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शुक्र ग्रह के जातक पर प्रभाव: (अरिष्ट नाशक उपाय) पुनः प्रेषित

Updated on 11-12-2020 06:42 AM
वैदिक ज्योतिष और शुक्र 
भारतीय वैदिक ज्योतिष में शुक्र को मुख्य रूप से पति या पत्नी अथवा प्रेमी या प्रेमिका का कारक माना जाता है। कुंडली धारक के दिल से अर्थात प्रेम संबंधों से जुड़ा कोई भी मामला देखने के लिए कुंडली में इस ग्रह की स्थिति देखना अति आवश्यक हो जाता है। कुंडली धारक के जीवन में पति या पत्नी का सुख देखने के लिए भी कुंडली में शुक्र की स्थिति अवश्य देखनी चाहिए। शुक्र को सुंदरता की देवी भी कहा जाता है और इसी कारण से सुंदरता, ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े अधिकतर क्षेत्रों के कारक शुक्र ही होते हैं, जैसे कि फैशन जगत तथा इससे जुड़े लोग, सिनेमा जगत तथा इससे जुड़े लोग, रंगमंच तथा इससे जुड़े लोग, चित्रकारी तथा चित्रकार, नृत्य कला तथा नर्तक-नर्तकियां, इत्र तथा इससे संबंधित व्यवसाय, डिज़ाइनर कपड़ों का व्यवसाय, होटल व्यवसाय तथा अन्य ऐसे व्यवसाय जो सुख-सुविधा तथा ऐश्वर्य से जुड़े हैं।
शुक्र एक नम ग्रह हैं तथा ज्योतिष की गणनाओं के लिए इन्हें स्त्री ग्रह माना जाता है। शुक्र मीन राशि में स्थित होकर सर्वाधिक बलशाली हो जाते हैं जो बृहस्पति के स्वामित्व में आने वाली एक जल राशि है। मीन राशि में स्थित शुक्र को उच्च का शुक्र भी कहा जाता है। मीन राशि के अतिरिक्त शुक्र वृष तथा तुला राशि में स्थित होकर भी बलशाली हो जाते हैं जो कि इनकी अपनी राशियां हैं। कुंडली में शुक्र का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक बना देता है तथा उसकी इस सुंदरता और आकर्षण से सम्मोहित होकर लोग उसकी ओर खिंचे चले आते हैं तथा विशेष रूप से विपरीत लिंग के लोग। शुक्र के प्रबल प्रभाव वाले जातक शेष सभी ग्रहों के जातकों की अपेक्षा अधिक सुंदर होते हैं। शुक्र के प्रबल प्रभाव वालीं महिलाएं अति आकर्षक होती हैं तथा जिस स्थान पर भी ये जाती हैं, पुरुषों की लंबी कतार इनके पीछे पड़ जाती है। शुक्र के जातक आम तौर पर फैशन जगत, सिनेमा जगत तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में सफल होते हैं जिनमें सफलता पाने के लिए शारीरिक सुंदरता को आवश्यक माना जाता है Iशुक्र शारीरिक सुखों के भी कारक होते हैं तथा संभोग से लेकर हार्दिक प्रेम तक सब विषयों को जानने के लिए कुंडली में शुक्र की स्थिति महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। शुक्र का प्रबल प्रभाव जातक को रसिक बना देता है तथा आम तौर पर ऐसे जातक अपने प्रेम संबंधों को लेकर संवेदनशील होते हैं। शुक्र के जातक सुंदरता और एश्वर्यों का भोग करने में शेष सभी प्रकार के जातकों से आगे होते हैं। शरीर के अंगों में शुक्र जननांगों के कारक होते हैं तथा महिलाओं के शरीर में शुक्र प्रजनन प्रणाली का प्रतिनिधित्व भी करते हैं तथा महिलाओं की कुंडली में शुक्र पर किसी बुरे ग्रह का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
शुक्र कन्या राशि में स्थित होने पर बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर भी शुक्र बलहीन हो जाते हैं। शुक्र पर बुरे ग्रहों का प्रबल प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों में समस्याएं पैदा कर सकता है। महिलाओं की कुंडली में शुक्र पर बुरे ग्रहों का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन प्रणाली को कमजोर कर सकता है तथा उनके ॠतुस्राव, गर्भाशय अथवा अंडाशय पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है जिसके कारण उन्हें संतान पैदा करनें में परेशानियां आ सकतीं हैं  कुंडली में शुक्र पर अशुभ राहु का विशेष प्रभाव जातक के भीतर शारीरिक वासनाओं को आवश्यकता से अधिक बढ़ा देता है जिसके चलते जातक अपनी बहुत सी शारीरिक उर्जा तथा पैसा इन वासनाओं को पूरा करने में ही गंवा देता है जिसके कारण उसकी सेहत तथा प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है तथा कुछेक मामलों में तो जातक किसी गुप्त रोग से पीड़ित भी हो सकता है जो कुंडली के दूसरे ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करते हुए जानलेवा भी साबित हो सकता है।
