चीन एक तरफ तो भूटान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत कर रहा है, तो दूसरी तरफ विवादित इलाके में गांव भी बसा रहा है। यह दावा हॉन्गकॉन्ग से पब्लिश होने वाले अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की रिपोर्ट में किया गया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक- इस गांव में कुछ घर बनाए जा चुके हैं और चीन के 18 नागरिकों का पहला बैच जल्द ही इन नए घरों में रहने के आने वाले हैं। अब तक भूटान सरकार की तरफ से इस बारे में ऑफिशियली कुछ नहीं कहा गया है।
लंबे वक्त से विवाद
रिपोर्ट के मुताबिक- इस हिमालयीन क्षेत्र में चीन बहुत चुपचाप पैर पसार रहा है। यह प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की पॉलिसी का एक और उदाहरण है। 28 दिसंबर 2023 को 38 लोगों को यहां शिफ्ट किया गया है। इस गांव का नाम स्थानीय भाषा में तामालुंग है। चीन का कहना है कि यह उसके तिब्बती क्षेत्र का हिस्सा है और इसका भूटान से कोई संबंध नहीं है।
दो महीने पहले अमेरिकी सैटेलाइट इमेजरी कंपनी मैक्सार ने भी सैटेलाइट इमेज के जरिए बताया था कि इस इलाके में 147 नए घर बनाए गए हैं। माना जा रहा है कि यहां कुल 235 लोगों को बसाया जाना है। इसके पहले 2022 में यहां 70 घर बनाए गए थे और इनमें 200 लोग रहने भी आ गए थे।
चीन और भूटान के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशन नहीं हैं, लेकिन दोनों देशों के अफसर बातचीत के चैनल खुले रखते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक- चीन अब तक 12 देशों से सीमा विवाद सुलझा चुका है। भारत और भूटान के साथ यह मामला अब तक चल रहा है।
3 साल से जारी है कंस्ट्रक्शन
चीन तेजी से भूटान के उत्तरी इलाकों के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहा है। सैटेलाइट इमेज से इसका खुलासा हुआ है। तस्वीरें ऐसे समय सामने आई हैं जब चीन और भूटान सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
पिछले महीने बेयुल खेनपाजोंग इलाके की तस्वीरें सामने आईं थीं। यह इलाका शाही परिवार से जुड़ा है। अमेरिका की मैक्सार टेक्नोलॉजी ने जो सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं उनमें बेयुल खेनपाजोंग में पिछले 3 सालों में हुए चीनी कंस्ट्रक्शन को दिखाया गया है। चीन ने यहां शाही परिवार से जुड़ी जमीनों पर इमारतें और सड़कें तैयार की हैं।
लंदन यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) में तिब्बती इतिहास के एक्सपर्ट प्रोफेसर रॉबर्ट बार्नेट का कहना है कि चीन की तरफ से हो रही ये गतिविधियां उसकी महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा- भूटान के लिए बेयुल खेनपाजोंग सांस्कृतिक महत्व रखता है, यह जानते हुए भी चीन कंस्ट्रक्शन कर रहा है। वो जानता है कि भूटान इस हरकत का जवाब नहीं दे सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शाही परिवार के पुरखों की धरोहर पहाड़ी इलाके तक फैली है। इन्हीं पर चीन कब्जा कर रहा है। इसके बावजूद भूटान सरकार यहां चीन के कब्जे को रोकने में नाकाम रही है।
जाकरलुंग घाटी में भी दो बड़े गांव बना रहा चीन
चीन जाकरलुंग घाटी में अपने लोगों के रहने के लिए 129 बिल्डिंग्स बना रहा है। थोड़ी दूर पर 62 इमारतों का कंस्ट्रक्शन भी हो रहा है। इससे साफ होता है कि चीन, भूटान में दो बड़े गांव बसा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के प्रोफेसर रॉबर्ट बार्नेट का कहना है कि चीन नॉर्थ भूटान पर कब्जा करना चाहता है। आने वाले समय में नॉर्थ भूटान की जाकरलुंग घाटी चीन के हाथों में जा सकती है।
चीन ने पहले भी भूटान के इलाकों में रोड बनाने की कोशिश की थी। हालांकि ये ज्यादातर पश्चिमी भूटान में हो रहा था। 2017 में चीन ने दक्षिण-पश्चिम में डोकलाम में रोड बनाने की कोशिश की। यहां उसकी भारतीय सैनिकों से झड़प हुई। दरअसल, डोकलाम में चीन, भारत और भूटान तीनों देशों की सीमाएं लगती हैं।
भूटान की 600 किमी सीमा चीन से लगती है। दो इलाकों को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है। पहला- 269 वर्ग किमी क्षेत्रफल का डोकलाम इलाका और दूसरा- उत्तर भूटान में 495 वर्ग किमी का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का क्षेत्र। सबसे गंभीर मामला डोकलाम का है, जहां चीन, भारत और भूटान तीनों देशों की सीमाएं लगती हैं। अक्टूबर 2021 में चीन और भूटान ने ‘थ्री-स्टेप रोडमैप’ के समझौते पर दस्तखत किए थे।