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दिनांक 18 अप्रैल 2021

Updated on 18-04-2021 11:29 AM
दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - 2078 (गुजरात - 2077)
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत 
⛅ मास - चैत्र
⛅ पक्ष - शुक्ल 
⛅ तिथि - षष्ठी रात्रि 10:34 तक तत्पश्चात सप्तमी
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा 19 अप्रैल प्रातः 05:02 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅ योग - अतिगण्ड शाम 07:56 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल - शाम 05:24 से शाम 06:59 तक 
⛅ सूर्योदय - 06:19 
⛅ सूर्यास्त - 18:57 
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - स्कंद-अशोक-सूर्य षष्ठी
 💥 विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
ग्रीष्म ऋतु में स्वास्थ्य – सुरक्षा 
➡ 19 अप्रैल 2021 सोमवार से ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ ।
☀  ग्रीष्म ऋतु में शरीर का जलीय व स्निग्ध अंश घटने लगता है | जठराग्नि व रोगप्रतिकारक क्षमता भी घटने लगती है | इससे उत्पन्न शारीरिक समस्याओं से सुरक्षा हेतु नीचे दी गयी बातों का ध्यान रखें –
🌤 १] ग्रीष्म ऋतु में जलन, गर्मी, चक्कर आना, अपच, दस्त, नेत्रविकार ( आँख आना / Conjunctivitis ) आदि समस्याएँ अधिक होती हैं | अत: गर्मियों में घर में बाहर निकलते समय  लू  से  बचने के लिए सिर पर कपड़ा बाँधे अथवा टोपी पहने तथा एक गिलास पानी पीकर निकलें | जिन्हें दोपहिया वाहन पर बहुत लम्बी मुसाफिरी करनी हो वे जेब में एक प्याज रख सकते हैं |
🌤 २] उष्ण से ठंडे वातावरण में आने पर १० – १५ मिनट तक पानी न पियें | धूप में से आने पर तुंरत पूरे कपड़े न निकालें, कूलर आदि के सामने भी न बैठें | रात को पंखे, एयर – कंडिशनर अथवा कूलर की हवा में सोने की अपेक्षा हो सके तो छत पर अथवा खुले आँगन में सोयें | यह सम्भव न हो तो पंखे, कूलर आदि की सीधी हवा न लगे इसका ध्यान रखें |
🌤 ३] इस मौसम में दिन में कम – से – कम ८ – १० गिलास पानी पियें | प्रात: पानी – प्रयोग  ( रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पीये ) भी  | पानी शरीर के जहरी पदार्थों(toxins) को बाहर निकालकर त्वचा को ताजगी देने में मदद करता है |
🌤 ४] मौसमी फल या उनका रस व ठंड़ाई, नींबू की शिकंजी, पुदीने का शर्बत , गन्ने का रस, गुड का पानी आदि का सेवन लाभदायी है | गर्मियों में दही लेना मना है और दूध, मक्खन, खीर विशेष सेवनीय हैं |
🌤 ५] आहार ताजा व सुपाच्य लें | भोजन में मिर्च, तेल, गर्म मसाले आदि का उपयोग कम करें | खमीरीकृत(fermented) पदार्थ, बासी व्यंजन बिल्कुल  न लें | कपड़े सूती, सफेद या हल्के  रंग के तथा ढीले – ढाले हों | सोते समय मच्छरदानी आदि का प्रयोग अवश्य करें |
🌤 ६] गर्मियों में फ्रीज का ठंडा पानी पीने से गले, दाँत, आमाशय व आँतो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | मटके या सुराही का पानी पीना निरापद है  ( किंतु बिनजरूरी या प्यास से अधिक ठंडा पानी पीने से जठराग्नि मंद होती है ) |
🌤 ७] इन दिनों में छाछ का सेवन निषिद्ध है | अगर लेनी ही हो तो ताज़ी छाछ में मिश्री, जीरा, पुदीना, धनिया मिलाकर लें |
🌤 ८] रात को देर तक जागना, सुबह देर तक सोना, अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम, अधिक उपवास तथा स्त्री – सहवास  - ये सभी इस ऋतु में वर्जित हैं |
चैत्र नवरात्रि  -  भय का नाश करती हैं मां कात्यायनी
नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है। महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रृति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।
नवरात्र की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं । इससे धन लाभ होने के योग बनने हैं ।


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