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भारत-श्रीलंका के शिप मालदीव पहुंचे:यहां तीन देशों की मिलिट्री ड्रिल में हिस्सा लेंगे

Updated on 23-02-2024 02:31 PM

भारत और श्रीलंका के नेवी शिप गुरुवार को मालदीव की राजधानी माले पहुंच गए। ये शिप यहां मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के साथ नेवी एक्सरसाइज में हिस्सा लेंगे।

खास बात यह है कि माले से कुछ दूरी पर चीन का स्पाय शिप जियांग यांग होंग 03 भी मौजूद है। लोकल मीिडया ‘अधाधु’ की रिपोर्ट के मुताबिक- चीन का स्पाय शिप करीब एक महीने से मालदीव एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में मौजूद है।

मालदीव के चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु अपनी इस पॉलिसी को लेकर घिरते जा रहे हैं। संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है। संसद में विपक्ष का बहुमत है।

दोस्ती 16 मिलिट्री ड्रिल

मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स ने भारत और श्रीलंका के नेवी शिप यहां पहुंचने की जानकारी सोशल मीडिया पर दी है। इसमें कहा गया- भारत, मालदीव और श्रीलंका यहां जॉइंट नेवी ड्रिल में हिस्सा लेंगे। इसके लिए भारत और श्रीलंका के शिप यहां पहुंच चुके हैं। हम उनका स्वागत करते हैं। यह एक्सरसाइज गुरुवार से रविवार तक चलेगी। ऑब्जर्वर के तौर पर बांग्लादेश को इनवाइट किया गया है।

बयान के मुताबिक- इस एक्सरसाइज का मकसद तीनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाना है। हम ये तय करना चाहते हैं कि ड्रिल में हिस्सा लेने वाले देश यहां सभी संभवनाओं की तलाश करें। इसके अलावा समुद्री सुरक्षा पर भी सहयोग बढ़ाना इस एक्सरसाइज का मकसद है। इसके पहले 2021 में यह नेवी ड्रिल ऑर्गनाइज की गई थी। भारत और मालदीव ने 1991 में पहली बार यह सैन्य सहयोग कार्यक्रम शुरू किया था।

चीन का स्पाय शिप भी माले के करीब पहुंचा

एक तरफ जहां, भारत और श्रीलंका के नेवी शिप यहां मिलिट्री ड्रिल के लिए पहुंचे हैं तो गुरुवार को ही चीन का स्पाय शिप जियांग यांग होंग 03 माले के करीब पहुंच गया। लोकल अखबार ‘अधाधु’ की रिपोर्ट के मुताबिक- चीन का स्पाय शिप करीब एक महीने से मालदीव के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) में मौजूद था और गुरुवार को यहां क्यों पहुंचा, इस बारे में मालदीव सरकार ने कुछ नहीं बताया।

मालदीव सरकार ने तो यह तक नहीं बताया था कि चीनी स्पाय शिप एक महीने तक कहां मौजूद था। इस स्पाय शिप ने 14 जनवरी को चीन से यात्रा शुरू की थी। इसके ठीक एक दिन पहले मालदीव के प्रेसिडेंट मोहम्मद मुइज्जु का चीन दौरा खत्म हुआ था।

रिपोर्ट के मुताबिक- मालदीव के समंदर में इस स्पाय शिप को दूर से नहीं देखा जा सकता, क्योंकि ये किनारे से काफी दूर है। स्पाय शिप का ट्रैकिंग सिस्टम बंद कर दिया गया है। लिहाजा, इसकी सही लोकेशन नहीं मिल सकी। हालांकि, ये जरूर कन्फर्म है कि 22 जनवरी को यह इंडोनेशिया में मौजूद था।

कुछ दिन पहले मालदीव की फॉरेन मिनिस्ट्री ने बताया था कि चीन का एक जहाज माले पहुंचने वाला है। हालांकि, तब ये नहीं बताया गया था कि ये स्पाय शिप है या कोई सामान्य जहाज।

