प्रदेश में गर्मी के प्रचंड रूप लेते ही ग्रामीण इलाकों में पेयजल संकट गंभीर रूप लेने लगा है। ऐसे में सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर गांव में सभी घरों को पाइप लाइन द्वारा जलापूर्ति योजना के जरिए पानी पहुंचाने की योजना पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
सरकार ने 30 जून तक सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल व्यवस्था के लिए 276 करोड़ रुपए खर्च करने का प्लान बनाया है पर मई का महीना शुरू होने के बाद भी गहराते जल संकट से निदान को लेकर शिकायतों का दौर तेज होने लगा है। ऐसे में कलेक्टरों को बोरिंग खनन पर प्रतिबंध लगाना पड़ा है तो ग्रामीणों को पानी खरीदना मजबूरी बना है।
मोहन सरकार ने गर्मी में पेयजल संकट के निदान के लिए यह निर्णय लिया था कि गर्मी के मद्देनजर ग्रामीण बसाहटों में हैंडपंपों के माध्यम से पेयजल व्यवस्था को प्रभावी बनाए रखना है लेकिन अब इसमें दिक्कतें सामने आने लगी हैं। सरकार के दावे हैं कि नल जल योजना के माध्यम से भी पानी की व्यवस्था की जा रही है जो गहराते जल संकट के चलते सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खोल रही है।
बजट सत्र के दौरान सरकार ने यह तय किया था कि गर्मी में एक अप्रेल से 30 जून तक जहां पेयजल संकट की स्थिति बनेगी वहां पीएचई विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन कार्ययोजना के अंतर्गत पानी दिया जाएगा। ऐसे गांवों में हैंडपंपों और नलकूपों में राइजर पाइप बढ़ाकर, नए हैंडपंप लगाकर, पानी का प्रेशर कम होने पर नलकूपों में हाइड्रोफैक्चरिंग करके, सफाई कराने का काम कराया जाएगा। साथ ही अनुपयोगी होने से बंद नल जल योजनाओं में नए नलकूप स्त्रोत खनन कराकर प्रभावित बसाहट वाले इलाकों में काम कराया जाएगा।
सरकार का दावा है कि इन कार्यों को जून के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा, ताकि ग्रामीण इलाकों में पेयजल संकट से राहत मिल सके। हालांकि, अब तक की स्थिति को देखते हुए ये दावे जमीनी स्तर पर कितने कारगर साबित होंगे, यह आने वाला वक्त बताएगा।