ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने सोमवार देर रात इराक के एरबिल शहर में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के दफ्तरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई। ईरान की स्टेट न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक मिसाइलें ईरान विरोधी आतंकी खुफिया केंद्रों पर दागीं गई हैं। हालांकि, इजराइल ने इस हमले को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
ईरान ने इस हमले को इजराइल के अटैक मारे गए अपने कमांडरों का बदला बताया है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में इजराइल ने सीरिया और लेबनान में एयर स्ट्राइक की थीं। इनमें ईरान के ब्रिगेडियर जनरल राजी मुसावी और हमास के डिप्टी लीडर सालेह अल अरूरी की मौत हो गई थी।
ये दोनों ही ईरान की सत्ता के काफी करीबी थे। ईरान ने सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हमले किए हैं।
अमेरिकी दूतावास के पास हुआ हमला
अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान का हमला कुर्दिस्तान की राजधानी एरबिल से करीब 40 किमी उत्तर-पूर्व में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के करीब हुआ। दूतावास में भी विस्फोटों की आवाज सुनी दी। दो अमेरिकी अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि मिसाइलों के हमले से कोई भी अमेरिकी फैसिलिटी प्रभावित नहीं हुई।
अमेरिका ने इराक में ईरानी हमले की आलोचना की है। अमेरिका ने इसे जल्दबाजी में उठाया कदम बताया है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैट मिलर ने कहा- ये हमला इराक की स्थिरता के लिए करारा झटका है।
हम चाहते हैं कि इराक में और कुर्दिस्तान में स्थिरता आए और वहां कि सरकारें इराक के लोगों के लिए ठीक से काम कर पाए। दरअसल, इराक ने आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ लंबी जंग लड़ी है। इसके बाद वहां स्थिरता आनी शुरू हुई है।
कुर्द करोड़पति की मौत
इराकी सुरक्षा अधिकारियों ने मुताबिक मृतकों में करोड़पति कुर्द व्यवसायी पेश्रा दिजायी और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं। एक रॉकेट उनके घर पर गिरा, जिससे उनकी मौत हो गई। दिजायी सत्तारूढ़ बरजानी कबीले के करीबी थे। वह कुर्दिस्तान में रियल एस्टेट परियोजनाओं से जुड़े थे।
सूत्रों के मुताबिक एक रॉकेट एक वरिष्ठ कुर्द खुफिया अधिकारी के घर पर और दूसरा कुर्द खुफिया केंद्र पर गिरा। इन हमलों के बाद एरबिल हवाईअड्डे पर हवाई यातायात रोक दिया गया।
ईरान ने पहले भी इराक के उत्तरी कुर्दिस्तान क्षेत्र में हमले किए हैं। ईरान का कहना है कि इस क्षेत्र का इस्तेमाल ईरानी अलगाववादी समूह और इजरायल के एजेंट उसके खिलाफ करते है। दरअसल, इराक, ईरान और तुर्किये में के बॉर्डर इलाकों में कुर्द समुदाय के लोगों की काफी तादाद है। ये लोग अपने लिए एक अलग मुल्क की मांग कर रहे हैं। ईरान इस मांग के सख्त खिलाफ है।
इराक की मांग देश से अपने सेना निकाले अमेरिका और उसके साथी देश
गाजा में हमास और इजराइल के खिलाफ जंग छिड़ने के बाद ईरान और अमेरिका में अप्रत्यक्ष जंग छिड़ी हुई है। दोनों देश इराक और सीरिया में एक-दूसरे के ठिकानों पर हमले कर रहे हैं। इससे इराक के सुरक्षा हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इस बीच पिछले हफ्ते इराक के प्रधान मंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने अमेरिका से मांग की थी कि वो अपने नेतृत्व वाले सैन्य बलों की उनके देश से निकाल ले।
हालांकि, इसके लिए कोई डेडलाइन सेट नहीं की है। सुदानी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ये हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है कि कुछ देश आपसी लड़ाई के बीच हमारी जमीन का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
सद्दाम को फांसी के 5 साल बाद यानी 2011 तक अमेरिकी सेना इराक में रही। इसके बाद 2014 में ISIS से लड़ने के लिए वापस लौट आई। फिलहाल इराक में अमेरिका के 2500 सैनिक तैनात हैं।