए। यह आतंकी भी जैश अल अदल के थे। तब ईरान सरकार ने कहा था- हमारी सीमा पर तैनात सैनिकों का पाकिस्तान से घुसे आतंकवादियों के साथ संघर्ष हुआ। हमारे आठ सैनिक शहीद हो गए। हम इस मामले में जवाबी कार्रवाई जरूर करेंगे।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सुन्नी आबादी अधिक है और उसके आतंकवादी बार-बार शिया देश ईरान के सैनिकों पर हमला करते रहते हैं। इससे पाकिस्तान-ईरान सीमा पर तनाव की स्थिति बनी रहती है।
2021 में भी की थी ईरान ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक
2021 में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ईरानी सेना के कमांडोज ने 2 फरवरी 2021 की रात पाकिस्तान में दाखिल होकर एक सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। दरअसल, जैश-अल अदल ने ईरान के दो सैनिकों को अगवा कर लिया था। इनको छुड़ाने के लिए कमांडोज ने ऑपरेशन को अंजाम दिया था।
ईरान ने पाकिस्तानी फौज को इस एक्शन की पहले से कोई जानकारी नहीं दी थी। 3 फरवरी को ईरानी सैनिकों ने अपने मिशन को सफल बताया था और साथियों को छुड़ाने की जानकारी दी थी।
जैश अल अदल ने फरवरी 2019 में भी इसी इलाके में ईरानी सैनिकों की बस पर हमला किया था। इस हमले में कई ईरानी सैनिक मारे गए थे और दर्जनों घायल हुए थे। अक्टूबर 2018 में इस आतंकवादी संगठन ने 14 ईरानी सैनिकों का अपहरण कर लिया था। ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत के मीरजावेह बॉर्डर पर इस घटना को अंजाम दिया गया था। इनमें से 5 सैनिकों को एक महीने बाद छोड़ दिया गया था।
कहा जाता है कि बाद में ईरानी कमांडोज ने एक सीक्रेट ऑपरेशन में इन सैनिकों न सिर्फ छुड़ा लिया था, बल्कि जैश अल अदल के कई आतंकियों को मार गिराया था। इसकी पुष्टि ईरान के पाकिस्तान में मौजूद राजदूत ने भी की थी।
ईरान में थे विदेश मंत्री जयशंकर
इजराइल-हमास और रूस-यूक्रेन के चलते जियोपॉलिटिक्स तेजी से बदल रही है। इसका फायदा यमन के हूती विद्रोही और लेबनान का आतंकी संगठन हिजबुल्लाह उठा रहे हैं। खास बात ये है कि इन दोनों ही संगठनों को ईरान की कठपुतली माना जाता है। हूती विद्रोही लाल सागर यानी रेड सी में दुनिया के तमाम देशों के कार्गो जहाजों को निशाना बना रहे हैं।
इसी जियोपॉलिटिक्स में भारत के हितों को देखते हुए हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार और मंगलवार को ईरान दौरे पर थे। इसी दौरान, एक मीडिया आउटलेट ने खबर दी कि हूती विद्रोही सिर्फ पश्चिमी देशों के कार्गो शिप्स को निशाना बना रहे हैं और भारत सीधे तौर पर उनके निशाने पर नहीं है।
न्यूज 18 ने यह दावा एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर किया। इसके मुताबिक- ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) या सेना और हिजबुल्लाह मिलकर हूती विद्रोहियों को ट्रेनिंग देते हैं।
साथ ही ये जहाजों के जरिए हूती विद्रोहियों को ड्रोन्स, बैलिस्टिक मिसाइलें और दूसरे हथियार भी पहुंचाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन इन्हें फैक्ट्री बनाने, हथियारों के पार्ट्स की तस्करी करने और कई मामलों में सलाह देने का काम करता है। दूसरी तरफ, ईरान पश्चिमी देशों के खिलाफ भारत को एक सहयोगी के तौर पर देखता है।