शुक्र ग्रह के अशुभ होने पर मिलने वाले परिणाम
जिन लोगो की शादी होने में परेशानी आ रही है या शादी के बाद परेशानी आ रही है तो मान लो की उनका शुक्र ग्रह  खराब है। जिन लोगों के शरीर मे जोश नहीं होता जो शरारतों और हंसी मज़ाक मे खुश तो रहते हैं लेकिन बहुत जल्दी चिड़ चिड़े हो जाते हैं,जिनको नहाने धोने साफ कपड़े पहनने, कामपर जाने के लिए सदा आलस बना रहता है, जो घर की साफ-सफाई के लिए टोका-टाकी  तो करते हैं मगर स्वयं इन कामो को नही कर पाते,जिनमे संभोग की ताकत तो होती है,पर वे अपने जीवन साथी को ख़ुश नहीं रख पाते,जिनके गुप्तांग पर बार-बार इन्फैकशन होता हो, जो हीरो बनने का प्रयास ना करते हों मगर हीरो बनने के सपने देखते हों, जो रोज नया जोशीला काम करने का वादा करते हों मगर काम करते ना हो, जिंनका  विपरीत लिंगी के प्रति हर पल आकर्षण बना रहता हो, जिनमे बहुत ज्यादा खर्च करने की आदत हो पर उतनी कमाई न हो, और औरतों मे सफेद पानी या ल्यूकोरिया की दिक्कत हो तो यह सब शुक्र ग्रह की खराबी की वजह से होता है। कुल मिला कर इस ग्रह की खराबी से ग्रस्त लोग अपनी कमियों को छिपाते हुए अच्छा होने का ढोंग करतेहै। वे इतनी ज्यादा शरारतें करते हैं कि यही शरारतें उनकी बदनामी का कारण बन जाती हैं। ऐसे लोगों को सुगंधित खानो की खशबू या किसी भी प्रकार की सुगंध खराब लगती है, और वे सुंदर बनने के लिए बार- बार कुछ न कुछ करते रहते हैं पर बन नही पाते। जो कई तरह की नौकरियाँ और काम करने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी मे सफल नही हो पाते, हर माहौल मे कमी निकाल कर अलग हो जाते हैं। पर सुनने मे उनके विचार बहुत ज्ञानवान लगते हैं। इन सब का शुक्र ग्रह खराब होता है, जैसे ही शादी होती है अपना या जीवन साथी का स्वास्थ्य खराब होता चला जाता है। संभोग की प्रक्रिया के बाद जीवन साथी को ज्यादा महत्व नही देते और बहुत दिन तक इस प्रक्रिया से दूर रहते हो, जीवन साथी को कभी संतुष्ट नहीं रख पाते यूं ही शिकायतों मे जीवन बीतता रहता है, यदि रेडीमेट कपड़ो का काम है या कास्मेटिक, मीठी वस्तुओ से संबन्धित कोई काम हो तो इनमे सदा कमी या खराबी बनी रहती है। इसके अलावा यदि वह बाहर सुंदर या मूल्यवान चीजों पर पैसा खर्च करता हो या विपरीत लिंगियों से संबंध बनाता हो पर आनंद न ले पाता हो तो भी शुक्र ग्रह खराब है।
अगर आपको इनमे से कोई समस्या आ रही है तो समाधान के उपाय के लिए निचे दिए उपायों को कर सकते है।
अरिष्ट शुक्र की शांति के उपाय एवं टोटके
शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है। इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए। 
अथवा रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है।
शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है।
इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है।
शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें।
मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें।
ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं। 
अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं। 
शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें।
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
पं ललित कुमार लाटा

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