कार्तिकेय सिंह चौहान के नाम की थी चर्चा
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान के विदिशा सीट से सांसद बनने के बाद बुधनी विधानसभा सीट खाली हुई थी। बुधनी में उपचुनाव की तारीख घोषित हो गई है। इसके बाद से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि शिवराज सिंह चौहान का वारिस कौन होगा। इस रेस में सबसे आगे कार्तिकेय सिंह चौहान ही चल रहे थे। वह पिता की सीट पर लगातार मेहनत भी कर रहे थे। उनके समर्थकों की इच्छा भी थी कि बुधनी से कार्तिकेय सिंह चौहान के नाम पर ही मुहर लगे। वही प्रदेश चुनाव समिति की तरफ से पैनल में जो नाम भेजा गया था, उसमें कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम था।
दिल्ली में नहीं बनी सहमति
टिकट की घोषणा से दो दिन पहले शिवराज सिंह चौहान अपने बेटों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शादी का न्यौता देने गए थे। इसके बाद एमपी में अटकलें शुरू हो गई थीं कि कार्तिकेय सिंह चौहान को पीएम मोदी का आशीर्वाद मिल सकता है। चुनाव समिति की बैठक के बाद नामों की सूची आई तो रामाकांत भार्गव के नाम पर मुहर लगी है।
परिवारवाद से पार्टी ने बनाई दूरी
कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में पार्टी परिवारवाद से दूर है। विधानसभा चुनाव के दौरान भी नेता पुत्रों को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। मध्य प्रदेश में कई बड़े नेताओं के पुत्र राजनीति में एंट्री के लिए ललायित हैं लेकिन पार्टी ने सभी की एंट्री पर ब्रेक लगा रखी है। अगर शिवराज सिंह चौहान के बेटे को टिकट देती तो गलत नैरेटिव गढ़ा जाता। शायद इससे बचने के लिए पार्टी ने यह फैसला लिया है।
रामाकांत भार्गव हैं शिवराज सिंह चौहान के खास
वहीं, रामाकांत भार्गव भी शिवराज सिंह चौहान के खास माने जाते हैं। शिवराज सिंह चौहान पहले विदिशा सीट से सांसद थे। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जब विदिशा से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया तो शिवराज की पसंद और करीबी रहे रामाकांत भार्गव के नाम पर मुहर लगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में रामाकांत भार्गव ने शिवराज सिंह चौहान के लिए सीट छोड़ दी। शिवराज सिंह चौहान विदिशा से सांसद बन गए हैं। वहीं, बुधनी में शिवराज की विरासत को अब रामाकांत भार्गव संभालेंगे।
चुनाव प्रचार में जुट गए कार्तिकेय
रामाकांत भार्गव के नाम पर मुहर लगने के बाद कार्तिकेय सिंह चौहान पहली बार मीडिया के सामने आए तो उनके चेहरे पर शिकन भी देखने को मिला है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रामाकांत भार्गव हमारे पितातुल्य हैं। मैं उनके लिए चुनाव प्रचार की शुरुआत कर रहा हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने चुनाव लड़ने की मंशा से कभी काम नहीं किया। यह मेरा सौभाग्य है कि कार्यकर्ताओं ने मेरा नाम पैनल तक पहुंचाया है। हम रामाकांत भार्गव के लिए दोगुनी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।