दुनिया के सबसे खूंखार हत्यारों में शामिल नॉर्वे के एंडर्स बेहरिंग ब्रेइविक ने अपनी सरकार के खिलाफ मानवाधिकार हनन यानी ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन का केस दर्ज कराया है।
ब्रेइविक का आरोप है कि उसकी प्रिजन सेल (कैद वाली कोठरी या कमरा) वैसे तो शानदार है, लेकिन तन्हाई की वजह से वो डिप्रेशन का शिकार हो गया है और अकसर खुदकुशी के बारे में सोचता है। इसके पहले भी वो इसी तरह का केस दर्ज करा चुका है।
सनकी और कट्टरपंथी करार दिए गए ब्रेइविक ने 2011 में चंद मिनट के अंतर दो हत्याकांड अंजाम दिए थे। उसकी फायरिंग की वजह से मारे गए लोगों में ज्यादातर टीनएजर लड़के-लड़कियां थे। उसे 21 साल की कैद सुनाई गई थी।
जस्टिस मिनिस्ट्री पर आरोप
बेइविक ने यह केस अपने वकीलों के जरिए दर्ज कराया है और आरोप जस्टिस मिनिस्ट्री पर लगाए हैं। ब्रेइविक ने शिकायत में कहा- एक इंसान के तौर पर मुझे कानूनी तौर पर जो हक मिले हैं, मैं उनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हूं। इसकी वजह से डिप्रेशन का शिकार हो रहा हूं और कई बार मन में खुदकुशी के विचार आते हैं। मैं 2012 से अकेलेपन की जिंदगी गुजार रहा हूं।
ब्रेइविक ने सजा सुनाए जाने के बाद अपना नाम फोटोल्फ हेन्सेन कर लिया था। ब्रेइविक ने कहा- यूरोप में ह्यूमन राइट्स को लेकर कानून बहुत सख्त हैं। मैंने 2016 और 2017 में भी अधिकार मांगे थे। तब यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने मेरी अपील ठुकरा दी थी।
सरकार ने क्या कहा
नॉर्वे की जस्टिस मिनिस्ट्री ने ब्रेइविक के आरोप खारिज कर दिए। कहा- उसे बेहतरीन प्रिजन सेल दी गई है। पहले जरूर वो कुछ शिकायतें कर सकता था, पर अब बिल्कुल ऐसा नहीं है।
सरकार ने अदालत को बताया- दो साल पहले ही हमने उसे रिंगेरिक जेल शिफ्ट कर दिया था। वो अकेला दो मंजिला सेल में रहता है। यहां उसके पास किचन, डाइनिंग रूम, LED टीवी विथ केबल कनेक्शन और एक्सरसाइज इक्युपमेंट्स हैं। दीवारों पर बेहतरीन पेंटिंग्स लगी हैं। इसके अलावा उसके पास अलग से फिटनेस रूम भी है। इसमें तमाम तरह के फिटनेस इक्युपमेंट्स हैं। इसके अलावा वहां तमाम तरह के परिंदे हैं, जिन्हें खासतौर पर पाला गया है।
बहरहाल, सिर्फ सनक में 77 लोगों की हत्या करने के इस दोषी को आज भी अपने किए का कोई पछतावा नहीं है। सरकारी वकील ने उसके बारे में कहा- वो बेहद खतरनाक मुजरिम है और ऐसे लोग समाज के लिए खतरा हैं।
दूसरी तरफ, ब्रेइविक के वकील येस्टिन स्टोरविक ने कहा- मेरे क्लाइंट की दिमागी हालत खराब होती जा रही है। इसकी वजह अकेलापन है। वो डिप्रेशन का शिकार होता जा रहा है। उसे दवाइयां लेनी पड़ रही हैं। कई बार तो मन में खुदकुशी के ख्याल आते हैं। उसे दूसरे लोगों से बात करने और मिलने का मौका मिलना चाहिए। यूरोप के इतिहास में किसी कैदी ने इतना अकेलापन नहीं झेला होगा।
77 हत्याओं की सही वजह क्या
2011 में ब्रेइविक ने ये हत्याएं की थीं। हालांकि, अब तक ये साफ नहीं हो सका कि उसने इतने लोगों और खासकर टीनएजर्स को क्यों मारा? सबसे पहले उसने हैंड ग्रेनेड से एक बिल्डिंग पर हमला किया था। यहां 8 लोग मारे गए थे। ये सभी सरकारी कर्मचारी थे।
इसके बाद वो नॉर्वे के सबसे मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक उटोया आईलैंड पहुंचा। उसके पास ऑटोमैटिक गन थी। यहां टीनएजर्स का हॉलीडे कैम्प लगा हुआ था। उसने फायरिंग करके 69 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया और वहां से भाग गया। बाद में गिरफ्तार हुआ।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसने खुद को एक खास समुदाय और मजहब के खिलाफ जंग लड़ने वाला बताया। कहा- देश में कई तरह के बाहर लोग आ रहे हैं और इसकी वजह से हमारा कल्चर खराब हो रहा है। इससे नाराज होकर मैंने ये हत्यायें की। इसका मुझे कोई अफसोस नहीं है। हालांकि, नॉर्वे की सरकार उसकी बात पर यकीन नहीं करती। लिहाजा, हत्याकांड की सही वजह आज भी साफ नहीं है।
कोर्ट ने उसे 21 साल की सजा सुनाई। सजा के बाद 10 साल एक सोशल प्रोग्राम में गुजारने होंगे। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार 12 जनवरी को होगी।