पृथ्वी की सतह के 70% हिस्से में पानी है, जिसमें से 97% खारा और 3% ताजा पानी है। स्वच्छ पेयजल यानी पीने योग्य पानी मानव जीवन के लिए आवश्यक है। सौभाग्य से, हमारे पास समुद्र, नदी, महासागर और बारिश सहित पानी के कई स्रोत हैं। लेकिन मानवीय लापरवाही के कारण पृथ्वी पर मौजूद पानी प्रति क्षण प्रदूषित हो रहा है।
भारत में 7.6 करोड़ की आबादी को स्वच्छ जल सहज उपलब्ध नहीं है, जो पूरी दुनिया के देशों में स्वच्छ जल से वंचित रहने वाले लोगों की सर्वाधिक आबादी है। इतना ही नहीं विशेषज्ञों ने इस आपदा के और गंभीर होने की आशंका जताई है, क्योंकि भारत में 73 फीसदी भूमिगत जल का दोहन किया जा चुका है। जिसका मतलब है कि हमने भरण क्षमता से अधिक जल का उपयोग कर लिया है। स्वच्छ जल के सबसे बड़े स्रोत छोटी नदियां और जलधाराएं सूख चुकी हैं, जबकि बड़ी नदियां प्रदूषण से जूझ रही हैं। इन सबके बावजूद हम कुल बारिश का सिर्फ 12 फीसदी जल ही संरक्षित कर पाते हैं।
आज हालात ऐसे हैं कि हर वर्ष लाखों लोगों और बच्चों की मौत अपर्याप्त जल आपूर्ति, स्वच्छता और साफ-सफाई के कारण उत्पन्न बीमारियों के कारण होती है। नदियों के किनारे बसे शहरों की स्थिति तो और भी बदतर है। इन नदियों में कल-कारखानों और स्थानीय निकायों द्वारा फेंका गया रासायनिक कचरा, मल-मूत्र और अन्य अवशिष्ट उन्हें प्रदूषित कर रहे हैं। इन नदियों के जल का उपयोग करने वाले लोग कई गंभीर रोगों का शिकार हो रहे हैं। इससे बचने के लिए लोगों को नदियों को दूषित होने से बचाने के लिए जागरूक होना होगा। उन्हें यह समझना होगा कि उनके द्वारा नदियों तथा तालाबों में फेंका गया कूड़ा-कचरा उनके ही पेयजल को दूषित कर रहा है। कल-कारखानों के मालिकों को इसके लिए बाध्य करना होगा कि वे प्रदूषित और रासायनिक पदार्थों को नदियों में कतई न जाने दें। यदि कोई ऐसा करता पाया जाए, तो उसे कठोर दण्ड दिया जाए। जब तक हम जल की महत्ता को समझते हुए नदियों को साफ रखने की मुहिम का हिस्सा नहीं बनते हैं, तब तक नदियों को कोई भी सरकार साफ नहीं रख सकती है। सरकार स्वच्छ भारत अभियान से मिले जनता के भरपूर समर्थन के समान ही स्वच्छ जल लक्ष्य पर विजय प्राप्त कर सकती है।
#2030 के भारत के सतत विकास के विभिन्न लक्ष्यों में से एक है स्वच्छ जल तथा स्वच्छता। स्वच्छता में सुधार करना भारत सरकार की एक सराहनीय पहल है और इस दिशा में उसने अनेक प्रमुख अभियान शुरु किए हैं जिनमें स्वच्छ भारत अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम और गंगा संरक्षण के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम शामिल है। इन अभियानों के तहत भारत में वर्ष 2030 तक नदियों तथा अन्य सभी जल स्त्रोतों का जल शुद्ध हो जाएगा, इसके साथ ही स्वच्छ भारत अभियान नए आयाम छुएगा।
7 सस्ती तथा प्रदुषण-मुक्त ऊर्जा
ऊर्जा वह सुनहरी डोर है जिसके चलते जीवन यापन करना लगभग बहुत आनंदमय और आसान हो गया है। आज ऊर्जा के क्षेत्र में भारत नई नई सफलताएँ और नए मुकाम हासिल कर रहा है। ऊर्जा क सुगम साधनों के चलते आधुनिक तकनीकियों को अपनाने में काफी वृद्धि हुई है, जो हमारे देश के लिए दृढ़ता का विषय है। आज दुनिया के सामने मौजूद लगभग हर चुनौती और अवसर, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, अनाज उत्पादन, नौकरी या बढ़ती आमदनी में ऊर्जा प्रमुख भूमिका निभाती है। सतत ऊर्जा अवसर पैदा करती है, साथ ही जीवन, अर्थव्यवस्था और पृथ्वी का कायाकल्प करती है।
हमारे दैनिक जीवन में खाना पकाने, बिजली उत्पन्न करने, कारखानों को चलाने तथा वाहनों के लिए ऊर्जा का अत्यंत महत्व है, जिसे हम ज्यादातर ईंधनों से प्राप्त करते हैं। पृथ्वी में संचित कोयला तथा पेट्रोलियम लम्बे समय से हमारी आवश्यकताओं को पूरा करते रहे हैं। ये अनवीकरणीय स्त्रोत अभी भी धरती की गहराई में विद्यमान हैं। लेकिन एक बार इनका प्रयोग कर लेने के बाद पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता है। कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे जीवाश्मी ईंधन के निरंतर उपयोग से भविष्य में ये समाप्त हो जाएंगे, साथ ही ये प्रदुषण का कारण भी है। इस हेतु यह आवश्यक है कि हम ऐसी ऊर्जा का उपयोग करें जो नवीकरणीय है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा प्रत्यक्ष रूप से सभी ऊर्जाओं का कारण बनती है। इसी ऊर्जा का रूपांतरण अन्य सभी ऊर्जाओं की आधारशिला है। पवन, जल, सौर, बायोमास तथा भूतापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती और प्रदूषण मुक्त होती है। जिस प्रकार हमारी आवश्यकताएं निरंतर बढ़ रही हैं, इन्हें पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के उपयोग में वृद्धि अति आवश्यक है ताकि भविष्य में ऊर्जा संकटों का सामना न करना पड़े।
