Select Date:

भारत के स्वतंत्रता की विकास यात्रा: स्वतंत्रता दिवसों के माध्यम से यात्रा की पथ पर निगरानी

Updated on 14-08-2023 02:14 PM
1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से भारत की स्वतंत्रता में होने वाले विकास के सफर ने अद्वितीय रूप से महत्वपूर्ण चरणों की गवाही दी है। प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस ने न केवल राष्ट्र की स्वराज्यता के उत्सव का आयोजन किया है, बल्कि यह भारतीय जनता की विकसित आकांक्षाओं, संघर्षों और प्राप्तियों के विकसित आवश्यकताओं, सपनों की परिस्थितियों की परिप्रेक्ष्य में बदलाव को प्रकट किया है। यह निबंध भारत के स्वतंत्रता की विकसित यात्रा की दिशा में उभरते मील के पत्थरों और देखे गए बदलावों की मुख्य घटनाओं को हाइलाइट करने का प्रयास करता है।

1947-1950: एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की नींव रखना
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् चार वर्षों तक की यह यात्रा भारत की लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण थी। 26 जनवरी 1950 को संविधान की स्वीकृति ने महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक किया, क्योंकि भारत आधिकारिक रूप से एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया, जिसमें उसकी सरकार थी। इस दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्तव्यों का निर्माण हुआ, जिससे लोकतांत्रिक सिद्धांतों के आदर्शों को बनाए रखने का प्रयास किया गया।

1950-1960: एकता और विविधता का समेकन
प्रारंभिक दशक में, भारत ने अपनी विविध जनसंख्या को समेकित करने और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया। 1956 में भाषाई पुनर्व्यवस्थान ने क्षेत्रीय आकांक्षाओं की पूर्ति का उद्देश्य रखा जबकि राष्ट्र की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किया गया। इस दौरान भारतीय प्रगति के प्रतीक भाखड़ा नंगल डैम के निर्माण की प्रक्रिया को देखा गया, जो प्रगति और स्वावलंबन की प्रतीक थी।

1960-1970: आर्थिक स्वावलंबी की दिशा में प्रयास करना 1960 के दशक में भारत ने आर्थिक स्वावलंबी प्राप्त करने के प्रयास किए, हरित क्रांति और सार्वजनिक क्षेत्र के परियोजनाओं के माध्यम से। भारत ने आयात पर निर्भरता कम करने और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा। "जय जवान, जय किसान" का नारा राष्ट्र-निर्माण में सैनिकों और किसानों के महत्व को प्राथमिकता देने का महत्वपूर्ण संकेत था।

1970-1980: सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना 1970 के दशक ने सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करने का दौर मार्क किया। भूमि सुधार और गरीबी उपशमन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज की पिछड़ी वर्गों को उत्थान देने का था। 1976 में 42वां संशोधन समाजवादी सिद्धांतों और मौलिक कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः आश्वस्त किया। हालांकि, इस युग ने आपातकाल की चुनौतियों को भी देखा, जिसने लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा के महत्व को सुनिश्चित किया।

1980-1990: तकनीकी उन्नतियों और वैश्विक जुड़ाव
1980 के दशक में भारत ने तकनीकी उन्नतियों को ग्रहण किया और वैश्विक मंच पर खुलकर उतरने का दिशा में कदम बढ़ाया। "ऑपरेशन फ्लड" जैसी पहल के माध्यम से भारत ने दूध उत्पादन में स्वावलंबी बन गया, जबकि "इनसैट" उपग्रह श्रृंगारण और मौसमी योग्यताओं को मजबूत किया। दशक के अंत में आर्थिक उदारीकरण ने 1990 के दशक के परिवर्तनात्मक परिवर्तनों की नींव रखी।

1990-2000: आर्थिक उदारीकरण और सूचना काल
1990 के दशक ने भारत की विकास की कहानी में एक बदलाव का संकेत दिया। आर्थिक उदारीकरण नीतियां लाइसेंस राज को विखंडित करने के रूप में खत्म करने की ओर बढ़े, विदेशी निवेश को आमंत्रित करने और उद्योगों को बढ़ावा देने वाले थे। सूचना काल की शुरुआत में ही आईटी क्षेत्र का उदय हुआ, जिससे भारत को प्रौद्योगिकी सेवाओं का वैश्विक केंद्र बनाने का संकेत मिला। 1999 में कारगिल युद्ध ने भारत की स्वराज्य की रक्षा में निष्ठा को प्रदर्शित किया।

2000-2010: सतत आर्थिक वृद्धि और समावेशी विकास
21वीं सदी के पहले दशक ने सतत आर्थिक विकास की गवाही दी, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनरेगा) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से समावेशी विकास की सुनिश्चिति देने के प्रयास किए गए।

