प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा जिस भव्य और आत्मीय स्वागत-सत्कार के बीच संपन्न हुआ, वह कोई सामान्य बात नहीं है। इस राजकीय यात्रा की कामयाबी के पीछे वे अहम समझौते तो हैं ही जो रक्षा और अन्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाते हुए दोनों देशों को और करीब लाने वाले हैं, प्यार और सम्मान का वह माहौल भी है जिसने इसे संभव बनाया और जो इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी के हर कार्यक्रम में हर मौके पर दिखा, चाहे वह राष्ट्रपति जो बाइडन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडन के दिए डिनर की बात हो या अमेरिकी कांग्रेस में मोदी के भाषण की।इस सम्मान के पीछे भारत की अपनी ताकत, उसकी बढ़ती इकॉनमी तो है ही, लेकिन खास तौर पर इसका श्रेय जाता है उन भारतवंशियों को जो वहां रहते हुए, न केवल खुद तरक्की कर रहे हैं बल्कि अमेरिका को भी आगे बढ़ा रहे हैं और इस क्रम में वहां अपने लिए एक प्रतिष्ठापूर्ण स्थान बना चुके हैं। अमेरिका में भारतवंशी समुदाय का ऊंचा स्थान अलग-अलग तरीकों से और अलग-अलग रूपों में झलकता है। कमला हैरिस, सत्या नडेला, सुंदर पिचाई जैसे चमकते हुए नाम इसका एक आकर्षक रूप जरूर हैं, लेकिन इसके साथ यह तथ्य भी है कि ये महज अपवाद नहीं। एक समुदाय के रूप में भी भारतीय समुदाय की उपलब्धियां असाधारण और गौरवपूर्ण हैं।यह जाहिर होता है ठोस आंकड़ों से। सबसे पहले बात की जाए अमेरिका की ओर से जारी किए जाने वाले H-1B वीजा की। यह उन लोगों को ही जारी किया जाता है जिनके बारे में अमेरिका मानता है कि ये बेहतरीन दिमाग वाले लोग हैं और अमेरिकी इकॉनमी को रफ्तार दे सकते हैं। 2022 का आंकड़ा है कि अमेरिका ने जितने एच-1बी वीजा जारी किए उनमें से 73 फीसदी भारत में जन्म लेने वाले लोगों को मिले। अभी जो 33 लाख भारतीय अमेरिका में रह रहे हैं, उनमें से 10 लाख इंजीनियर और साइंटिस्ट हैं। चाहे बात पढ़ाई की हो या कमाई की, दोनों मामलों में अमेरिका के इंडियंस बाकी सबसे आगे हैं। वहां 80 फीसदी भारतवंशियों के पास अंडरग्रैजुएट डिग्री है और महज 22 फीसदी ही ऐसे हैं जिन्हें अंग्रेजी समझने में दिक्कत होती है। इस मुकाबले चीनी समुदाय की बात करें तो उनमें 57 फीसदी को अंग्रेजी समझ में नहीं आती।कमाई की जहां तक बात है तो भारतवंशियों की औसत पारिवारिक आमदनी डेढ़ लाख डॉलर सालाना है जो अमेरिका में फैमिली इनकम के नैशनल ऐवरेज से दोगुना है। इसके मुकाबले चीनी मूल के अमेरिकियों की औसत पारिवारिक आमदनी 95 हजार डॉलर सालाना ही है। जाहिर है, संख्याबल के साथ-साथ अपनी योग्यता और कर्मठता के दम पर भारतवंशियों ने वहां ऐसी जगह बनाई है कि कोई भी उनकी उपलब्धियों को अनदेखा नहीं कर सकता। इसका फायदा खुद उन्हें तो मिल ही रहा है, उनके मूल देश भारत को भी मिल रहा है और यह आगे भी मिलता रहने वाला है।
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