ग्वालियर। चंबल के लोगों के बंदूक रखने और चलाने के शौक ने देश के महत्वपूर्ण एयरबेस ग्वालियर स्थित महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। हर्ष फायर यानी खुशी के अवसरों पर गोली चलाने का नया नुकसान सामने आया है।
हाल ही में एयरफोर्स स्टेशन के अधिकारियों ने ग्वालियर जिला प्रशासन को सूचित किया कि रनवे पर मैटेलिक बुलेट (धातु की गोलियां) मिली हैं। यहां महत्वपूर्ण उपकरणों के साथ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सामान रखा रहता है और लड़ाकू विमान खड़े होते हैं।
आसपास के इलाकों में हर्ष फायर के बाद जमीन पर वापस आने वाली गोलियां इनके लिए खतरा साबित हो सकती हैं। एयरफोर्स स्टेशन के विंग कमांडर ने जिला प्रशासन को विस्तृत प्रतिवेदन सौंपा और एयरफोर्स स्टेशन की एक किमी परिधि में हर्ष फायर पर प्रतिबंध की मांग की। बता दें, बीते सालों में एयरफोर्स स्टेशन की सीमा से लगे क्षेत्रों में कई कॉलोनियां बन गई हैं।
भिंड-मुरैना से आए इनमें से कई लोगों के पास लाइसेंसी बंदूकें हैं। एयरफोर्स स्टेशन के आसपास आबादी के साथ ही मैरिज गार्डन, होटल व मंगल कार्यों के लिए काफी स्थल बने हुए हैं। आशंका है कि यहां हर्ष फायर की गोलियां एयरफोर्स स्टेशन परिसर में जाकर गिरती होंगी।
जिला पुलिस व प्रशासन ने यहां हर्ष फायर को रोकने को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए है। मैरिज गार्डनों में हर्ष फायर प्रतिबंधित है, बस यह बोर्ड लगवाकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है।
महाराजपुरा एयरबेस सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वर्ष 2019 में हुई बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान ग्वालियर एयरबेस से भी लड़ाकू विमान भेजे गए थे। यह केंद्र लड़ाकू विमानों की डाग फाइट के लिए भी पहचान रखता है।
स्टेशन देश के उन तीन चुनिंदा एयरबेस स्टेशनों में शामिल है, जहां वायुसेना के लड़ाकू विमानों के सबसे अनुभवी पायलटों में शामिल सिर्फ एक प्रतिशत पायलटों को एयर काम्बैट का उन्नत प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां राफेल से लेकर सुखोई, मिराज, मिग-21 लड़ाकू विमानों का प्रशिक्षण पायलटों को दिया जाता है।