यूक्रेन में इस बार क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाएगा। आमतौर पर यहां यह सेलिब्रेशन 7 जनवरी को किया जाता है। इसकी वजह ये है कि यूक्रेन में ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन्स ही ज्यादा हैं और ये 7 जनवरी को यह फेस्टिवल सेलिब्रेट करते आए हैं।
इस बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने की एक वजह सियासी भी है। दरअसल, कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यूक्रेन सरकार यह बताना चाहती है कि वह उन परंपराओं को नहीं मानती जिन्हें रूस मानता है। रूस में क्रिसमस 7 जनवरी को मनाया जाता है।
जूलियन कैलेंडर को फॉलो करते हैं रूस-यूक्रेन
‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और यूक्रेन दोनों ही देश में जूलियन कैलेंडर को फॉलो किया जाता है। इसके अलावा रूस की तरह यूक्रेन में ज्यादातर लोग ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चिएनिटी के फॉलोअर हैं।
जुलाई 2023 में यूक्रेन के प्रेसिडेंट वोल्दोमिर जेलेंस्की ने एक बिल को मंजूरी दी थी। इसमें 25 दिसंबर को क्रिसमस बताया गया था और सेलिब्रेशन के लिए पब्लिक हॉली-डे घोषित किया था।
इस बिल के मुताबिक यूक्रेन अब पश्चिमी देशों की तर्ज पर ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ फॉलो करेगा और इसीलिए क्रिसमस 7 जनवरी की बजाय 25 दिसंबर को ही सेलिब्रेट किया जाएगा।
यूक्रेनी चर्च का भी समर्थन
‘स्काय न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक जेलेंस्की के इस कदम को देश के चर्च का भी समर्थन मिला। दरअसल, चर्च का भी मानना है कि यूक्रेन को रूस से अलग हुए कई साल गुजर चुके हैं। इसके अलावा रूस और यूक्रेन अब दुश्मन हैं। लिहाजा, कोई वजह नहीं कि अब भी रूसी परंपराओं को ही माना जाए। चर्च और यूक्रेन के कई संगठन तो रश्यिन लैंग्वेज और कल्चर को भी छोड़ने पर जोर दे रहे हैं।
रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था। यह जंग अब तक जारी है। इस जंग की सबसे बड़ी वजह ये है कि यूक्रेन वेस्टर्न अलायंस और खासतौर पर नाटो में शामिल होना चाहता है। रूस और राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को ये किसी सूरत मंजूर नहीं है। पुतिन को लगता है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल होता है तो अमेरिकी फौज यूक्रेन के बहाने रूस की सरहद तक पहुंच जाएगी और ये रूस की सिक्योरिटी के लिए बहुत बड़ा खतरा होगा।
यूक्रेन के लोग अपनी मर्जी के मालिक
यूक्रेन की सांसद किरा रुडिक के मुताबिक क्रिसमस की तारीख बदलने का फैसला बेहद जरूरी था। हम यूरोप के साथ हैं और उनकी परंपराओं को ही मानेंगे। वो 25 दिसंबर को क्रिसमस सेलिब्रेट करते हैं, तो हम भी 7 जनवरी की बजाए 25 दिसंबर को ही यह फेस्टिवल सेलिब्रेट करेंगे। हमारे बच्चे भी अब इसी रास्ते पर चलेंगे। उन्हें भी लोकतंत्र और विकास के रास्ते पर चलने वाले देशों की पहचान हो जाएगी।
किरा एक और जरूरी बात कहती हैं। उनके मुताबिक इस मामले में सबसे जरूरी बात ये रही है कि हमारे देश का चर्च और धर्मगुरू हमारे फैसले का समर्थन करते हैं। एक देश के तौर पर जब सभी साथ होते हैं तो ये एकता ही ताकत बन जाती है।
25 साल की स्टूडेंट तेतियाना कहती हैं- पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाउंगी। थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन ये ही सही तरीका और ट्रेडिशन है।
पुतिन ने 6 और 7 जनवरी 2023 को सीजफायर किया था
पुतिन ने 6 और 7 जनवरी 2023 को सीजफायर किया था। इसका ऐलान भी खुद ही किया था। पुतिन ने कहा था- मैंने यह फैसला रूस के 77 साल के ईसाई धर्मगुरु पेट्रीआर्क किरिल की अपील के बाद किया है। हम इन दो दिन यूक्रेन पर हमले नहीं करेंगे।
ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस पूर्वी यूरोप के देशों जैसे रूस, ग्रीस, इथियोपिया और इजिप्ट में भी मनाया जाता है। दुनिया में करीब 24 करोड़ ऑर्थोडॉक्स ईसाई हैं।
ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस और कैथोलिक क्रिसमस में फर्क
ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस और कैथोलिक चर्च में बुनियादी तौर पर कुछ फर्क हैं। यही वजह है कि जब दुनियाभर में कैथोलिक चर्च दिसंबर में क्रिसमस वीक सेलिब्रेट करते हैं तो ऑर्थोडॉक्स चर्च इससे दूर रहते हैं और वो 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं। इनका कैलेंडर भी अलग होता है। जिस तरह कैथोलिक चर्च के प्रमुख को पोप कहते हैं उसी तरह ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख को पेट्रीआर्क कहते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह भारत में धर्माधिकारी होते हैं।
11वीं शताब्दी में ईसाई धर्म दो धाराओं में बंट गया था। पहला रोमन कैथोलिक: जिसे ज्यादातर ईसाई मानते हैं। दूसरा ऑर्थोडॉक्स: इसे आमतौर पर रूसी ऑर्थोडॉक्स कहा जाता है। 2016 में पोप फ्रांसिस और पेट्रीआर्क किरिल की मेक्सिको में मुलाकात हुई थी। दोनों गले भी मिले थे। कहा जाता है कि करीब एक हजार साल में यह दोनों धर्मगुरुओं (तब से अब तक) की पहली मुलाकात थी।