साउथ कोरिया में कॉलेज एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स ने सरकार पर केस कर दिया है। इन स्टूडेंट्स का आरोप है कि उनका एग्जाम तय वक्त से 90 सेकंड पहले ही खत्म कर दिया गया और इसकी जिम्मेदार सरकार है।
बहरहाल, अगर कोर्ट में छात्रों के आरोप साबित होते हैं और वो इस गलती की जिम्मेदार साबित होती है तो उसे हर छात्र को 20 लाख वॉन (15 हजार 400 डॉलर या 12 लाख 77 हजार रुपए) देने होंगे। यह एक स्टूडेंट की एक साल की ट्यूशन फीस के बराबर है।
स्टूडेंट्स का बड़ा नुकसान हुआ
‘द टेलिग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक- स्टूडेंट्स इसे सरकार की बड़ी लापरवाही बता रहे हैं, क्योंकि इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा। छात्रों के वकील ने कहा- इस गलती का एक नुकसान ये भी है कि इसका नुकसान बाकी छात्रों को भी उठाना पड़ेगा।
साउथ कोरिया में कॉलेज एडमिशन आसान नहीं है। इसके लिए मुश्किल एंट्रेंस एग्जाम होता है। इसे लोकल लैंग्वेज में ‘सुनेउंग’ कहा जाता है। इस एग्जाम के लिए कुल 8 घंटे दिए जाते हैं। इस दौरान उन्हें कई एग्जाम पेपर्स सॉल्व करने होते हैं। ये एग्जाम पेपर्स अलग-अलग सब्जेक्ट के होते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक- सुनेउंग, दरहकीकत दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और इसके लिए स्टूडेंट्स को लंबे वक्त तक तैयारी करनी पड़ती है। लिहाजा, उनके लिए हर मिनट बेहद कीमती होता है।
कॅरियर से रिलेशनशिप तक का सफर
स्टूडेंट्स के लिए यह एग्जाम कितने मायने रखता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि एक तरह से उनकी जिंदगी ही इसके इर्दगिर्द घूमती है। रिपोर्ट के मुताबिक- इस एग्जाम से ही यूनिवर्सिटी प्लेसमेंट्स, जॉब्स और यहां तक कि वो रिलेशनशिप भी तय कर पाते हैं।
इस एग्जाम के लिए जितनी तैयारी स्टूडेंट्स करते हैं, उतनी ही मशक्कत सरकार को भी करनी पड़ती है। मसलन, एग्जाम वेन्यू या सेंटर के आसपास एयरस्पेस बंद कर दिया जाता है। स्टॉक मार्केट देर से शुरू होते हैं। मकसद सिर्फ यही होता है कि स्टूडेंट्स पूरी लगन से परीक्षा दे सकें। यानी उन्हें किसी तरह की दिक्कत पेश न आए।
8 दिसंबर को रिजल्ट और अब केस
इस साल इस एग्जाम में करीब 5 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। इसका रिजल्ट 8 दिसंबर को डिक्लेयर किया गया। कुल मिलाकर 39 स्टूडेंट्स ने सरकार के खिलाफ केस दायर किया है।
स्टूडेंट्स ने जो केस फाइल किया है, उसमें कहा है कि कोरियन लैंग्वेज टेस्ट के दौरान घंटी पहले बजा दी गई। यह घटना दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के एक एग्जाम सेंटर पर हुई। छात्रों ने एग्जाम हॉल में आंसर शीट सबमिट करते वक्त न सिर्फ इसकी शिकायत की थी, बल्कि विरोध भी किया था।
इसके बाद ड्यूटी पर मौजूद टीचर्स ने भी गलती को माना। कुछ देर बाद जब ये स्टूडेंट्स अगला एग्जाम पेपर देने पहुंचे तो उन्हें डेढ़ मिनट एक्स्ट्रा दिया गया। इसका मकसद पिछले पेपर में हुए नुकसान की भरपाई करना था।
छात्रों का कहना है कि कोरियन लैंग्वेज के पेपर में वक्त कम मिलने से उन्हें आंसर शीट में कॉलम ब्लैंक छोड़ने पड़े। इससे वो परेशान हुए और बाकी पेपर्स पर इसका असर हुआ। कुछ तो ऐसे थे, जिन्होंने बाकी एग्जाम देने से बेहतर घर जाना समझा। अब एजुकेशन अथॉरिटी टीचर्स के बचाव में लगी है, लेकिन माफी मांगने को तैयार नहीं है।
2021 में भी ऐसी ही गलती पर छात्रों को मुआवजा देना पड़ा था। 2012 में चीन के हुनान प्रांत में 4 मिनट 48 सेकंड्स पहले रिंग कर दी गई थी। इसके दोषी को एक साल की सजा हुई थी।