ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने 5 फरवरी को कैम्पस में हुए सिख स्टूडेंट्स के लंगर को इस्लामिक इवेंट बताने पर अब माफी मांगी है। हालांकि, कुछ देर बाद माफी का यह पोस्ट डिलीट कर दिया। बाद में यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने इस पर माफी मांगी।
यूनिवर्सिटी के सिख स्टूडेंट हर साल फरवरी महीने में यह लंगर लगाते हैं। यह सिलसिला 20 साल से चला आ रहा है। ब्रिटेन की 15 यूनिवर्सिटीज में इस तरह के लंगर साल में एक बार लगाए जाते हैं।
पहले मामला समझिए
‘बर्मिंघम मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक- 5 फरवरी को यूनिवर्सिटी कैम्पस में सिख स्टूडेंट्स सोसायटी ने ‘लंगर इन कैम्पस’ इवेंट ऑर्गनाइज किया था। इसमें हर समुदाय के सैकड़ों छात्रों ने खाना खाया था।
इवेंट के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम की तरफ से एक सोशल मीडिया पोस्ट किया गया। इसमें इस लंगर इन कैम्पस इवेंट को ‘डिस्कवर इस्लाम वीक’ करार दिया गया। यह पोस्ट इंस्टाग्राम पर किया गया था। इसके साथ एक फोटो भी शेयर किया गया था।
इस पर सिख सोसायटी नाराज हो गई। सिख प्रेस एसोसिएशन के स्पोक्सपर्सन जसवीर सिंह ने कहा- यह बहुत अफसोस की बात है कि यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम (UoB) के जिम्मेदार लोग कम्युनिटीज के बारे में ही कुछ नहीं जानते। इस बात पर हैरानी भी होती है। यूनिवर्सिटी को अपनी इस गलती के लिए पूरी जिम्मेदारी के साथ माफी मांगनी चाहिए।
जहां तक डिस्कवर इस्लामिक वीक का सवाल है तो यह इवेंट भी यूनिवर्सिटी में ही होस्ट किया जाता है। इसका आयोजन इस्लामिक सोसायटी करती है। इस साल यह इवेंट 6 से 9 फरवरी के बीच होस्ट किया गया था।
यूनिवर्सिटी ने माफी मांगी
इस मामले पर यूनिवर्सिटी के स्पोक्सपर्सन ने सफाई दी। कहा- ये गैर जिम्मेदाराना पोस्ट था। हमने इस गलती को फौरन पकड़ लिया था और डिलीट कर दिया। हम सभी कम्युनिटीज का सम्मान करते हैं और साथ में सेलिब्रेट भी करते हैं। मिलकर चलने का यह सिलसिला जारी रहेगा। हमने इस बारे में संबंधित लोगों से बातचीत की है और व्यक्तिगत तौर पर उनसे माफी मांगी है। हम जानते हैं कि उन्हें इस घटना से दुख हुआ है।
स्पोक्सपर्सन ने आगे कहा- इस लंगर में सभी मजहबों के लोग शामिल होते हैं। ये लंगर उन्हें मौका देता है कि वो शाकाहारी भोजन का लुत्फ लें। यह खाना भी बर्मिंघम में ही तैयार होता है। 20 साल से यह सिलसिला चला आ रहा है। इससे लोग सिख धर्म के बारे में गहराई से समझ पाते हैं। ब्रिटेन की करीब 15 यूनिवर्सिटीज में इस तरह के लंगर हर साल लगाए जाते हैं।