ईरान ने कहा है कि दो सप्ताह पहले सीरिया में उसके वाणिज्य दूतावास पर हुए जानलेवा हमलों के जवाब में उसने इसराइल पर हमला किया है. ईरान ने सीरिया में हुए हमले के लिए इसराइल को ज़िम्मेदार ठहराया था.
लेकिन ये संघर्ष अब यहां से कौन-सा मोड़ लेगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि ईरान के हमले का इसराइल किस तरह जवाब देगा.
इस इलाक़े के दूसरे देशों के साथ-साथ दुनिया के और मुल्कों ने संयम बरतने की अपील की है. इनमें वो देश भी शामिल हैं जो ईरानी सत्ता को पंसद नहीं करते.
ईरान फिलहाल उम्मीद के अनुरूप ही आगे बढ़ रहा है. उसका रुख़ है, "हिसाब-क़िताब पूरा हुआ, ये इस मामले का अंत था. हम पर फिर हमला मत करना नहीं तो हम इससे भी मज़बूत हमला करने को बाध्य होंगे, ऐसा हमला जिसका आप मुक़ाबला नहीं कर पाएंगे."
लेकिन इसराइल पहले ही साफ़ कर चुका है कि उसने इस हमले की "कड़ी प्रतिक्रिया देने" की कसम खाई है. इसराइली इतिहास में ईरान की सरकार को सबसे कट्टरपंथी सरकार कहा जाता है.
बीते साल सात अक्तूबर को दक्षिणी इसराइल पर हुए हमास के हमले का इसराइल ने कड़ा जवाब दिया था. उसने ग़ज़ा पट्टी पर हमला किया और बीते छह महीनों में वहां भीषण तबाही मचाई है.
ईरान की तरफ से हुए सीधे-सीधे हमले को इसराइल की वॉर कैबिनेट ऐसे ही छोड़ देगी ऐसा नहीं लगता, भले ही बेहद सुनियोजित तरीके से चलाए गए इस हमले का ज़मीनी स्तर पर कम ही असर देखा गया.