अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया भर में जॉब सिक्योरिटी के लिए खतरनाक साबित होगा।
स्विटजरलैंड के दावोस में आज से शुरू हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सलाना बैठक में शामिल होने से पहले IMF चीफ जॉर्जीवा ने कहा- AI से विकसित देशों की 60% नौकरियां खतरे में आ जाएंगी। यह जॉब सिक्योरिटी के लिहाजे से भी खतरनाक साबित होगा। हालांकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए अवसर पैदा करेगा। इसलिए AI खतरनाक जरूर है लेकिन यह सभी को अवसर भी देगा।
IMF की एक नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा- विकासशील देशों में AI का प्रभाव कम हो सकता है लेकिन वैश्विक स्तर पर लगभग 40 प्रतिशत नौकरियों पर AI का असर पड़ सकता है।
छोटे देशों की मदद करनी होगी
14 जनवरी को IMF की नई रिपोर्ट पब्लिश हुई। इसमें अनुमान जताया गया है कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में लेबर मार्केट पर AI का शुरुआती असर कम होगा।
IMF चीफ ने कहा- हमें विशेष रूप से कम आय वाले देशों को तेजी से आगे बढ़ने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से बनने वाले अवसरों का लाभ उठा सकें।
AI का असर अच्छा भी हो सकता है
IMF की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर की आधी नौकरियों पर AI का गलत असर पड़ेगा। बाकी बची आधी नौकरियों पर इसके अच्छे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खतरा उन देशों में सबसे ज्यादा होगा जहां हाई स्किल्ड जॉब की डिमांड होगी।
IMF चीफ जॉर्जीवा ने कहा- एक तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से आपकी नौकरी पूरी तरह से खत्म हो सकती है, दूसरी तरफ नौकरियां बढ़ा सकती है। नौकरी के अवसर बढ़ेंगे तो आपकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी। इससे इनकम, लिविंग स्टैंडर्ड भी बढ़ेगा। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर होगा।
OpenAI के CEO बोले- AI से प्रोडक्टिविटी 100 गुना होगी पर क्रिएटिविटी नहीं बढ़ेगी
ओपनएआई के सीईओ और एआई चैटबोट ‘चैट जीपीटी’ के क्रिएटर सैम ऑल्टमैन का कहना है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) साइंस की खोजी गई सबसे परिवर्तनकारी तकनीक है। यह नए अवसर दे रही है। इंसान की तुलना में 100 गुना ज्यादा काम कर सकती है लेकिन मानव की बुद्धिमत्ता और रचनात्मकता को कभी लांघ नहीं पाएगी।