कन्या की शादी में सबसे अधिक चिन्ता उसके होने वाले पति के विषय में होती है किवह कैसा होगा. सप्तम भाव और सप्तमेश विवाह में महत्वपूर्ण होता है I ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तम भाव में शुभ ग्रह यानी चन्द्र,गुरू,शुक्रया बुध हो अथवा ये ग्रह सप्तमेश हों अथवा इनकी शुभ दृष्टि इस भाव पर होनेपर कन्या का होने वाला पति कन्या की आयु से सम यानी आस पास होता हैI यह दिखने में सुन्दर होता है I सूर्य,मंगल,शनि अथवा राहु,केतु सप्तम भावमें हों अथवा इनका प्रभाव इस भाव पर हो तब वर गोरा और सुन्दर होता है औरकन्या से लगभग 5 वर्ष बड़ा होता है I कन्या की कुण्डली में सूर्य अगर सप्तमेश है तो यह संकेत है कि पति सरकारी क्षेत्र से सम्बन्धित होगा Iचन्द्रमा सप्तमेश होने पर पति मध्यम कदकाठी का और शांति चित्त होता है I सप्तमेश मंगल होने पर पति बलवान परंतु स्वभाव से क्रोधी होता है I मध्यमकद काठी का ज्ञानवान और पुलिस या अन्य सरकारी क्षेत्र में कार्यरत होता है I सप्तम भाव में शनि अगर उच्च राशि का होता है तब पति कन्या से काफी बड़ा होता है और लम्बा एवं पतला होता है I नीच का शनि होने पर पति सांवला होता है I
कितनी होगी जीवन साथी की आयु
लड़की की जन्मपत्री में द्वितीय भाव को पति की आयु का घर कहते हैं. इस भाव कास्वामी शुभ स्थिति में होता है अथवा अपने स्थान से दूसरे स्थान को देखता हैतो पति दीर्घायु होता है. जिस कन्या के द्वितीय भाव में शनि स्थित हो यागुरू सप्तम भाव स्थित हो एवं द्वितीय भाव
को देख रहा हो वह स्त्री भी सौभाग्यशाली होती है यानी पति की आयु लम्बी होती है.