करीब 9 हफ्ते पहले तक गाजा स्ट्रिप 20 लाख से ज्यादा लोगों के लिए तंग ही सही, लेकिन रहने की जगह थी। इजराइल ने यहां हमले शुरू किए तो तस्वीर भयावह हो गई। किसानों के खेतों को गाजा में घुसते इजराइली टैंकों ने रौंद डाला। अब वो किसी काम के नहीं।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने सैटेलाइट इमेजेस, वीडियोज और फोटोज के जरिए गाजा के इस वक्त जो हालात हैं, उन्हें पेश किया है।
गाजा पोर्ट को यहां की फिशिंग इंडस्ट्री की लाइफ लाइन कहा जाता है। इसके किनारे पर फिश मार्केट यानी मछली बाजार था।
अब यह पूरा एरिया तबाह हो चुका है।
सैटेलाइट इमेजेस को देखें तो पता लगता है कि जंग में गाजा सिटी के हर कोने में कितनी तबाही हुई। UN ने नवंबर की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि गाजा में करीब 6 हजार इमारतों को नुकसान पहुंचा है। इनमें से एक तिहाई तो मलबे में तब्दी हो चुकी हैं।
इजराइल में 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद इजराइली डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने यहां हवाई हमले और ग्राउंड ऑपरेशन शुरू किए थे। ये 21वीं सदी में किसी इलाके या देश पर किए गए सबसे भयावह हमले कहे जा सकते हैं।
गाजा में नावों के रुकने के कई स्थान थे। अब यहां गड्ढे नजर आते हैं। रेस्टोरेंट्स और होटल्स हमलों में बर्बाद हो चुके हैं।
तस्वीर रिमाल इलाके की है। इसे गाजा का सबसे समृद्ध इलाका कहा जाता था। अल्जोंदी अल्माझोल पार्क में अब टैंकों से बने निशान दिखाई देते हैं। फिलिस्तीनी पार्लियामेंट की बिल्डिंग उड़ाई जा चुकी है।
जंग शुरू होने के पहले गाजा सिटी की उमर मुख्तार स्ट्रीट मेन रोड थी। यहां सड़क के दोनों तरफ रेस्टोरेंट, बैंक और दुकानें थीं।
समुद्री किनारे पर तबाही
एक वक्त गाजा के समुद्री किनारे बिजली की कमी से जूझने वाले फिलिस्तीनी परिवारों के लिए तफरी की जगह हुआ करते थे। अब ये किनारे वीरान हैं। अगर कुछ नजर आता है तो इजराइली टैंक्स और बुलडोजर। कुछ मल्टी स्टोरी होटल्स थे। इनमें टूरिस्ट वीजा पर आए लोग रुकते थे। इन्हें जबरदस्त नुकसान हुआ है। खिड़कियां धमाकों में उड़ गईं।
तबाही का यह मंजर गाजा के उत्तरी क्षेत्र तक नजर आता है। 7 अक्टूबर को इजराइली सेना ने सबसे पहले इसी इलाके को निशाना बनाया था। यहां मकान ढहाए जा चुके हैं। इजराइली सेना ने यहां अस्थायी ठिकाने यानी टेम्परेरी बेस बना लिए हैं। इस इलाके में कुछ हरियाली भी थी। वो भी नहीं बची। यहां टैंकों के गुजरने के निशान दिखते हैं। एक रिसॉर्ट था, वो भी नहीं बचा। सी-फ्रंट जंग में तबाह हो चुका है। ऊंची इमारतों की जगह अब गहरे गड्ढे नजर आते हैं।
शाती नाम की जगह पर 1948 में रिफ्यूजी कैम्प बनाया गया था। बाद में यह नॉर्थ गाजा की सबसे घनी आबादी वाला इलाका बन गया। जंग के पहले यहां 90 हजार लोग रहते थे। हवाई हमलों के बाद इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। सड़कों पर मलबा बिखरा दिखाई देता है।
गाजा दो हिस्सों में बंटा
इजराइली सेना ने पूर्वी छोर से गाजा में घुसपैठ की और अब उसने इस क्षेत्र को दो हिस्सों में बांट दिया है। उत्तर से दक्षिण जाने वाले रास्तों पर ब्लॉकेड लगा दिए गए हैं। साउथ गाजा में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। रिहाइशी इलाकों को टैंक ट्रैक्स के जरिए दो हिस्सों में बांटा जा चुका है। इमारतें तबाह हो चुकी है। कुछ को काफी नुकसान पहुंचा है। इनमें एक यूनिवर्सिटी भी शामिल है। गाजा में खेतों को टैंकों के तले रौंदा जा चुका है। सड़कें टैंकों का बोझ न सह पाने के चलते टूट चुकी हैं। रिहाइशी इलाकों में ज्यादातर जगहों पर गड्ढे और मलबा है।
आगे क्या होगा