जबलपुर। ऊंचे कद काठी के एजेक्जेंडर टोप्पो घर से मंगलवार काे सुबह हर रोज की तरह साढ़े सात बजे घर से फैक्ट्री को निकल गए थे। किसे पता था कि ये एलेक्जेंडर का आखिरी सफर था। दोपहर होते-होते घर परलोक सिधारने की खबर आ गई। परिवार में खुशी का माहौल मातम में बदल गया। दोनों पिता के मारे जाने की बात से बेखबर घर के आंगन में खेलती नजर आई। जियानी मैहर स्थिति मध्यांचल बैंक में सेवारत हैं।
सुबह होगा डीएनए टेस्ट
एलेक्जेंडर बम की चपेट में आकर सबसे पहले झुलसा और उसके चित्थडे उड़ गए, शरीर के अंश फैक्ट्री परिसर में दूर तक बिखरे पड़े मिले। हालांकि प्रबंधन ने उसके मारे जाने की पुष्टि कर दी थी। लेकिन धमाके के कई घंटे तक उसका पता नहीं चलने पर मिसिंग बताया गया था। बाद में खोज के बाद उसके शरीर का आधा हिस्सा मिला। बुधवार को सुबह डीएनए टेस्ट के बाद शव परिवार को सौंपा जाएगा।
एलेक्जेंडर की अंतिम यात्रा बुधवार की दोपहर धर्म विधि के बाद बिलहरी कब्रिस्तान को प्रस्थान करेगी।
पिकोरा एक रशियन बम है और काफी महंगा बम भी है। इसे री-फिलिंग के बाद भारतीय वायुसेना उपयोग करती है। यह आरडीएक्स की तरह शक्तिशाली बम है और एक बम में 20 से 30 किलो बारूदी भरा होता है। सूत्रों के अनुसार ओएफके करीब 1500 पिकोरा बम सेना के लिए बना रही है।
ओएफके में पिकोरा बम का धमाका इतना भंयकर था कि इसकी गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई पड़ी। बिलपुरा गांव में धमाके बाद लोग घरों से इस दहशत में बाहर आ गए कि भूकंप आ गया है। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता एक-दूसरे से सब को पता चला कि यह भूकंप का कंपन नहीं बल्कि अोएफके में बम का धमाका है।
सुबह 10:20 बजे बम धमाका की आवाज इतनी तेज थी कि थोड़ी देर के लिए पूरे ओएफके परिसर में दूर-दूर तक काम करने वालों कान शून्य हो गए थे। सुरक्षा कर्मियों तक में एकाएक हलचल मच गई थी। बम धमाके की गूंज इतनी तेज थी कि खतरे का साइरन की आवाज तक लोगों को सुनाई नहीं पड़ रही थी।
पिकोरा बम का धमाका इतना शक्तिशाली था कि जिस बिल्डिंग में यह हुआ वहां की दोनों इमारत पूरी तरह धराशायी हो गई। यहां तक कि लंबी-चौड़ी लोहे की पातें तक तिरछी होकर गिर गई। इसके गिरने से कई कर्मचारी चपेट में आकर भी घायल हुए।
ओएफके ने पिकोरा बम धमाके की जांच के लिए चार सदस्यीय जांच दल का गठन कर दिया है। इसके प्रमुख महाप्रबंधक आरके गुप्ता को बनाया गया है। साथ ही सीपी फुलकर, पंकज शर्मा, और कैलाश चंद्र शामिल हैं।