मनुष्य का पूरा जीवन 9 ग्रहों और 27 नक्षत्रों की चाल और दृष्टि पर टिका हुआ है। सामान्य भाषा में कहें तो जब ग्रहों की कृपा हो तो लोग बलवान और नाराज हो जाएं तो भिखारी बन जाते हैं लोग। हम यहां बता रहे हैं कि जब ग्रह नाराज हो जाएं तो उन्हें कैसे मनाएं।मनुष्य का पूरा जीवन 9 ग्रहों और 27 नक्षत्रों की चाल और दृष्टि पर टिका हुआ है। सामान्य भाषा में कहें तो जब ग्रहों की कृपा हो तो लोग बलवान और नाराज हो जाएं तो भिखारी बन जाते हैं लोग। हम यहां बता रहे हैं कि जब ग्रह नाराज हो जाएं तो उन्हें कैसे मनाएं।
1) शनि:- शनि के लिए दशरथ कृत शनि स्तोत्र में लिखा है जो व्यक्ति पीपल वृक्ष के नीचे बैठ कर शनि देवता के दस नामों को पढ़ेगा उसे शनि की पीढा कभी नहीं होगी। शनि वार के दिन सरसों के तेल को अपने ऊपर से उतार कर शनि मंदिर में रख के आ जाना चहिये। चढाना नहीं है सिर्फ रख के आ जाना है, शनि वार को काले वस्त्र आदि का दान करना चहिये, शनि को मजबूत करने के लिए नीलम पहन लेना चहिये, हनुमान चालीसा का नित्य दो पार पाठ करना भी अति लाभ प्रद होता है तथा हनुमान जी पूर्ण निष्काम भक्ति बहुत मार्ग खोल देती है। ऐसा कहा गया है की शनि देवता हनुमान जी के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते हैं।
2) राहू:- राहू के लिए सबसे अच्छा उपाय मां दुर्गा की साधना है उस से उत्तम कुछ भी नहीं है, दुर्गा सप्तशती को विधि विधान पूर्वक घर में नित्य पाठ करना सभी कष्टों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर देता है। चींटी की बाम्बी में शक्कर डालना भी रहू के उपाय है और मछलियों को आटे की गोलियां डालना भी। किसी अपाहिज कोढ़ी बदसूरत व्यक्ति को यथेष्ट जेब में से जो निकल आये वो दे देना चहिये और उसके बारे में सोचना भी नहीं चहिये। किसी भी दान को कर के उसके बारे में वैसे भी नहीं सोचना चहिये राहू का रत्न गोमेद है। गोमेद सबसे अच्छा कहा जाता है उसे पहन लेना चहिये राहू को मजबूत करने के लिए।
3) मंगल:- मंगल के लिए हनुमान उपासना से बढ़ कर कुछ भी नहीं है। मूंगा मंगल का रत्न है और उसे मजबूत करने के लिए मूंगा धारण करना चहिये। हनुमान चालीसा में भी मूंगे का उल्लेख आता है। मंगल वार के दिन उपवास करना भी एक उपाय है और शराब मांस से परहेज
करना भी। मंगल स्तोत्र का पाठ भी लाभ दायक होता है।
4) केतु:- केतु को बहुत ही शुभ और मोक्ष करक छाया गृह माना गया है साथ ही बहुत ही अशुभ भी। इसका रत्न लहसुनिया होता है जो कई प्रकार के होते हैं और बहुत सस्ते पत्थर होते है। केतु यदि पथरी में गडबड है तो ये ऐसी बीमारी देता है जिसे सामान्यतः जल्दी पकड़ा नहीं जा पतायव्यक्ति पे झूठे आरोप लग जाते है। वगैरह वगैरह केतु की शांति के लिए कहा जाता है की कुत्ते को रोटी खिलानी चहिये। लेकिन हमें इसका तर्क समझ में नहीं आया हमारे हिसाब से केतु और राहू की सामान्य रूप से मां दुर्गा की आराधना ही सर्वश्रेष्ट उपाय है और केतु
के शास्त्रोक्त दान आदि करना चहिये।
5) चंद्रमा:- चंद्रमा इनके लिए चांदी धारण करनी चहिये और मोती या स्फटिक की माला पहन लेनी चहिये। ये क्योंकि बहुत शुभ और स्त्री ग्रह है अतः बहुत अनिष्ट आम रूप से नहीं करता। प्राणायाम ध्यान अनुलोम विलोम कपाल पाती इसके लिए सबसे अच्छे उपाय हैं।
6 ) शुक्र:- शुक्र स्त्री ग्रह है, मनुष्य की कामुकता से इसका सीधा सम्बन्ध भी है, और हर प्रकार के सौंदर्य और ऐश्वर्य से ये सीधे सम्बन्ध रखता है .शुक्र के लिए ओपल, हीरा, स्फटिक का प्रयोग करना चहिये और यदि ये बहुत ही खराब है तो पुरुषों को अश्विनी मुद्रा या क्रिया रोज करनी चहिये। ॐ ह्रीम दूम दुर्गाय नमः इसकी 1 माला रोज करनी चहिये शुक्र को अच्छा करने के लिए।
7) सूर्य:- सूर्य राजा है, प्रबल है, तेजस्वी है, प्राण है, गर्मी है ये कुंडली में अच्छा नहीं है तो मनुष्य बहुत भटकता है और मान सम्मान से दूर ही रहता है। इसका रत्न माणिक्य है। आदित्य हृदय स्तोत्र का नित्य पाठ पूर्ण श्रद्धा के साथ करना चहिये। साथ
ही सूर्य को ताम्बे के पात्र में गुड और पुष्प समाहित करके अर्ध्य देना चहिये।
8) बुध:- बुध नपुंसक ग्रह है। बुद्धि की तीक्ष्ता, व्यापारिक बुद्धि, लेखा- जोखा, मीडिया, से इसका सीधा सम्बन्ध होता है। इसका रत्न पन्ना है। ये चर्म रोग भी देने में बहुत सक्षम होता है। विष्णु सहस्त्रनाम का रोज पाठ नियम से करना चहिये अवश्य ही लाभ होता है।
9) गुरु:- गुरु को सही करने के लिए गाय को पीली दाल 1 किलो हर गुरूवार को खिलानी चहिये, व्रत करना चहिये, पीले वस्त्र दान में देना चहिये, हल्दी की गठान कांख में बांधनी चहिये, वृद्ध और सदाचारी ब्राह्मण को सपरिवार भोजन करवाना चहिये।