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3 दिन नहीं सोएगा चीन! मोदी अमेरिका में जानिए करने वाले हैं क्या डील

Updated on 20-06-2023 07:51 PM
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अमेरिका यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बुलावे पर वहां जा रहे हैं और इसलिए इस यात्रा को कई मायनों में खास माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है और इसमें आगे भी अपार संभावनाएं हैं। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है जबकि हाल के वर्षों में भारत ने तेजी से आर्थिक विकास किया है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करने चाहते हैं। ऐसे में भारत उनके लिए स्वाभाविक विकल्प बनकर उभरा है। हाल में अमेरिका की कई कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार फैलाया है। अमेरिका की कंपनियों ने भारत में 60 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 40 अरब डॉलर से अधिक का इन्वेस्टमेंट किया है। दोनों देशों के बीच ट्रेड अपार संभावनाएं हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है।


मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप को नया बूस्ट मिलने की उम्मीद की जा रही है। खासकर सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन बनाने के बारे में बड़ी घोषणा की जा सकती है। पिछले हफ्ते भारत आए अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जैक सुलीवन ने दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर सेक्टर में बड़ी घोषणा का संकेत दिया था। यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड एमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) के लक्ष्यों में सेमीकंडक्टर सेक्टर में पार्टनरशिप सबसे बड़ा टारगेट है। मोदी इस दौरान अमेरिका की टॉप 20 कंपनियों के सीईओ से भी मीटिंग करने वाले हैं। इनमें मास्टरकार्ड, एक्सेंचर, कोका-कोला, एडॉब सिस्टम्स और वीजा शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों पक्ष इस पार्टनरशिप को ग्लोबल स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप में बदलना चाहते हैं।


यात्रा को भारी तवज्जो

मोदी की इस यात्रा को अमेरिका में कितनी तवज्जो दी जा रही है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि अमेरिकी कांग्रेस के दोनों चैंबर्स के लीडर्स ने उन्हें दूसरी बार कांग्रेस के जॉइंट सेशन को संबोधित करने का न्योता दिया है। अब तक दुनिया के कुछ ही नेताओं को यह सम्मान मिला है। इनमें विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला और इजरायल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू और यित्जाक रैबिन शामिल हैं। इससे पहले मोदी ने 8 जून, 2016 को अमेरिकी संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था। उन्हें दोबारा यह सम्मान दिया जाना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है।

मोदी ऐसे समय में अमेरिका की यात्रा कर रहे हैं जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 191 अरब डॉलर के रेकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुका है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। दिलचस्प बात यह है कि इसमें ट्रेड बैलेंस भारत के पक्ष में है। अमेरिका के लिए भारत उसका नौवां सबसे बड़ा साझेदार है। अमेरिकी कंपनियों ने भारत में मैन्यूफैक्चरिंग, टेलीकम्युनिकेशंस, कंज्यूमर गुड्स से लेकर एयरोस्पेस में निवेश किया है। भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में आईटी, फार्मा और ग्रीन एनर्जी में इनवेस्ट किया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 12 जून को India Ideas Summit of the US-India Business Council (USIBC) में कहा था कि भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में कैलिफोर्निया से लेकर जॉर्जिया तक 425,000 लोगों को नौकरी दी है।

अमेरिका के लिए क्यों जरूरी है भारत

फरवरी में जब एयर इंडिया ने 200 बोइंग एयरक्राफ्ट खरीदने की घोषणा की थी तो अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने इसे ऐतिहासिक डील बताते हुए कहा था कि इससे 44 राज्यों में दस लाख से अधिक नौकरियों को सपोर्ट मिलेगा। मतलब साफ है कि भारत और अमेरिकी की दोस्ती दोनों देशों के पक्ष में है। चीन के साथ बढ़ते तनाव से भी अमेरिका ने भारत के साथ दोस्ती बढ़ाई है। कोरोना काल में अमेरिका समेत दुनिया की कंपनियों को इस बात की अहमियत पता चल गई कि वे सप्लाई चेन के लिए एक ही देश पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। यही कारण है कि ये कंपनियां अब विकल्प के तौर पर भारत को देख रही हैं। भारत और अमेरिका अपने रिश्तों को बढ़ाने के लिए कितने गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी विभिन्न स्तरों पर 50 से अधिक द्विपक्षीय डायलॉग मैकेनिज्म चल रहे हैं।

भारत के लिए क्यों जरूरी है अमेरिका

भारत के लिए भी अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ना कई मायनों में जरूरी है। सबसे ज्यादा यह सामरिक नजरिए से जरूरी है। सीमा विवाद की वजह से चीन के साथ हमारे रिश्ते पिछले कुछ समय से ठीक नहीं चल रहे हैं। हालांकि इससे कारोबारी रिश्तों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार में ट्रेड बैलेंस मजबूती के साथ चीन के पक्ष में है। भारत से चीन को बहुत कम एक्सपोर्ट होता है जबकि आयात बहुत ज्यादा होता है। दूसरी ओर अमेरिका से साथ ट्रेड बैलेंस भारत के पक्ष में है। भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है और इस खाई को पाटने की जरूरत है। अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाकर इसकी भरपाई की जा सकती है। इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को कम करने और संतुलन बनाने के लिहाज से भी भारत अमेरिका के बीच दोस्ती ज्यादा अहम हो जाती है।

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