विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि रूसी आर्मी में भर्ती किए गए कई भारतीयों को बचा लिया गया है। सेना ने इन्हें रिलीव कर दिया है। मंत्रालय का यह बयान जंग लड़ने यूक्रेन भेजे गए एक भारतीय की मौत के बाद आया है।
विदेश मंत्रालय ने कहा- कुछ दिनों से खबरें आ रही थीं कि रूसी सेना में भर्ती करवाए गए कई भारतीय वापस आने की मांग कर रहे हैं। हमने यह मामला रूसी सरकार के सामने उठाया। इसके बाद कई भारतीयों को रशियन आर्मी से डिस्चार्ज कर दिया गया है। भारतीयों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।
23 फरवरी को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा था- कुछ भारतीयों ने रूसी आर्मी में हेल्पर की नौकरी के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। बाद में इन्हें जंग लड़ने भेज दिया गया। भारतीय दूतावास रूसी अधिकारियों के साथ इस मामले को लेकर संपर्क में है। हम उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच हम सभी भारतीयों से अपील करते हैं कि वो पूरी सतर्कता बरतते हुए जंग से दूर रहें।
गुजरात का रहने वाला था मारा गया भारतीय
गुजरात के सूरत में रहने वाले हेमिल अश्विनभाई मंगुकिया की यूक्रेन में मौत हुई। हेमिल को रूसी कंपनी में नौकरी जॉइन कराई गई थी। बाद में कंपनी ने उसे जंग लड़ने के लिए भेज दिया था। हेमिल को धोखे से वैगनर आर्मी जॉइन करा दी गई थी। मरने से कुछ घंटे पहले हेमिल ने घरवालों से करीब 2 घंटे बात की थी।
उसके परिजन अतुल मंगुकिया ने बताया- 23 फरवरी को हेमिल के पिता के पास एक फोन आया था। उन्हें बेटे के मारे जाने की जानकारी मिली थी। हमें यकीन नहीं हुआ इसलिए हमने पूछताछ करवाई। 25 फरवरी को कन्फर्म हुआ कि हेमिल रूस-यूक्रेन जंग में मारा गया है।
हेल्पर की नौकरी के लिए रूस गया था
अतुल मंगुकिया ने कहा- हेमिल 14 दिसंबर को चेन्नई से रूस रवाना हुआ था। उसे सोशल मीडिया के जरिए रूसी सेना में हेल्पर की नौकरी के बारे में जानकारी मिली थी। रूसी कंपनी के एजेंट्स के कहने पर वो रूस चला गया। पिछले महीने उसके अकाउंट में 2.3 लाख रुपए की सैलरी क्रेडिट हुई थी।
हेमिल ने कहा था- मैं ठीक हूं
अतुल ने बताया- हेमिल हर दिन घरवालों को कॉल करता था। मरने से पहले भी उसने घरवालों से करीब 2 घंटे बात की थी। कहा था- मैं ठीक हूं। कॉल रखने के कुछ घंटों बाद ही उसकी मौत हो गई।
हेमिल के परिवार से भारत सरकार से मांग की है कि वो रूसी सरकार से संपर्क करें और हेमिल की मौत की पूरी जानकारी लें। पुलिस का कहना है कि हेमिल नॉर्मल वीजा पर रूस गया था। इस बात की जानकारी नहीं है कि उसने वहां नौकरी कैसे शुरू कर दी। दरअसल, दूसरे देशों में नौकरी करने वाले लोगों को वर्क वीजा इश्यू किया जाता है।
4 दिन पहले फेक आर्मी जॉब रैकेट का खुलासा हुआ था
22 फरवरी को पब्लिश हुई टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भारतीयों को शिकार बनाने वाले फेक आर्मी जॉब रैकेट का खुलासा हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी कंपनियों के एजेंट्स भारतीयों को लाखों की सैलरी वाली हेल्पर की नौकरी का झांसा देकर उन्हें रूस भेज रहे हैं। रूस पहुंचने के बाद भारतीयों को रूस की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैगनर ग्रुप में भर्ती करवाया जा रहा है और जंग के मैदान में भेजा जा रहा है।
रिपोर्ट- 60 भारतीयों को भी झांसा दिया गया
रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीयों को विजिटर वीजा पर रूस ले जाया जा रहा है। इसके मुताबिक 60 अन्य भारतीयों को भी झांसा देकर वैगनर आर्मी में शामिल किया गया। महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने इन लोगों से रूसी भाषा में लिखा कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाया था। इन्हें बताया गया कि यह हेल्पर की नौकरी के लिए है।