इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सियासत में पूर्व पीएम नवाज शरीफ की आहट से इमरान सरकार और सेना में अपरा-तफरी का माहौल है। एक दिन पहले संयुक्त विपक्ष की रैली में नवाज शरीफ ने इमरान खान और पाकिस्तानी सेना को खुले तौर पर चेतावनी दी थी। इसके बाद से इमरान के मंत्री शिबली फराज, असद उमर, शाह महमूद कुरैशी, और फवाद चौधरी ने सरकार की तरफ से मोर्चा संभाला। उन्होंने आरोप लगाया कि नवाज शरीफ के इमरान सरकार की बुराई करने से भारत को खुशी हुई है। पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री असद उमर ने कहा कि देश के दुश्मन यह महसूस कर रहे हैं कि पाकिस्तान विकास कर रहा है। इसलिए वे साथ मिलकर इस रास्ते में अड़चने पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ पाकिस्तानी सेना के खिलाफ व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं। उनकी टिप्पणी भारत के मीडिया में हेडलाइन बन रही है। वे नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो की आलोचना कर रहे हैं। जिसके अध्यक्ष को खुद पीपीपी और पीएमएल-एन ने नामित किया है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी असद उमर के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ के भाषण पर भारत में खुशी महसूस की गई। उन्होंने अपने भाषण में सरकार और सेना को धमकी दी और हर राज्य संस्था की आलोचना की। जबकि हमारे सेना के जवान देश की एकता और रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं।
सूचना मंत्री शिबली फराज ने कहा कि इस उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान के आदेश पर विपक्षी नेताओं के भाषणों के प्रसारण की अनुमति दी। उन्होंने इस आरोप को भी नकार दिया कि मौलाना फ़ज़लुर रहमान का लाइव भाषण को सरकार ने सेंसर किया था। शिबली फराज ने कहा कि उनके भाषण को खुद पीपीपी ने सेंसर किया था। उधर देश में बिगड़ते राजनीतिक हालात को लेकर सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने इमरान खान को तलब किया। उन्होंने देश के ताजा हालात पर इमरान से जानकारी ली। हालांकि पाकिस्तानी मीडिया इस मीटिंग को अफगान शांति वार्ता और भारत के कथित सीजफायर वायलेशन से जोड़ रही है। इस बैठक के दौरान सेना की तरफ से जनरल कमर जावेद बाजवा, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख जनरल फैज हमीद और पाकिस्तानी कैबिनेट के कई मंत्री भी उपस्थित रहे।
विपक्षी पार्टियों की रैली के दौरान नवाज शरीफ ने कहा था कि हमारा संघर्ष इमरान खान के खिलाफ नहीं है। आज, हमारा संघर्ष उन लोगों के खिलाफ है, जिहोंने इमरान खान को बैठाया है और जिन्होंने उन जैसे अक्षम व्यक्ति को लाने के लिए (2018 के) चुनाव को प्रभावित किया और मुल्क को तबाह किया।" पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे बड़ी प्राथमिकता इस चयनित सरकार और इस व्यवस्था को हटाने की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर बदलाव नहीं होते हैं तो मुल्क को अपूरणीय क्षति होगी। सेना को सियासत से दूर रहना चाहिए और संविधान एवं राष्ट्रपिता कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की दृष्टि का अनुसरण करना चाहिए तथा लोगों की पसंद में दखल नहीं देनी चाहिए। हमने इस देश को अपनी नजर में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजाक बना दिया है।