भारत की पैनी नजर

पिछले महीने जारी द हिंदू की रिपोर्ट मुताबिक- भारत सरकार के अधिकारियों ने जासूसी जहाज के मालदीव की ओर बढ़ने की बात स्वीकार की है। एक भारतीय अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि ये एक रूटीन मूवमेंट हो सकता है। हालांकि, भारतीय नौसेना इस जहाज पर कड़ी नजर रख रही है।

डिफेंस एक्सपर्ट चीनी जासूसी जहाज के मालदीव पहुंचने को सिर्फ एक रूटीन मूवमेंट मानने से इनकार करते हैं। उनका कहना है कि चीन किसी भी जंग या दूसरे चीजों की तैयारी दशकों पहले शुरू कर देता है।

यही वजह है कि पिछले कुछ समय से हिंद महासागर में चीनी जासूसी जहाजों की तैनाती में काफी वृद्धि हुई है। हिंद महासागर में इन जासूसी जहाजों की ज्यादातर मौजूदगी भारत के आसपास ही देखी गई है।

चीन के ये जहाज समुद्र में ट्रैवल करते समय रिसर्च करने के साथ ही जरूरी डेटा भी इकट्ठा करते हैं। इसके लिए इसमें ताकतवर उपकरण लगे होते हैं। ये चीनी जासूसी जहाज अपने समुद्री रास्ते में तैनात किसी दूसरे देश के जहाजों और पनडुब्बियों का भी पता लगाते हैं।

ये जहाज समुद्र के अंदर की हर चीज को ट्रैक कर रहा है। यह मरीन इंफॉर्मेशन चीन को भेज रहा है, ताकि वक्त आने पर इन्हीं जानकारी का इस्तेमाल करके चीनी पनडुब्बी हिंद महासागर में अपने मकसद में कामयाब हो सके।

चीन भारत को जमीन और समुद्र दोनों जगहों पर घेरना चाहता है। चीन ने हमें समुद्र में घेरने के लिए तीन मुख्य बंदरगाह- पाकिस्तान में ग्वादर, श्रीलंका में हंबनटोटा और बांग्लादेश में कॉक्स बाजार बनाए हैं।

इसके अलावा चीन भारत के करीब अब दो और बंदरगाह मालदीव में लामू एटॉल और म्यामांर में क्याउकफ्यू बना रहा है। हिंद महासागर में चीनी जासूसी जहाजों का दौरा इसी कड़ी का एक हिस्सा है।
रिसर्च वेसल या स्पाय शिप

चीन ने अपने जियांग यांग होंग 03 और युआन वांग-6 जैसे जासूसी जहाजों को रिसर्च वेसल कहता है। वहीं, भारत इसे जासूसी जहाज कहता है। इसकी वजह ये है कि चीनी सेना इस जहाज को ऑपरेट करती है।

ये पूरे प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में काम करने में सक्षम हैं। ये शिप जासूसी कर बीजिंग के लैंड बेस्ड ट्रैकिंग स्टेशनों को पूरी जानकारी भेजते हैं। चीन युआन वांग क्लास शिप के जरिए सैटेलाइट, रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग को ट्रैक करता है।

अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शिप को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी PLA की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स यानी SSF ऑपरेट करती है। SSF थिएटर कमांड लेवल का ऑर्गेनाइजेशन है। यह PLA को स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और साइकोलॉजिकल वारफेयर मिशन में मदद करती है।

चीन के जासूसी जहाज पावरफुल ट्रैकिंग शिप हैं। ये शिप अपनी आवाजाही तब शुरू करते हैं, जब भारत या कोई अन्य देश मिसाइल टेस्ट कर रहा होता है। शिप में हाईटेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। इससे यह 1,000 किमी दूर हो रही बातचीत को सुन सकता है।

मिसाइल ट्रैकिंग शिप में रडार और एंटीना से बना इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगा होता है। ये सिस्टम अपनी रेंज में आने वाली मिसाइल को ट्रैक कर लेता है और उसकी जानकारी एयर डिफेंस सिस्टम को भेज देता है। यानी, एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज में आने से पहले ही मिसाइल की जानकारी मिल जाती है और हमले को नाकाम किया जा सकता है।



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