यूरोपियन यूनियन (EU ) के नेता यूक्रेन को सदस्यता देने वाली प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार हो गए हैं। गुरुवार देर रात इसकी EU के 27 सदस्य देशों की समिट हुई, इसमें यूक्रेन और मोल्दोवा को सदस्य बनाने की प्रोसेस शुरू करने पर सहमति बनी। 27 में से 26 देशों ने यूक्रेन को सदस्य बनाने के पक्ष में वोट किया। सिर्फ हंगरी ने इसका विरोध किया।
हंगरी के विरोध के बाद EU की तरफ से यूक्रेन को दिए जाने वाले 4.58 लाख करोड़ रुपए के मदद पैकेज पर सहमति नहीं बन सकी।
वहीं, EU का मेंबर बनने के बाद यूक्रेन को आर्थिक फायदा हो सकता है। साथ ही उसकी सैन्य शक्ति बढ़ जाएगी और रूस के खिलाफ उसे बड़ी ताकत मिल जाएगी। सभी EU देश एक साथ मिलकर उस देश की मदद करते हैं, जिस पर कोई अन्य देश हमला करता है। इसे लेकर बाकायदा एक म्यूचुअल डिफेंस क्लॉज होता है, जिस वजह से मुश्किल में फंसे देश की मदद करना अनिवार्य हो जाता है।
यूरोपियन देशों के साथ खुला बाजार मिलेगा
आर्थिक तौर पर देखा जाए तो EU का सदस्य बनने से यूक्रेन को सभी यूरोपियन देशों के साथ खुला बाजार मिलेगा और हर सामान बिना किसी पाबंदी के आसानी के साथ एक देश से दूसरे देश में जा पाएगा। वहीं, यूक्रेन के नागरिकों की भी बड़ी मदद होगी, उन्हें कई तरह के अधिकार मिल जाएंगे। जैसे- कोई भी नागरिक यूक्रेन से किसी यूरोपीय देश आएगा, तो तीन साल तक उन्हें वहां रहने के लिए वीजा आवेदन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कैसे बनता है कोई देश EU का सदस्य?
यूरोपीय संघ की सदस्यता यूक्रेन की पुरानी मांग है, जिसे लेकर वह लड़ रहा है। जैसे, नाटो की सदस्यता यूक्रेन के लिए मायने रखती है, उसी तर्ज पर EU का सदस्य बनना भी यूक्रेन के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, EU का सदस्यता हासिल करने की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी है, इसमें सालों का वक्त लग सकता है।
सबसे पहले तो EU में शामिल होने वाले देश को फ्री मार्केट इकोनॉमी बनानी होगी। फिर उसे EU के सभी कायदे-कानून मानने पड़ेंगे। इसके बाद यूरोपियन काउंसिल के सभी सदस्यों को एक मत से किसी देश को स्वीकृति देनी होती है। इस प्रक्रिया में कई दौर के आवेदन और बातचीत शामिल हैं।
मदद देने पर सहमति नहीं
14 दिसंबर को हुई बैठक में यूक्रेन को दिए जाने वाले 4.58 लाख करोड़ के मदद पैकेज पर सहमति नहीं बनी। यानी EU अब यूक्रेन को मदद नहीं भेज सकेगा। बेल्जियम के ब्रुसेल्स में हुई बैठक में यूक्रेन को दी जाने वाली मदद के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया गया। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिका से भी मदद मांग रहे हैं, लेकिन यहां भी बात नहीं बन पा रही है।
दरअसल, अमेरिकी संसद (कांग्रेस) में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पार्टी अड़ंगा लगा रही है। यहां हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में रिपब्लिकन पार्टी को बढ़त है। रिपब्लिकन्स की मंजूरी के बिना जो बाइडेन राहत पैकेज अप्रूव नहीं कर सकते।