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हजारों होमबायर्स के लिए खुशखबरी, फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता होगा साफ, सरकार IBC कोड में करने जा रही बदलाव

Updated on 01-06-2023 06:58 PM
नोएडा : नोएडा-ग्रेनो में कई बिल्डर प्रॉजेक्ट नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल (NCLT) में चले गए हैं। ये दिवालिया प्रक्रिया में चल रहे हैं। ऐसे बिल्डर प्रॉजेक्ट में फंसे हजारों बायर्स के फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता जल्द साफ हो सकता है। इसके लिए सरकार ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंक करप्सी कोड-2016 (आईबीसी कोड) में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव आगे बढ़ाया है। एनसीएलटी में गए प्रॉजेक्टों में हजारों फ्लैट ऐसे भी हैं जिनमें लोग रह रहे हैं या शिफ्ट होने की प्लानिंग कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है बहुत जल्द इस प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।

क्यों फंसी है बायर्स की रजिस्ट्री

यहां के कई बड़े ग्रुपों के प्रॉजेक्ट इस समय एनसीएलटी में विचाराधीन हैं। इंटरिम रिजोल्यूशन प्रफेशनल (IRP) की निगरानी में इन प्रॉजेक्टों में काम चल रहा है। जो फ्लैट इन फंसे हुए प्रॉजेक्टों में पूरे हैं या जिनमें लोग रह रहे हैं इनकी रजिस्ट्री का समाधान आईआरपी के पास भी नहीं है। बिल्डरों पर अथॉरिटी का बकाया है और अथॉरिटी रजिस्ट्री कराने के लिए ट्राई पार्टटाइप सबलीज पर साइन तब तक नहीं करेगी जब तक उसका बकाया नहीं मिल जाता। इस वजह से इन बायर्स की रजिस्ट्री फंसी है। रजिस्ट्री फंसी होने से न तो इन फ्लैटों के बायर्स के पास मालिकाना हक है, न वे इन्हें खरीद-बेच पा रहे हैं और न ही लोन हो रहा है। इसी के चलते अलग-अलग स्तर पर पिछले दिनों यह प्रस्ताव रखे गए कि ऐसे फ्लैटों की रजिस्ट्री होनी चाहिए। इससे रियल एस्टेट मार्केट की गतिशीलता बढ़ेगी और सरकार को स्टांप के रूप में राजस्व भी मिलेगा। यूपी रेरा ने भी करीब एक साल पहले यह प्रस्ताव प्रदेश सरकार के पास भेजा था। केंद्र सरकार के सामने भी अलग-अलग स्तर से यह प्रस्ताव रखा गया था। इसी के चलते अब केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर विचार करने के बाद इसे आईबीसी कोड-2016 में संशोधन करने के लिए आगे बढ़ाया है।


बायर्स को होगा फायदा

आईबीसी कोड-2016 के इस प्रस्ताव पर यदि मुहर लग जाती है तो नोएडा ग्रेनो में करीब 70-80 हजार बायर्स की रजिस्ट्री के रास्ते तुरंत खुल जाएंगे। जानकारी के मुताबिक, नोएडा-ग्रेटर नोएडा के अलग-अलग बिल्डर ग्रुपों के करीब 40 से ज्यादा प्रॉजेक्ट इस समय एनसीएलटी में है। अनुमान के मुताबिक, इनमें 70-80 हजार फ्लैट ऐसे हैं जिनमें या तो लोग रह रहे हैं या शिफ्ट के लायक तैयार खड़े हैं। इनमें से कई हजार फ्लैटों का संबंधित बिल्डरों ने अथॉरिटी से ओसी (ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट) भी ले रखा है।

अथॉरिटी को होगा आर्थिक नुकसान

बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले आईबीसी कोड में जब संशोधन हुआ तो उसमें अथॉरिटी को दिवालिया प्रक्रिया में गए प्रॉजेक्टों में फाइनैंशल क्रेडिटर की भूमिका से बाहर कर दिया गया था। अभी अथॉरिटी एनसीएलटी में चल रहे प्रॉजेक्ट में केवल ऑपरेशन क्रेडिटर की भूमिका में है। इसके चलते पहले से ही अथॉरिटी को इन प्रॉजेक्टों में अपना आर्थिक क्लेम करने का अधिकार नहीं है। यदि इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो दिवालिया प्रक्रिया के प्रॉजेक्टों में रजिस्ट्री के लिए भी अथॉरिटी की भूमिका कमजोर हो जाएगी। आम्रपाली के प्रॉजेक्टों की तरह ही बाकी प्रॉजेक्टों में भी बिना किसी क्लेम व बाधा डाले अथॉरिटी को ट्राइ पार्ट टाइप सबलीज पर साइन करना पड़ेगा।

क्या कहते हैं जानकार


दिवालिया प्रक्रिया में चल रही थ्रीसी ग्रुप की एक कंपनी में एनसीएलटी की ओर से नियुक्त आईआरपी मनीष कुमार गुप्ता ने बताया कि सरकार ने आईबीसी कोड-2016 में संशोधन के लिए विचार करने के बाद यह प्रस्ताव आगे बढ़ाया है। इससे उम्मीद की जा रही है कि इस पर बहुत जल्द फैसला हो सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा बायर्स को होगा। उन्हें फ्लैट का मालिकाना हक मिलेगा। दिवालिया प्रक्रिया वाले फ्लैटों पर बैंक लोन दे सकेंगे और मार्केट में खरीद फरोख्त बढ़ेगी। सरकार की भी आमदनी बढ़ेगी।

इन आंकड़ों पर गौर कीजिए

  • 40 से ज्यादा प्रॉजेक्ट जिले के इस समय दिवालिया प्रक्रिया में हैं।
  • 70-80 हजार तैयार फ्लैटों की रजिस्ट्री इस चक्कर में फंसी है।
  • 313 ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट कुल नोएडा व ग्रेनो अथॉरिटी में स्वीकृत हैं।

फ्लैट फाइल

  • 166878 फ्लैटों की संख्या नोएडा और 207425 फ्लैटों की संख्या ग्रेनो के प्रॉजेक्टों में स्वीकृत है।
  • 98833 फ्लैटों का ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नोएडा अथॉरिटी जारी कर चुकी हैं, इनमें से 60675 की रजिस्ट्री हुई है
  • 101514 फ्लैटों का ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट ग्रेनो अथॉरिटी जारी कर चुकी है, 93860 फ्लैटों की रजिस्ट्री ही हुई है।

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