लाल सागर में पाकिस्तान के कराची जा रहे जहाज पर हमला हुआ। यह शिप 26 दिसंबर को सऊदी अरब से रवाना हुआ था। शिप पर कितने लोग मौजूद थे फिलहाल इसकी जानकारी नहीं दी गई। शिप को कितना नुकसान हुआ है इस बारे में भी खबर नहीं है।
हूती विदेहियों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इस बीच अमेरिकी मिलिट्री ने लाल सागर में हूती विद्रोहियों की तरफ से दागी गईं दर्जनों मिसाइलों और ड्रोन्स को मार गिराया है। इस दौरान किसी भी जहाज को नुकसान नहीं पहुंचा है।
पेंटागन के सेंट्रल कमांड ने कहा- हमने 10 घंटे के अंदर हूतियों के 12 ड्रोन्स, 3 शिप से हमला करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों और 2 जमीन से हमला करने वाली मिसाइलों को मार गिराया है।हूतियों ने एक महीने में 100 से ज्यादा हमले किए
पिछले चार हफ्तों में हूतियों ने लाल सागर और उसके आसपास 100 से ज्यादा हमले किए हैं। करीब एक महीने पहले हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाईजैक कर लिया था। यह जहाज तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझ कर हाईजैक किया था।
वारदात से पहले हूती समूह ने इजराइली जहाजों पर हमले की चेतावनी दी थी। हूती विद्रोहियों के एक स्पोक्सपर्सन ने कहा था कि इजराइल की तरफ से चलने वाले सभी जहाजों को निशाना बनाया जाएगा।
कौन हैं हूती विद्रोही
साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरूआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का।
देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।