भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपनी टेली कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-20 को एलन मस्क की स्पेस एजेंसी स्पेस-X की मदद से लॉन्च करेगा।
ऐसा पहली बार होगा जब ISRO अपने किसी मिशन को लॉन्च करने के लिए स्पेस-X के फॉल्कन-9 हेवी लिफ्ट लांचर का इस्तेमाल करेगा। इसकी घोषणा बुधवार को इसरो के कमर्शियल पार्टनर न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने की।
दरअसल, भारत के रॉकेट्स में 4 टन से ज्यादा भारी सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की क्षमता नहीं है। इसलिए एलन मस्क की स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर काम करने का फैसला लिया गया है। इससे पहले भारत भारी सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए फ्रांस के नेतृत्व वाले एरियनस्पेस कंसोर्टियम पर निर्भर था।
GSAT-20 को जानिए...
GSAT-20 सैटेलाइट को विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में संचार व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो ने कहा- GSAT 20 सैटेलाइट का नाम GSAT-N2 होगा और यह अनिवार्य रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा देगा।
इस सैटेलाइट का वजन 4700 किलोग्राम है। यह 48Gpbs की स्पीड से इंटरनेट सुविधा देगा। यह सैटेलाइट अंडमान-निकोबार आईलैंड, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप सहित दूरदराज के भारतीय क्षेत्रों में संचार सेवाएं देगा। इसे 2024 की आखिरी तिमाही में लॉन्च किया जा सकता है।
स्पेसएक्स स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सर्विस कंपनी है
अमेरिकी इंजीनियर एलन मस्क ने 2002 में स्पेसएक्स की स्थापना की थी। यह स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सर्विस कंपनी है। स्पेसएक्स स्पेस में लिक्विड प्रोपेलेंट रॉकेट भेजने वाली पहली निजी कंपनी है। इसने 2008 में फॉल्कन-1 लॉन्च किया था।
इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर स्पेसक्राफ्ट भेजने वाली स्पेसएक्स पहली प्राइवेट कंपनी है। उसे यह कामयाबी 2012 में मिली थी। 30 मई 2020 को स्पेसएक्स के ड्रैगन-2 रॉकेट से पहली बार दो एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजे गए थे।
66 से ज्यादा कामयाब लैंडिंग कर चुका है फॉल्कन-9
स्पेसएक्स का फॉल्कन-9 पहला ऑर्बिटल क्लास रॉकेट है, जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। फॉल्कन 9 को अब तक 105 बार लॉन्च किया गया है। यह 66 कामयाब लैंडिंग कर चुका है। फॉल्कन हेवी को सबसे ताकतवर ऑपरेशनल रॉकेट माना जाता है। इसकी क्षमता मंगल तक 16,800 किलो वजन ले जाने की है। 6 फरवरी, 2018 फॉल्कन हेवी ने पहली उड़ान भरी थी। इससे एलन मस्क की टेस्ला कार स्पेस में भेजी गई थी।