अमेरिका के आयोवा में एक स्कूल में 17 साल के बच्चे ने फायरिंग की। इस घटना में एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि पांच लोग घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक हमले का आरोपी भी मृत पाया गया है। अधिकारियों ने आशंका जताई है कि उसने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार की सुबह करीब 7:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) यह घटना हुई। पब्लिक सेफ्टी डिविजन के अधिकारी मिच मोर्टवेट का कहना है कि पेरी स्कूल के प्रिंसिपल को भी गोली लगी है। एक पीड़ित की हालत गंभीर है, जबकि अन्य चार की हालत स्थिर है।
लोग चिल्लाए बाहर भागो
15 साल का जेंडर शेली हॉलवे में स्कूल का दिन शुरू होने का इंतजार कर रहा था, तभी उसने गोलियों की आवाज सुनी और कक्षा में भाग गया। उसके पिता केविन शेली के मुताबिक, सुबह 7:36 बजे उसने मुझे संदेश भेजा। तब वह कक्षा में छिपा था।
18 साल की रशेल कैरेस, सुबह 8:37 बजे जैज़ बैंड अभ्यास समाप्त कर रही थी। उसने अभी अपनी घड़ी देखी थी, जब उसने और उसके बैंडमेट्स ने चार गोलियों की आवाज सुनी।
अमेरिका की आबादी 33 करोड़ और यहां 40 करोड़ गन
नागरिकों के बंदूक रखने के मामले में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है। स्विट्जरलैंड के स्मॉल आर्म्स सर्वे यानी SAS की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में मौजूद कुल 85.7 करोड़ सिविलियन गन में से अकेले अमेरिका में ही 39.3 करोड़ सिविलयन बंदूक मौजूद हैं। दुनिया की आबादी में अमेरिका का हिस्सा 5% है, लेकिन दुनिया की कुल सिविलियन गन में से 46% अकेले अमेरिका में हैं।
अक्टूबर 2020 के गैलप सर्वे के मुताबिक, 44% अमेरिकी वयस्क उस घर में रहते हैं, जहां बंदूकें हैं। इनमें से एक तिहाई वयस्कों के पास बंदूकें हैं। 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 63 हजार लाइसेंस्ड गन डीलर थे, जिन्होंने उस साल अमेरिकी नागरिकों को 83 हजार करोड़ रुपए की बंदूकें बेची थीं।
अमेरिका 231 साल बाद भी अपने गन कल्चर को खत्म नहीं कर पाया है। इसकी दो वजहें हैं। पहली- कई अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखने की वकालत करते रहे हैं। दूसरी- गन बनाने वाली कंपनियां, यानी गन लॉबी भी इस कल्चर के बने रहने की प्रमुख वजह है।
1791 में संविधान के दूसरे संशोधन के तहत अमेरिका नागरिकों को हथियार रखने और खरीदने का अधिकार दिया गया। अमेरिका में इस कल्चर की शुरुआत तब हुई थी, जब वहां अंग्रेजों का शासन था। उस वक्त वहां परमानेंट सिक्योरिटी फोर्स नहीं थी, इसीलिए लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार रखने का अधिकार दिया गया, लेकिन ये कानून आज भी जारी है।