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जी20 की सफलता पर दुनियाभर में भारत की जय-जय, चीन को लगी मिर्ची, ग्‍लोबल टाइम्‍स ने उगला जहर

Updated on 13-09-2023 01:58 PM
बीजिंग: चीन की लाख कोशिशों के बावजूद भी भारत ने सफलतापूर्वक जी-20 शिखर सम्मेलन करा लिया है। इस शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी चुनौती संयुक्त विज्ञप्ति पर सभी देशों की सहमति थी। लेकिन भारत शिखर सम्मेलन के पहले ही दिन इसमें कामयाब रहा। पश्चिम और खाड़ी देशों का मीडिया जहां इसे भारत की कामयाबी और डिप्लोमैटिक जीत बताता रहा तो वहीं अब चीन का मीडिया जहर उगलने लगा है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में लिखा कि भारत ग्लोबर पावर बनने का सपना देख रहा है, जो पूरा होना मुश्किल है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत आखिरकार संयुक्त घोषणा पत्र पर सहमति बनाने में कामयाब रहा, जिसने उसे एक निरर्थक शिखर सम्मेलन की शर्मिंदगी से बचा लिया। उसने इस बात का भी जिक्र किया कि पहले की मीटिंग में कभी भी सहमति नहीं बनी थी, जो मतभेदों वाली दुनिया से निपटने के लिए भारत का संघर्ष दिखाती है। चीन ने कहा कि संयुक्त घोषणा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जी-20 भूराजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है।

चीन को चैलेंज मानता है पश्चिम

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि इस शिखर सम्मेलन की कामयाबी दिखाता है कि पश्चिमी देश इसे 'हाइजैक' नहीं कर सके। यह विकासशील देशों और ग्लोबल साउथ की ताकत को दिखाता है। चीन ने लिखा कि आम सहमति पर पहुंचने के लिए पश्चिमी देशों के राजनयिक यूक्रेन से जुड़े शब्द हटाने को तैयार हो गए। क्योंकि वह चाहते थे कि इस सम्मेलन को भारत की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जाए। ग्लोबल टाइम्स ने अल जजीरा की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा, 'पश्चिमी देश चीन की बढ़ती ताकत से चिंतित है और वह भारत को उसके सामने बढ़ाना चाहते हैं।'

हजम नहीं हो रही कामयाबी

ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत की नरेंद्र मोदी सरकार जी-20 को आने वाले चुनाव में फायदे के तौर पर देख रही थी। ग्लोबल टाइम्स ने यह भी कहा कि भारत अपने आप को ग्लोबल साउथ और पश्चिम के बीच एक ब्रिज की तरह देखता है। उसने कहा, 'भारत के महाशक्ति बनने का सपना आदर्शवादी है, लेकिन इससे मिलने वाली असफलताएं बेहद क्रूर हैं। जी-20 में रूस की निंदा की मांग के लिए भारत पश्चिम के दबाव में शुरू से रहा है। भारत रूस के साथ अपनी साझेदारी भी रखना चाहता है, साथ ही अमेरिका को खुश कर रहा है और ग्लोबल साउथ का प्रवक्ता बनने की कोशिश में है।' हालांकि ग्लोबल टाइम्स यह बताना भूल गया कि इसी को सफल डिप्लोमेसी कहा जाता है।

भारत के खिलाफ जहर

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि जी-20 एजेंडे में ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक और जियोपॉलिटिकल विचारों को शामिल किया गया, जिस कारण इसके देशों की उम्मीदें कम हो गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को खाद्य और ऊर्जा संकट से निपटने पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन इस अवसर से वह गायब है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत ने चीन से विवाद किए हैं, जिसका लक्ष्य ग्लोबल साउथ के देशों के सामने चीन को नीचा दिखाकर खुद आगे बढ़ना रहा है। यह भारत के प्रमुख शक्ति बनने के सपने को पूरा नहीं होने देगा।


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