पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि आर्टिकल 370 पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कश्मीर मामला और उलझ जाएगा। कश्मीर पर SC के फैसले का फैसला विवादित और कानून के खिलाफ है। इससे दशकों से चल रहा मसला हल होने की जगह और बढ़ जाएगा।
इमरान खान ने कसम खाई कि वो और उनकी पार्टी कश्मीर के लोगों को डिप्लोमैटिक, राजनीतिक और नैतिक मदद पहुंचाते रहेंगे। उन्होंने कहा - कश्मीर ही भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद की जड़ रहा है। भारत ने जब 2019 कश्मीर से विशेष दर्जा छीना था, तब भी हमने इसका कड़ा विरोध किया था।
खान बोले- हम भारत से अच्छे रिश्ते चाहते थे, लेकिन अब ये नामुमकिन
खान ने कहा- हम अपने देश के हितों को प्राथमिकता पर रखते हुए भारत से अच्छे रिश्ते बनाना चाहते थे, लेकिन 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटने के बाद ऐसा करना नामुमकिन हो गया। हम कश्मीर के लोगों की इच्छाओं से समझौता नहीं कर सकते।
वहीं आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मंगलवार को चीन का भी बयान सामने आया। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा- यह भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से विवाद चला रहा है। इसे शांतिपूर्ण तरीके से UNSC के प्रस्तावों के तहत सुलझाना जरूरी है। चीन ने कहा- दोनों पक्षों को बातचीत और चर्चा के जरिए मसले को सुलझाना चाहिए ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाई जा सके।
साइफर केस में जेल में बंद इमरान
बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान के चेयरमैन इमरान खान साइफर केस मामले में पाकिस्तान की अडियाला जेल में बंद हैं। खान और उनकी पार्टी के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी 30 सितंबर को सीक्रेट लेटर चोरी केस में दोषी पाए गए थे। फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) ने दोनों को साइफर केस में आरोपी बनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा
दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। SC ने कहा था कि आर्टिकल 370 अस्थायी था। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। राष्ट्रपति को यहां के फैसले लेने का पूरा अधिकार है। इसके साथ ही राज्य में सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश भी दिया गया है।
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था। साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 5 जजों की बेंच ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की थी।