#2030 के भारत के सतत विकास के सांतवे लक्ष्य में यह सुनिश्चित किया गया है कि 2030 में सम्पूर्ण भारत में सस्ती, विश्वसनीय और आधुनिक ऊर्जा सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित की जाये, वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाई जाये, ऊर्जा किफायत में सुधार की वैश्विक दर दोगुनी की जाये, और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी सुलभ कराने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जाये।
8 उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि
2030 के भारत के सतत विकास के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि। उत्कृष्ट कार्य का सीधे तौर पर आशय अच्छे गुण से युक्त कार्य से है। इस लक्ष्य का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी सीरीज के पॉइंट 4 से नाता है, क्योंकि उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कहीं न कहीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता होती ही है।
यदि हम इस विषय के इतिहास की बात करें, तो दुनियाभर में वार्षिक आर्थिक वृद्धि सन् 2000 में 3% थी, जो घटकर 2014 में 1.3% रह गई। वैश्विक बेरोजगारी 2007 में 17 करोड़ से बढ़ते-बढ़ते 2012 में करीब 20.2 करोड़ हो गई, जिसमें से करीब 7.5 करोड़ युवतियां और युवक थे। इस धीमी और असामान्य प्रगति को देखते हुए प्रशासन ने यह निश्चय किया कि गरीबी मिटाने की हमारी आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर नए सिरे से सोचकर नए साधनों का सहारा लेना होगा।
सतत् विकास एजेंडा का मूल मंत्र है ‘कोई पीछे छूटने न पाए’। साथ ही ‘सभी को मिले काम, ऐसा हो अर्थव्यवस्था में सुधार’ मोटो को अपनाकर इस लक्ष्य के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। 10 और 24 वर्ष की आयु के बीच 36 करोड़ से अधिक युवाओं के साथ भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी निवास करती है। इस डेमोग्राफिक प्रॉफिट के उपयोग पर ही देश के लिए संपन्न और जानदार भविष्य की रचना का सारा दारोमदार है। किन्तु उच्चतर शिक्षा में भारत का सिर्फ 23% का सकल भर्ती अनुपात दुनिया में सबसे कम अनुपातों में से एक है। भारत में श्रम शक्ति हर वर्ष 80 लाख से अधिक बढ़ जाने का अनुमान है और देश को अब से लेकर 2050 तक 28 करोड़ रोजगार जुटाने की जरूरत होगी, जिसके परिणाम स्वरुप उपरोक्त मौजूदा स्तरों में एक-तिहाई वृद्धि होगी।
उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि लक्ष्य का उद्देश्य 2030 तक हर जगह सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए पूर्ण एवं उत्पादक रोजगार हासिल करना, युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना, क्षेत्रों, आयु समूहों और लिंग के आधार पर असमानता को कम करना, अनौपचारिक रोजगारों में कमी करना, सभी श्रमिकों के लिये सकुशल और सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि #2030 के भारत में अक्षम या अपंग व्यक्तियों सहित सभी लोगों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए और साथ ही बाल श्रम को भी खत्म किया जाए। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय सेवा योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसे सरकार के कुछ प्रमुख कार्यक्रमों का उद्देश्य सभी के लिए उत्कृष्ट कार्य जुटाना है।
9 उद्योग, नवाचार तथा बुनियादी सुविधाएँ
औद्योगिक विकास भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिशा निर्धारक रहा है। भाप इंजन से लेकर आज तक की वास्तव में वैश्विक उत्पादन श्रृंखलाओं और प्रक्रियाओं तक उद्योगों ने हमारी अर्थव्यवस्थाओं को बदला है और हमारे समाज में बड़े बदलाव लाने में सहायता की है। 2030 के भारत के सतत विकास के इस लक्ष्य का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय तथा सीमाओं के आर-पार बुनियादी सुविधाओं सहित गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय, टिकाऊ तथा जानदार बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है जिससे आर्थिक विकास हो और मानव कल्याण को सहारा मिले तथा रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद में राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार उद्योग की हिस्सेदारी में बहुत अधिक वृद्धि की जाए। वहीँ दूसरी और सरकार के मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे प्रमुख प्रयासों तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम के बल पर नवाचार और सतत् औद्योगिक एवं आर्थिक विकास को गति मिल रही है।
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