औरंगाबाद । भारतीय
महिला खो-खो टीम की पूर्व कप्तान सारिका काले ने कहा है कि खेल से उनकी जिंदगी बदल
गयी है। प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार के लिये चयनित सारिका ने कहा है कि जीवन में एक
समय ऐसा भी गुजरा है जब उन्हें दिन भर में एक बार ही खाना मिल पाता था। वर्तमान में
महाराष्ट्र सरकार में खेल अधिकारी पद पर कार्यरत काले को 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल
दिवस के अवसर पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। दक्षिण एशियाई खेल 2016 में
स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम की कप्तान रही काले ने कहा, ‘‘मुझे भले ही इस साल अर्जुन
पुरस्कार के लिये चुना गया है पर मैं उन दिनों को नहीं भूल सकती जब जब मुझे दिन में
केवल एक बार भोजन मिल पाता था। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘अपने परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण मैं खेल में आयी।’’ काले ने कहा, ‘‘उन समय मुझे खाने के लिये दिन में केवल एक बार मिलता था। मुझे तभी खास भोजन मिलता था जब मैं शिविर में जाती थी या किसी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये जाती थी। ’’
काले ने कहा कि कई परेशानियों के बावजूद उनके परिवार ने उनका साथ दिया और उन्हें कभी विभिन्न टूर्नामेंटों में भाग लेने से नहीं रोका। उन्होंने कहा, ‘‘खेलों में ग्रामीण और शहरी माहौल का अंतर यह होता है कि ग्रामीण लोगों को आपकी सफलता देर में समझ में आती है भले ही वह कितनी ही बड़ी क्यों न हो।’’ वहीं सारिका 2016 में अपने परिवार की वित्तीय समस्याओं के कारण परेशान थी। उसने यहां तक कि खेल छोड़ने का फैसला कर लिया था पर बाद में वह मैदान पर लौट आयी और यहीं से उसके जीतन में बदलाव आया।