2010-2020: डिजिटल क्रांति और सामाजिक-राजनीतिक जागरूकता 2010 के दशक ने भारत में डिजिटल क्रांति की शुरुआत की, "आधार" और "डिजिटल इंडिया" जैसी पहलों के माध्यम से जिसने प्रशासन और सेवा प्राप्ति को परिवर्तित किया। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और "निर्भया" मामले जैसे सामाजिक आंदोलन ने महिला सुरक्षा, उत्तरदायिता और शासन पर चर्चाएँ पैदा की। सेक्शन 377 की अवैधता के माध्यम से एलजीबीटीक्यू+ समुदाय को कानूनी मान्यता प्राप्त हुई।

2020-2023: महामारी के चुनौतियों का सामना करना
COVID-19 महामारी ने भारत और दुनिया के लिए बिना पूर्वानुमान के चुनौतियों का सामना किया। देश ने स्वास्थ्य संकट, आर्थिक विघटन और सामाजिक स्थाननों से जूझा। हालांकि, संकट ने सहनशीलता, समुदाय सौहार्द और प्रौद्योगिकी नवाचार को प्रदर्शित किया, जिससे एकता की आत्मा को प्रदर्शित किया गया।

जैसे ही भारत प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस को याद करता है, वह न केवल अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता का जश्न मनाता है, बल्कि अपने राष्ट्र के रूप में अपनी वृद्धि पर भी विचार करता है। इस यात्रा को संघर्षों, उपलब्धियों और आकांक्षाओं से चिह्नित किया गया है, प्रत्येक अवधि ने राष्ट्र के विकास में अनूठे तरीकों से योगदान दिया। एकता को समेटने से लेकर प्रौद्योगिकीक व्रतांतों का स्वागत करने तक, स्वतंत्रता के मामूलों के संदर्भ में भारत की वृद्धि एक चलने वाली प्रक्रिया है जो अपने विविध जनसंख्या की आवश्यकताओं और सपनों की विकसित हो रही है। जैसे ही भारत प्रगति करता है, उसे अपने नागरिकों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य आकार देने के साथ-साथ स्वतंत्रता, समानता और न्याय के मूल्यों को बनाए रखने की आवश्यकता है, जबकि समकालिक चुनौतियों का समाधान करते हुए।
- वासवी राजु बरडे,‌ लेखक,नागपुर, महाराष्ट्र

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 27 March 2025
कुणाल कामरा किस स्तर के काॅमेडियन हैं और उनके तेवर क्या है, इन सवालों को थोड़ा अलग रखें तो प्रश्न उठता है कि उनकी पैरोडी को भी जिस तरह महाराष्ट्र…
 22 March 2025
                                                           …
 21 March 2025
मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव की सरकार का दूसरा बजट वर्ष 2025-26 हेतु उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत किया गया है।यह बजट,स्वतंत्रता के अमृत काल में मध्य प्रदेश…
 21 March 2025
घनघोर जातिवाद के चक्रव्यूह में घिरे बिहार मं  सीता माता का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा क्या आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए ‘गेमचेंजर’ साबित होगी? क्या राम मंदिर…
 18 March 2025
भगवान कहते हैं कि यह संसार यहां के सभी मनुष्य और प्राणी मात्र मेरे हैं मेरी रचना से हैं अतः यहां भेदभाव मत करो हवा पानी मिट्टी आकाश सब पर…
 16 March 2025
अमुमन सभी समाज में सोश्यल ग्रुप बने हैं, सोश्यल ग्रुपों की स्थापना का मकसद आपसी मैत्री और सामाजिक तालमेल बडाने को ध्यान में रखकर की गई होगी परंतु धीरे-धीरे यही…
 15 March 2025
मैं रंग हूँ,मुझे बेरंग न कर,मेरे उजास में अंधकार काकभी प्रसंग न कर।मैं हूँ लाल, प्रेम और साहस का प्रतीक,पीला, शुभ्र ज्ञान का संगीत।नीला, असीमित आसमान की छाँव,हरा, जीवन देता…
 13 March 2025
भोपाल। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा प्रस्तुत राज्य के वर्ष 2025-26 के बजट में जहां अधोसरंचना विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा पर ज्यादा खर्च सरकार की बुनियादी विकास की इच्छाशक्ति दिखती…
 13 March 2025
जेंडर समानता और मानवाधिकारों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि और कई अन्य घोषणाओं, समझौतों और वायदों के बावजूद, सरकारें अपने वायदे पूरे करने में विफल रही हैं। जेंडर असमानता…
Advertisement