पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव के बाद नतीजे आ चुके हैं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ जारी है। इस बीच, पाकिस्तान के अहम सहयोगी चीन का बयान आया है। चीन ने कहा- पाकिस्तान की सभी पॉलिटिकल पार्टीज को मिलकर हल खोजना चाहिए या सरकार बनानी चाहिए।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को कहा- वहां के हालात पर हमारी नजर है। लोगों ने वोट के जरिए जो मैसेज दिया है, उसको समझते हुए राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता के लिए सभी दलों को साथ आना चाहिए। वहां स्थिरता की सबसे ज्यादा जरूरत है।
बिलावल बोले- पावर शेयरिंग फॉर्मूला मंजूर नहीं
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PML-N) के साथ चल रही बातचीत का जिक्र सियासी रैली में कर दिया। इससे नवाज की पार्टी नाराज है।
बिलावल ने रविवार को एक रैली में कहा- PML-N ने मुझे दो साल के लिए प्राइम मिनिस्टर बनने का ऑफर दिया था। ये मुझे कबूल नहीं है। मैं जब भी प्रधानमंत्री बनूंगा तब पाकिस्तान की जनता ही मुझे चुनेगी।
बिलावल के इस बयान पर नवाज की पार्टी के सीनियर लीडर इशाक डार ने कहा- पॉलिटिकल पार्टीज के बीच कुछ बातें बंद कमरों में तय होती हैं। इन्हें इस तरह किसी रैली में नहीं बताया जाना चाहिए।
किसी का नाम नहीं लिया
आम चुनाव के बाद बिलावल ने यह पहली रैली की। इसका मकसद मतदाताओं का शुक्रिया अदा करना था। बिलावल ने कहा- उन्होंने (PML-N) मुझे दो साल के लिए वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) बनने का ऑफर दिया था। तीन साल वो खुद इस पद पर रहना चाहते थे। मैंने ऑफर ठुकरा दिया। मुझे इस तरह प्रधानमंत्री नहीं बनना। मैं जिस भी दिन वजीर-ए-आजम बनूंगा, उस दिन पाकिस्तान की जनता ही मुझे चुनेगी। मैं मंत्री भी नहीं बनना चाहता।
पिता आसिफ अली जरदारी का जिक्र करते हुए हुए बिलावल ने कहा- हम उन्हें प्रेसिडेंट बनाना चाहते हैं। इसका फायदा ये होगा कि देश में जो सियासी हालात हैं, जरदारी उन्हें काबू कर सकते हैं और मुल्क को तरक्की के रास्ते पर ले जाने में उनका अहम रोल हो सकता है। आज देश की इकोनॉमी खस्ताहाल है और अगर जरदारी जैसा कोई शख्स प्रेसिडेंट बनता है तो इसका फायदा मुल्क को होगा। सच ये भी है कि खराब सियासी हालात की वजह इकोनॉमी पर असर हुआ है।
फॉरेन मिनिस्टर नहीं बनूंगा
8 फरवरी को हुए इलेक्शन से पहले बिलावल भुट्टो ने कहा था कि अगर नवाज शरीफ फिर प्रधानमंत्री बनते हैं तो वो उनकी सरकार में शामिल नहीं होंगे और न ही फिर फॉरेन मिनिस्टर बनेंगे। बिलावल ने कहा था- मैं फिर उसी पुरानी सियासत का हिस्सा नहीं बनना चाहता। हमारे यहां की दोनों पार्टियां (नवाज की PMLN और इमरान खान की PTI) सिर्फ नफरत फैला रही हैं। मुल्क को इसी से तो बचाना मेरा मिशन है।
पिछले साल पाकिस्तान में 13 दलों की पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDM) सरकार थी। नवाज के भाई शाहबाज शरीफ इस सरकार में प्रधानमंत्री थे और बिलावल विदेश मंत्री थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद बिलावल की पार्टी नवाज से हाथ मिलाएगी और उसके सीनियर लीडर उस सरकार में मंत्री बनेंगे। बिलावल इससे इनकार कर रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में बिलावल ने कहा- पाकिस्तान में फिर बांटने और नफरत की सियासत हो रही है। दोनों बड़ी पार्टियां यही कर रही हैं। मैं इस तरह की पुरानी सियासत को पसंद नहीं करता। यही वजह है कि मैं इन लोगों के साथ नहीं जाने की बात कह रहा हूं।
बातचीत जारी
पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए जनरल इलेक्शन में किसी पार्टी को बहुमत (134 सीट) नहीं मिला। सरकार बनाने के लिए नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) समीकरण तैयार कर रही हैं। इसके लिए सोमवार को भी बातचीत हुई। बिलावल कह चुके हैं कि वो PML-N को बाहर से समर्थन देेंगे, लेकिन सरकार में शामिल नहीं होंगे।‘जियो न्यूज लाइव’ की रिपोर्ट में नया दावा सामने आया। इसके मुताबिक- दोनों पार्टियां पावर शेयरिंग फॉर्मूले पर विचार कर रही हैं। इसके तहत पांच साल के कार्यकाल में से 3 साल शाहबाज शरीफ और 2 साल बिलावल भुट्टो जरदारी वजीर-ए-आजम यानी प्रधानमंत्री रहेंगे।
2013 में बलूचिस्तान प्रांत में किसी को बहुमत नहीं मिला था। तब PML-N और नेशनल पार्टी (NP) ने मुख्यमंत्री पद के लिए इसी तरह का समझौता किया था। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 336 सीटें हैं। इनमें से 265 सीटों पर चुनाव हुए। एक सीट पर चुनाव टाल दिया गया, जबकि एक सीट NA-88 के नतीजों को खारिज कर दिया गया है। यहां 15 फरवरी को फिर से वोटिंग होगी। बाकी 70 सीटें रिजर्व हैं।