ईरान की नौसेना ने गुरुवार को ओमान की खाड़ी में एक तेल ले जा रहे एक जहाज (ऑयल टैंकर) को जब्त कर लिया। सेंट निकोलस नाम का यह जहाज इराक से तुर्किये जा रहा था। इसमें इराकी तेल था। यह वही जहाज है जिसे अप्रैल 2022 में अमेरिका ने जब्त किया था। तब इस जहाज का नाम नाम स्वेज राजन था। इसमें लगभग 10 लाख बैरल ईरानी तेल था।
अमेरिका ने यह कार्रवाई ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध के तहत की थी। हालांकि ईरान ने इसे चोरी बताया था। ईरान ने कहा था- अमेरिकी ने ईरानी तेल से भरा जहाज चुरा लिया। इस घटना के बाद जहाज का नाम बदल दिया गया था।
ताजा मामले पर ईरानी मीडिया IRNA ने नौसेना के हवाले से कहा- ईरान की नौसेना ने अदालत के आदेश के मुताबिक ओमान की खाड़ी में एक अमेरिकी तेल टैंकर जब्त किया है। ईरानी नौसेना ने कहा- पिछले साल अमेरिका ने हमारा तेल और जहाज चुरा लिया था, जिसे हमने अब जब्त कर लिया है।
जहाज पर घुसे 4-5 हथियारबंद लोगों ने ईरान जाने के आदेश दिए
यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस (UKMTO) के मुताबिक, गुरुवार सुबह ओमान के सोहार पोर्ट के पास कुछ हथियारबंद लोगों ने सेंट निकोलस जहाज को अपने कब्जे में ले लिया था। इन लोगों ने जहाज को ईरान की तरफ ले जाने के आदेश दिए थे।
UKMTO को जानकारी मिली थी कि सेंट निकोलस जहाज पर काले रंग का मास्क और मिलिट्री स्टाइल यूनिफॉर्म पहने 4-5 लोग घुस गए थे। इन्होंने जहाज पर लगे कैमरे कपड़े से ढक दिए और जहाज को ईरान में बंदर-ए-जस्क की तरफ जाने के आदेश दिए। यह जानकारी मिलने के बाद जहाज से कम्युनिकेशन टूट गया था।
जहाज पर ग्रीस और फिलिपींस के नागरिक
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक जहाज का मालिकाना हक ग्रीस के पास है, जबकि इस पर मार्शल आईलैंड का झंडा लगा है। ग्रीस का एम्पायर नेविगेशन जहाज को मैनेज करता है। एम्पायर नेविगेशन के मुताबिक 1.45 लाख टन कच्चे तेल से भरा यह जहाज इराक के बसरा से तुर्की के अलीगा जा रहा था। इस पर 19 क्रू मेंबर सवार थे, इनमें फिलिपींस के 18 नागरिक और ग्रीस का एक नागरिक था।
ओमान की खाड़ी में तनाव बढ़ने की आशंका
मिडिल ईस्ट में लगातार तनाव बढ़ रहा है। पहले गाजा, फिर लाल सागर और अब ईरान की तेल टैंकर जब्त करने वाली कार्रवाई के बाद ओमान की खाड़ी में भी तनाव बढ़ने की आशंका है।
इजराइल-हमास जंग के चलते लाल सागर में पहले से ही तनाव है। यमन के हूती विद्रोही लगातार इजराइल से जुड़े जहाजों पर हमला कर रहे हैं। वो जहाजों को हाईजैक भी कर रहे हैं। वहीं, 12 जनवरी को अमेरिका और ब्रिटेन की सेना ने यमन में हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाकों पर हमले शुरू कर दिए।