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दिनांक 08 दिसम्बर 2020

Updated on 08-12-2020 02:30 PM
 दिन - मंगलवार        विक्रम संवत - 2077
 शक संवत - 1942    अयन - दक्षिणायन
 ऋतु - हेमंत
 मास - मार्गशीर्ष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - कार्तिक)
 पक्ष - कृष्ण 
 तिथि - अष्टमी शाम 05:17 तक तत्पश्चात नवमी
 नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी दोपहर 01:48 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
 योग - प्रीति 09 दिसम्बर रात्रि 01:43 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
 राहुकाल - शाम 03:14 से शाम 04:36 तक
 सूर्योदय - 07:05    सूर्यास्त - 17:56 
 दिशाशूल - उत्तर दिशा में
 व्रत पर्व विवरण - 
 विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
 अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
 परिवार में सुख- शांति के लिए उपाय 
परिवार के सदस्यों में वाद-विवाद होता रहता है, लेकिन जब ये रोज होने लगे तो घर के वातावरण में अशांति फैल जाती है। कभी-कभी ये विवाद कोई बड़ी घटना का रूप भी ले लेते है। इस समस्या से निपटने के लिए नीचे लिखा उपाय करें-
उपाय
प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय घर के उस मटके या बर्तन में से एक लोटा जल लें जिसमें से घर के सभी सदस्य पानी पीते हों और उस जल को अपने घर के प्रत्येक कमरे में, घर की छत पर तथा हर स्थान पर छिड़कें। इस दौरान किसी से कोई भी बात नहीं करें एवं मन ही मन ॐ शांति ॐ मंत्र बोलते रहें। कुछ ही समय में आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी।
 नारी कल्याण पाक 
यह पाक युवतियों, गर्भिणी, नवप्रसूता माताएँ तथा महिलाएँ – सभी के लिए लाभदायी है |
लाभ : यह बल व रक्तवर्धक, प्रजनन – अंगों को सशक्त बनानेवाला, गर्भपोषक, गर्भस्थापक (गर्भ को स्थिर – पुष्ट करनेवाला), श्रमहारक (श्रम से होनेवाली थकावट को मिटानेवाला) व उत्तम पित्तनाशक है | एक – दो माह तक इसका सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया, अत्यधिक मासिक रक्तस्राव व उसके कारण होनेवाले कमरदर्द, रक्त की कमी, कमजोरी , निस्तेजता आदि दूर होकर शक्ति व स्फूर्ति आती है | जिन माताओं को बार-बार गर्भपात होता हो उनके लिए यह विशेष हितकर है | सगर्भावस्था में छठे महिने से पाक का सेवन शुरू करने से बालक हृष्ट-पुष्ट होता है, दूध भी खुलकर आता है | कमजोरी में पुरुष भी इसका उपयोग कर सकते हैं |
सामग्री : सिंघाड़े का आटा, गेंहू का आटा व देशी घी प्रत्येक 250 ग्राम, खजूर 100 ग्राम, बबूल का पिसा हुआ गोंद 100 ग्राम, पिसी मिश्री 500 ग्राम |
विधि : घी को गर्म कर गोंद को घी में भून लें | फिर उसमें सिंघाड़े व गेंहू का आटा मिलाकर धीमी आँच पर सेंके | जब मंद सुगंध आने लगे तब पिसा हुआ खजूर व मिश्री मिला दें | पाक बनने पर थाली में फैलाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर रखें |
सेवन-विधि : 2 टुकड़े ( लगभग 20 ग्राम ) सुबह शाम खायें | ऊपर से दूध पी सकते हैं |
सावधानी : खट्टे, मिर्च-मसालेदार व तेल में तले हुए तथा ब्रेड-बिस्कुट आदि बासी पदार्थ न खाये |

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