अनुशासनबद्ध स्वतंत्रता से समाज में व्यवस्था, शान्ति और समरसता पैदा होती है - योग गुरु महेश अग्रवाल
Updated on
17-08-2023 03:47 PM
आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि आजादी की 76 वीं वर्षगाँठ 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस अमृत महोत्सव के रुप में योग साधकों द्वारा पुरे उत्साह से सामूहिक योग अभ्यास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर प्रमुख रुप से डॉ नरेन्द्र भार्गव मधुमेह विषेशज्ञ, मनीषा जैन,अश्विन व्योहार , शम्भूदयाल भटनागर, अखिलेश शर्मा, वैजनाथ भगत, रितुज जैन, संजय गुप्ता, सतीश जोशी, नीरज श्रीवास्तव, रामप्रकाश गुप्ता, अनिल मिश्रा, सोनाली श्रीवास्तव, लता पंजाबी, सुनीता जोशी, अर्चना श्रॉफ, वसुंधरा पंडित , सारंगा नगरारे, दीप्ती आश्रय, संगीता साहू, संगीता जोशी, आशा गजभिये , सहित योग साधक उपस्थित रहें ।
योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर बताया आत्मज्ञान के लिए आंतरिक अनुशासन की आवश्यकता तो है ही, मानवता की रक्षा के लिए भी उसका महत्त्व है। हमारे परिवार, राष्ट्र, सरकार और मानवता की रक्षा अनुशासन को बनाये रखकर ही हो सकती है। महत्तर उपलब्धि, उच्चतर आत्म-प्रकाश और बाह्य-आभ्यंतर सुखों के लिए आंतरिक अनुशासन जरूरी है। योग इसी अनुशासन की बात करता है। अनुशासनबद्ध स्वतंत्रता से समाज में व्यवस्था, शान्ति और समरसता पैदा होती है।
योग गुरु अग्रवाल ने कर्मयोग - एक गतिशील पद्धति के बारे में बताया कि सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है हमारा दैनिक जीवन, हमारा मत, हमारी महत्त्वाकांक्षायें, परिवार, सफलता, विफलता। होश संभालने से मृत्युपर्यन्त हमारे समक्ष बहुत सारी समस्याएँ आती हैं और कभी-कभी इनके कारण हम अपना संतुलन नहीं रख पाते, हम आत्म-नियंत्रण खो बैठते हैं। इस हालत में हम आसामान्य हो जाते हैं, हमारा मन व्याधिग्रस्त हो जाता है। इस अवस्था के लिए एक योग है कर्मयोग। यह एक गत्यात्मक विधि है जो मानव को दैनंदिन अनुभूतियों से जोड़ती है।
कर्मयोग द्वारा सम्पूर्ण अनुभूतियों से हमारा संबंध जुड़ता है । यह विज्ञान हमारे दैनिक कार्यों - प्रातः काल से रात्रि तक के कार्यों से संबंधित है। वैकल्पिक लाभ के लिए किए गए कार्यों से भी इसका संबंध है। कर्मयोग के दर्शन के अन्तर्गत हमारे सभी कार्य व्यापार, स्वार्थ परमार्थ से जुड़ी सभी गतिविधियाँ आ जाती हैं।
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