हिंदू, यहूदी, ईसाई सब साथ रह सकते हैं, मुसलमान कभी नहीं... हमास नेता के बेटे ने क्यों की भारत की तारीफ
Updated on
02-11-2023 03:01 PM
न्यूयॉर्क: फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास की शुरुआत करने वाले सदस्यों में से एक शेख हसन युसूफ के बेटे मोसाब हसन एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। मोसाब से उनके पिता ने कई साल पहले नाता तोड़ लिया था। पिछले दिनों उन्होंने एक भारतीय न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया और इस इंटरव्यू में उन्होंने भारतीय और खासकर की हिंदुओं की जमकर तारीफ की है। मोसाब इस बात से काफी खुश हैं कि भारतीयों ने विशेषकर हिंदू समुदाय ने हमास जैसे आतंकी संगठन के खिलाफ आगे बढ़कर आवाज उठाई है। मोसाब को लोग उनकी एक किताब 'सन ऑफ हमास' की वजह से काफी जानते हैं।
'मुसलमान ही हमेशा हिंसा क्यों करते हैं' मोसाब ने अपने इस इंटरव्यू में कहा है कि मुसलमान कभी भी दूसरे समुदायों के साथ नहीं रह सकते हैं और वो ऐसा चाहते ही नहीं हैं। टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में मोसाब ने कहा, 'हिंदुओं को कोई समस्या नहीं है, ईसाई और यहूदी भी साथ रह लेते हैं। तो फिर सवाल उठता है कि सिर्फ मुसलमानों की तरफ से ही हमेशा हिंसा क्यों होती है। मुझे इस दुनिया में किसी से कोई समस्या नहीं है, भारतीयों, ईसाईयों और यहूदियों को नहीं है और सभी एक साथ रहते हैं। ऐसे में हमास और किसी भी और इस्लामी आंदोलन को खत्म करने की जरूरत है। हमें इसे बहुत स्पष्ट और जोर से कहना होगा। किसी भी सूरत में धार्मिक आतंकवाद स्वीकार नहीं है।' मोसाब ने कहा कि उन्होंने इस्लामवादी विचारधारा को खारिज कर दिया और हिंसा को ना कहने की वजह से उन्हें काफी कुछ झेलना पड़ा जो कि मौत के समान था।
'धरती केवल मुसलमानों की नहीं' मोसाब के शब्दों में, 'मेरे पूरे देश ने मुझसे किनारा कर लिया। मुझे शैतान करार दिया गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने हिंसा, खूनखराबा और आत्मघाती हमलों को ना कहा। वो हर उस इंसान के साथ यही करते हैं जो उनके तरीकों को नहीं मानता है। मैं दोनों पक्षों को जानता हूं और इस आधार पर मैं कहता हूं कि हमें इजरायल के पीछे एकजुट होना होगा।'
यूसुफ ने यह भी कहा कि हमास की मानसिकता को खत्म करने की जरूरत है। उन्हें यह बताने की ज़रूरत है कि यह जीवन जीने का तरीका नहीं है। वो काफी क्रूर हैं। हम ऐसे समूह को स्वीकार नहीं करते जो इस्लामिक देश बनाने के लिए पूरी जाति पर हावी होना और शासन करना चाहता है। धरती केवल हमास या मुसलमानों की नहीं है।
कृष्ण और गीता का जिक्र मोसाब ने आगे कहा, 'भारत में मेरी सेना, जो लोग कृष्ण और गीता और उपनिषदों को समझते हैं, उन्हें कमर कसने और दुनिया में इस अल्पसंख्यक को दिखाने की जरूरत है कि इस्लामिक सोच हरगिज स्वीकार नहीं की जाएगी। जिस तरह से वो हिंसा फैलाते हैं और जिस तरह से वो अपना एजेंडा हासिल करना चाहते हैं, व मंजूरी नहीं है। भारतीयों को आगे बढ़ना चाहिए, हिंसा के रास्ते नहीं। लेकिन उन्हें दृढ़ रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के इस्लामी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करना चाहिए। मोसाबने हमास छोड़ने के बाद शिन बेट के लिए मुखबिर के तौर पर 10 साल वर्षों तक काम किया है। शिन बेट इजरायल की वह आतंरिक सुरक्षा एजेंसी है जो हमास की गतिविधियों पर नजर रखती है। अब उन्होंने क्रिश्चियन धर्म स्वीकार कर लिया है और अमेरिका में रहते हैं।
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