साउथ अमेरिकी देश चिली के जंगलों में आग लगी है। ये रिहायशी इलाकों में फैल गई है। अब तक 112 लोगों की मौत हो चुकी है। आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। सैकड़ों लोग लापता हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सबसे पहले वीना डेल मार और वलपरिसो शहर के जंगलों में आग लगी। ये लगातार फैल रही है। हजारों घर जल गए हैं। आग में अपना घर खो चुके एक शख्स ने कहा- आग फैलने से हालात न्यूक्लियर बम फटने जैसे हो गए हैं। यहां कुछ नहीं बचा है। आसमान से राख बरस रही है। मेरा घर खाक हो गया। दोस्तों की मौत हो गई है।
गंभीर हालत को देखते हुए राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है। दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा भी की गई है।
सड़कों पर शव बिखरे
AFP न्यूज के मुताबिक लोग कारों में बैठकर यहां से भागने की कोशिश कर रहे हैं। कई जलते हुए पेड़ सड़कों पर गिरे हुए हैं। इस वजह से ट्रैफिक जाम हो रहा है। ऐसी स्थिति में कई कारें जल गईं और उनमें सवार लोगों की मौत हो गई। कई शव सड़कों पर बिखरे हुए हैं। इन पर चादर बिछाई गई है। लोगों का कहना है कि वो जहां भी जा रहे हैं, उन्हें वहां शव बिखरे दिख रहे हैं।
जहां जंगलों में आग वहां छुट्टियां मनाने पहुंचे थे लोग
राष्ट्रपति बोरिक ने कहा- वीना डेल मार और वलपरिसो के जंगलों में लगी आग क्विलपुए, लिमचे, विला एलेमाना शहरों में फैल गई है। ये सभी तटीय शहर हैं। साल के इस समय यहां हजारों टूरिस्ट आते हैं।
उन्होंने कहा- लोग छुट्टियां मानने के लिए यहां जमा हुए। ऐसे में आग लगने से काफी नुकसान हुआ है। घर, होटल, रिसॉर्ट जल गए हैं। हालात काबू से बाहर हो गए हैं। लोगों को बचाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।
तापमान 40 डिग्री सेलसियस पहुंचा
धधकते जंगलों के चलते तापमान 40 डिग्री सेलसियस पहुंच गया है। लगातार गर्म हवाएं चल रही हैं। ऐसे में लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। ये आग कब लगी इसकी जानकारी नहीं है।
गर्म हवाओं की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। चिली के गृह मंत्री का कहना है कि तापमान में गिरावट और ह्यूमिडिटी हो जाए तो बचाव कर्मियों को थोड़ी मदद मिल जाएगी और हालात को आसानी से काबू किया जा सकेगा।
मदद के लिए सेना बुलाई गई
जर्मन मीडिया DW के मुताबिक, प्रशासन ने मदद के लिए सेना को बुलाया है। फायर फाइटर्स के साथ सेना भी हालात को काबू करने में जुटी हुई है। सेना के हेलिकॉप्टर आसमान से पानी फेंक रहे हैं जिससे आग को बुझाया जा सके।
14 साल बाद हुई ऐसी तबाही
चिली में 14 साल बाद ऐसी तबाही देखने को मिली है। 2010 में यहां भूकंप आया था। इसमें 400 लोगों की मौत हो गई थी। 15 लाख लोग बेघर हुए थे।
जानिए जंगल में आग लगती कैसे है...
आग जलने के लिए हीट, ईंधन और ऑक्सीजन जरूरी होते हैं। जंगल में ऑक्सीजन हवा में ही मौजूद होती है। पेड़ों की सूखी टहनियां और पत्ते ईंधन का काम करते हैं। वहीं एक छोटी सी चिंगारी हीट का काम कर सकती है।
ज्यादातर आग गर्मी के मौसम में लगती है। इस मौसम में एक हल्की चिंगारी ही पूरे जंगल को आग की चपेट में लेने के लिए काफी होती है। ये चिंगारी पेड़ों की टहनियों के आपस में रगड़ खाने से या सूरज की तेज किरणें भी कई बार भड़क जाती हैं।
गर्मी में पेड़ों की टहनियां और शाखाएं सूख जाती हैं, जो आसानी से आग पकड़ लेती हैं। एक बार आग लगने पर इसे हवा बढ़ावा देती है। इसके अलावा प्राकृतिक रूप से बिजली गिरने, ज्वालामुखी और कोयले के जलने की वजह से भी जंगल में आग लग सकती है। फिलहाल तापमान में बढ़ोतरी को कनाडा में लगी आग की मुख्य वजह बताया जा रहा है।