मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा का चीफ हाफिज सईद पाकिस्तान की जेल में बंद है। UN की प्रतिबंध लगाने वाली कमेटी ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा- हाफिज टेरर फाइनेंसिंग के आरोप में पाकिस्तान की जेल में 78 साल की सजा काट रहा है। वो 12 फरवरी 2020 से जेल में बंद है।
दरअसल, UN सिक्योरिटी काउंसिल ने पिछले महीने आतंकी संगठन ISIL और अल-कायदा से जुड़े रिकॉर्ड्स में कुछ बदलाव किए। इसमें उन्होंने आतंकी संगठनों के सदस्य, इनकी संपत्ति, इन पर लगे बैन और हथियारों के जखीरे से जुड़ी जानकारी अपडेट की गई।
UN ने भी आतंकी भुट्टावी को मृत घोषित किया
इन संशोधनों के साथ ही लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापकों में शामिल हाफिज अब्दुल सलाम भुट्टावी को भी मृत घोषित कर दिया गया। दरअसल, भुट्टावी की पिछले साल मई में पाकिस्तान की जेल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। भुट्टावी भी 26/11 हमलों की प्लानिंग में शामिल था। वो पंजाब प्रांत के शेखपुरा जेल में टेरर फंडिंग के मामले में सजा काट रहा था।
इससे पहले 28 दिसंबर को पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया था कि भारत ने पाकिस्तान से हाफिज सईद के प्रत्यर्पण की मांग की है। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की थी। मंत्रालय ने कहा था कि इसके लिए उन्होंने सभी जरूरी दस्तावेज पाकिस्तान सरकार को भेज दिए हैं। सईद ग्लोबल टेररिस्ट है और भारत में वॉन्टेड है।
पाक बोला- भारत के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं
इसके जवाब में पाकिस्तान ने कहा था कि दोनों देशों के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है। हाफिज सईद इस वक्त कथित तौर पर जेल में है। हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स और यहां तक कि पाकिस्तानी जर्नलिस्ट्स भी खुलासा कर चुके हैं कि सईद जेल में नहीं है, बल्कि वो अपने घर में ही है।
एक वक्त पाकिस्तानी मीडिया में छाए रहने वाला हाफिज सईद अब लाइमलाइट से बिल्कुल दूर है। सईद को करीब चार साल से किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर नहीं देखा गया है। 2017 में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते हाफिज सईद के संगठन लश्कर ए तैयबा के खिलाफ मुहिम चलानी पड़ी थी। उसे हाउस अरेस्ट में रखा गया था।
4 साल से पब्लिक प्लेटफॉर्म से गायब हाफिज सईद
हालांकि नवंबर 2017 में लाहौर हाईकोर्ट ने हाफिज सईद को हाउस अरेस्ट में रखने का समय बढ़ाने से इनकार कर दिया। 2018 में UN ने हाफिज सईद के संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर दिया।
इसके बाद 2019 में पाकिस्तान के काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट ने उसे फिर गिरफ्तार कर लिया। वो लाहौर से गुजरानवाला जा रहा था। अप्रैल 2022 में पाकिस्तान की एंटी टेररिज्म कोर्ट ने उसे टेरर फंडिंग के 2 मामलों में 33 साल की सजा सुनाई।