संयुक्त राष्ट्र । भारत
की बाल मृत्युदर
में 1990 से 2019 के बीच
काफी कमी आई
है,लेकिन पिछले
साल पांच वर्ष
से कम आयु
के जिन बच्चों
की मौत हुई,
उसमें करीब एक
तिहाई बच्चे भारत
और नाइजीरिया के
थे। संयुक्त राष्ट्र
की एक रिपोर्ट
में इसकी जानकारी
सामने आई है।
रिपोर्ट में सचेत
किया गया है
कि कोविड-19 महामारी
वैश्विक स्तर पर
बाल मृत्यु में
आई कमी की
दिशा में दशकों
में हुई प्रगति
पर पानी फेर
सकती है।रिपोर्ट में
कहा गया है
कि पांच साल
से कम आयु
के बच्चों की
मौत की संख्या
1990 में एक करोड़
25 लाख से कम
होकर 2019 में 52 लाख रह
गई। रिपोर्ट में
कहा गया है
कि पिछले करीब
30 साल में स्वास्थ्य
सेवाओं में सुधार
से बाल मृत्युदर
में कमी आई
है, लेकिन कोविड-19
महामारी के कारण
वैश्विक सेवाओं में बाधा
पैदा हुई है,
जिनसे बच्चों की
मौत की संख्या
में गिरावट की
दिशा में बड़ी
मुश्किल से दशकों
में हुई प्रगति
पर पानी फिर
सकता है।
मृत्युदर को लेकर नए अनुमान के अनुसार भारत में पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर (प्रति 1,000 जीवित बच्चों की मौत) 1990 में 126 से कम होकर 2019 में 34 रह गई। देश में 1990 से 2019 के बीच पांच साल से कम आयु के बच्चों की मौत में 4.5 प्रतिशत की वार्षिक कमी दर्ज की गई है। भारत में पांच साल से कम आयु के बच्चों की मौत की संख्या 2019 में 8,24,000 रही, जबकि 1990 में यह 34 लाख थी। रिपोर्ट के अनुसार भारत में शिशु मृत्युदर (प्रति 1,000 जीवित शिशुओं की मौत) 1990 में 89 की तुलना में पिछले साल 28 रह गई। देश में पिछले साल 6,79,000 शिशुओं की मौत हुई थी, जबकि 1990 में यह संख्या 24 लाख थी। भारत में 1990 में लड़कों की बाल मृत्युदर 122 और लड़कियों की बाल मृत्युदर 131 थी। पिछले साल लड़कों की बाल मृत्युदर 34 और लड़कियों की मृत्युदर 35 रही।रिपोर्ट में कहा गया है,2019 में पांच साल से कम आयु के जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से आधे बच्चों की मौत (49 प्रतिशत) पांच देशों- नाइजीरिया, भारत, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इथियोपिया में हुई। केवल नाइजीरिया और भारत में करीब एक तिहाई बच्चों की मौत हुई।